आज कल भारत से भागे हुए उद्योगपति विजय माल्या बहुत चर्चा मैं हैं . जहां देश के बहुत विश्वसनीय उद्योगपति राहुल बजाज मानते हैं की इमानदार उद्योगपतियों को बढ़ावा देने के लिए बेईमान उद्योग पतियों की धर पकड़ राष्ट्रीय हित मैं है वहां मोदी मंत्रि मंडल के सबसे सफल मंत्रि गडकरी ने बिलकुल ठीक कहा की हर व्यापारिक असफलता धोखा य बेईमानी नहीं है . इन दोनों बयानों मैं सच्चाई है . जहाँ देश मैं हर्षद मेहता व् बंगाल की शारदा जैसी झूटी वित्त कम्पनियां साधारण जनता की गाढी कमाई को लूट कर ले गयीं . उनसे जनता का धन वसूलना सरकार की जिम्मेवारी है .वहां यह भी सच है की व्यापार मैं व्यक्ति अनेक बार असफल होकर सफल भी हो जाता है . अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प की कंपनियां छह बार दिवालिया हो चुकी हैं परन्तु आज वह अरबों डॉलर के मालिक हैं . एप्पल कंपनी स्टीव जॉब्स तो इतने फटे हाल हो चुके थे की वह एक हिन्दू मंदिर मैं खाना खाकर बसर करने पर मजबूर हो गए . परन्तु इसके बावजूद आज एप्पल कंपनी विश्व की सबसे सफल कंपनी है . इसी तरह अनेकों उद्योगपति जो दिवालिये होकर फिर खड़े हो गए की जीवन गाथा नीचे दिए लेख मैं है .
विजय माल्या किंग फिशर एयरलाइन मालदीव मैं चला कर फ़ैल हो चुके थे .उसके बावजूद उनका सस्ते और टिकाऊ प्रेमी भारतियों के लिए भारत मैं नयी मंहगी एयरलाइन चलाने का फैसला गलत था . परन्तु उनकी बियर की फक्टोरियों के चलते बैंकों ने उन पर विश्वास कर लिया . इसके अलावा जैसा की राहुल बजाज ने कहा ‘ ब्रांड वैल्यू ‘ को क़र्ज़ के लिए आधार मन लेना बैंकों की बड़ी भूल थी जो की आपराधिक भी हो सकती है . परन्तु अपराध तब होता है जब की षड्यंत्र जान बूझ कर किया हो . यह सोचना की वह विश्व की सर्वोत्तम एयरलाइन बनायेंगे एक सपना था . परन्तु किंग फिशेर से पहले अमरीकी दिग्गज एयरलाइन जैसे TWA, American Airline भी फ़ैल हो चुकी हैं नोकिया व् कोडक जैसी दिग्गज कंपनियां भी फ़ैल हो चुकी हैं .भारत मैं दिवालिये को गरीब की जिन्दगी बसा करने दिया जाता है .पर दिवालिया हो जाना जुर्म नहीं है
भारत मैं मोदी सरकार को शुरू मैं जो कांग्रेस ने अम्बानी व् सूट बूट की सरकार का तमगा चिपका दिया उस से निकलने के लिए सरकार इतनी सख्त हो गयी की देश मैं सीबीआई, ई डी , व् इनकम टैक्स से डर कर पिछले तीन वर्षों मैं १७००० हज़ार बेहद अमीर लोग भारत छोड़ कर विदेशों मैं बस गए हैं . इस इमानदारी जूनून से देश को बहुत नुक्सान हुआ है . वैसे भी धर पकड़ के डर से पूरा उद्योग जगत नए निवेश के अभाव मैं ठप्प सा पड़ गया है .औद्योगिक विकास के थम जाने से बेरोजगारी बढी है . देश ने इमानदारी के बाजे तो पहले भी बहुत सुने हैं . विश्व नाथ सिंह इसे बजा चुके हैं पर जो देश की दुर्गति वह कर गए शायद ही किसी ने की हो . अन्ना हजारे के शिष्य केजरीवाल के सब मंत्रि भ्रष्टाचार य अन्य किसी काण्डमैं फंसती जा रहे हैं . वास्तव मैं यह सब जानते हैं की भारत में आज भी इंस्पेक्टर राज के चलते इमानदारी से व्यापार कर पाना बहुत कठिन है . यहाँ तो पुलिस भी इमानदार घर बनाने वाले से पैसे ले जाती है क्योंकि ईंट , रेता , रोडी घर के सामने सड़क पर डाली जाती हैं .
