कल के टी वी समाचार देख दुःख हुआ ,
मोदीजी नागपुर जा रहे हैं और संघ सरचालक बाहर जा रहे हैं . टीवी चैनल चटखारे ले ले कर खबर को दुह रहे हैं . बीजेपी को वोट देने वाली जनता सर धुन रही है .
स्थिति उस घर के समान न है जिसमें बूढ़े बाप ने हड्डियां गला गला कर बेटे को काबिल बनाया और घर उसके नाम कर दिया . अब वह होली दिवाली पैर तो छु लेता है पर उसे दंभ हो गया है की वह अपने बल पर जी सकता है . . पितृ ऋण शब्द का अब उसे नहीं रहा . वह घर जो उसे विरासत मैं मिला था उसकी आयातित बहु अपना मानने लगी है और अपने सेक्सुअल आकर्षण का उपयोग बेटे को पिता से विमुख करने मैं लगी है .
कौन है वह आयातित बहु , वही आयातित सदस्य जो कभी राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ के सदस्य नहीं रहे अब विभीषण की तरह भितरघात करने मैं व्यस्त हैं . उनके लिए हिंदुत्व विचारधारा न कभी देश का आधार थी न होगी . इनमें से कोई
कम्मुनिस्ट पार्टी से आया है तो कोई कोंग्रेस से या कोई सत्ता से लोभ मैं जुड़ गया है . सबको सत्ता सुख चाहिए कोई देश कीपुरानी संस्कृति के प्रति समर्पित नहीं है . कोई किसी आदर्शवादी विचारधारा का नहीं है . यह तो नेहरूवादी कमीज़ के ऊपर राम नाम की चद्दर पहन कर बी जे पी मैं घुस गए हैं और उस पर काबिज़ हो गए हैं .
पर इन को कम समझना भी बहुत बड़ी गलती हो गयी . देश ने या बीजेपी ने कभी नहीं जानने की कोशिश की कि कैसे राम मंदिर आन्दोलन के प्राणदाता अडवाणी अचानक जिन्नाह भक्त बन गए . किसने उनका ह्रदय परिवर्तन किया . किसने उन्हें पाकिस्तान की प्राणघातक यात्रा के लिए प्रेरित किया . यदि यह आर एस एस से जीवनोंप्रांत जुड़े अडवाणी के साथ हो सकता है तो मोदी के साथ क्यों नहीं हो सकता . जो गुजरात से हैं वह मोदी की दुश्मनी का अंत जानते हैं .क्या प्रवीण तोगड़िया अब विदेशों मैं ही हिन्दुओं को जगा पाएंगे ? क्या अशोक सिंघल अब साधुओं की सेवा ही करेंगे . राम मंदिर तो अब कभी बनता नहीं दीख रहा . कांग्रेसी शासन फिर वापिस आ गया प्रतीत होता है सिर्फ पांच साल के लिए इमानदार रहेगा क्योंकि २०१९ का चुनाव जीतना है पर उसके बाद शोषण का वाही वीतराग चलेगा जो २००९ मैं हुआ क्योंकि हिंदुत्व की आदर्श हीनता न अपनाने के कीमत देश व् बीजेपी को चुकानी पड़ेगी.
पर अब हिन्दू आदर्शवादी क्या करें . बीजेपी ने माँ का दूध तो बहुत पहले पिया था . सत्ता की पत्नी का सुख तो रोज़ रात को मिलता है .
स्थिति भयावह है . हिटलर भी कभी जर्मनी मैं जिन ‘ ब्राउन शर्ट’ के समर्थन पर सता मैं आया था उनके नेता व् अपने मित्र रोहं की अंत मैं ह्त्या कर दी गयी वह भी उसे लौन्देबाज़ सिद्ध करके .
विरोधी आर्थिक विकास को ही अपनाने की वकालत करेंगे क्योंकि हिंदुत्व बांटता है और विकास जोड़ता है !
अंधेर नगरी चौपट राजा टेक सेर भाजी टेक सेर खाजा !