देश की अर्थव्यवस्था कुछ बड़े उद्योगपतियों की सफलता पर निर्भर होती है . सफल उद्योगपति देश की सबसे बड़ी अमानत हैं . सरकार को भी जिम्मेवारी से धर पकड़ करनी चाहिए . इमानदारी की मुहीम से हर सरकारी इंस्पेक्टर राजा बन जाता है और बेईमानी बढ़ जाती है . सी बी आई / सी वी सी राज से बाबू काम करना बंद कर देते हैं जो पिछले तीन साल से दीख रहा है .एयर इंडिया के कई एम् डी हवाई जहाज़ खरीदने को टालते रहे क्योंकि जो मर्जी जहाज़ खरीदो , असफल कंपनी की शिकायत पर सी बी आई तो आई ही जायेगी .
इस लिए दिवालिये विजय माल्या को भिखारी की जिन्दगी बसर करने देना उचित होगा .जुर्म तो बिना किसी बिना किसी दुर्भाव के पूरी कानूनी प्रक्रिया के बाद ही सिद्ध होगा . परन्तु सरकार को देश छोड़ कर भागते हुए हज़ारों करोड़पतियों की भी फ़िक्र होनी चाहिए . उनका भागना देश को बहुत महँगा पड़ रहा है .इमानदारी की मुहीम का सञ्चालन देश के व्यापक हितों को नज़र में रखते हुए बिना राजनीती के होना चाहिये .इस लिए ऐसी बातों को बिना मीडिया की चमक के करना ही उचित होगा .
नीचे दिए लेख पढ़ें
Catching Thieves Will Not Harm The Country – Rahul Bajaj
Gadkari on ‘Mallya ji’: Unfair to call a one-time loan defaulter a ‘chor’
Gadkari, however, clarified that he has no business dealing with Mallya, who faces extradition from the UK for alleged bank fraud and money laundering amounting to an estimated Rs 9,000 crore.
Union Minister Nitin Gadkari Thursday opined that it is unfair to tag a “one-time loan defaulter Vijay Mallyaji” as a “chor” (thief), adding that the embattled businessman has a four-decade-long track record of timely debt servicing.
Gadkari, however, clarified that he has no business dealing with Mallya, who faces extradition from the UK for alleged bank fraud and money laundering amounting to an estimated Rs 9,000 crore.
“40 saal Mallya regular payment kar raha tha, byaaj bhar raha tha. 40 saal baad jab wo aviation mein gaya….uske baad wo adchan mein aaya to woh ekdum chor ho gaya?…jo pachaas saal byaaj bharta hai wo theek hai, par ek baar wo default ho gaya…toh turant sab fraud ho gaya? Ye mansikta theek nahi hai.”
(For 40 years Mallya was regularly paying interest on loans. After entering the aviation sector, he started facing problems, and suddenly he became a thief? If a person repays the interest for 50 years, and if he defaults once, then suddenly everything is fraud? This mindset is not correct), Gadkari said at an economic summit organised by the Times Group.
Gadkari said the loan he was referring to was from the Maharashtra government-owned entity Sicom to Mallya, extended 40 years ago, which he repaid on time without any default.
Stating that ups and downs are part and parcel of any business, the road transport minister said if someone goes through a downward cycle, then he or she has to be supported.
“There are risks in the business, be it banking or insurance, there are ups and downs. But, if the mistakes are bona fide, because of global or internal factors in the economy like a recession, then that person who is facing difficulties must be given support,” the minister said.
Likening an election loss to a business failure, he recalled how he lost an election when he was all of 26, but underlined that the loss did not mean that his political career ended.
“If Nirav Modi or Vijay Mallyaji has committed (financial) fraud then send them to jail, but whoever comes in distress, and if we label them as fraudster then our economy will not progress,” he said.
Earlier this week, a London court had ordered Mallya’s extradition, in a major boost to the government’s efforts to bring back the fugitive businessman.
Ahead of the extradition hearing, the 62-year-old former boss of the now-defunct Kingfisher Airlines offered to repay the entire principal amount to banks.
Gadkari has for long been calling for a more considerate and realistic approach to NPAs, and indirectly blamed the bankers for the NPA mess, saying our banking system is such that it does not support sick companies.
“When someone is serious then we put him/her in an ICU, but our banking system first puts a sick company in the ICU and then ensures that it dies,” he quipped.
Last month, Gadkari had blamed the RBI for “complicating” project finance, saying over 150 projects involving over Rs 2 trillion investments are struggling to get financial closure.
Advertising
“Unfortunately, many times …the circulars issued by the RBI are creating more complications and this is one of the reasons why I am facing problems as far as financial closure is concerned,” Gadkari had said.
One Response to “अमीर उद्योगपतियों का राजनीति वश उत्पीडन राष्ट्र हित मैं नहीं है : हर्षद मेहता ,विजय मल्या , ट्रम्प ,स्टीव जॉब्स”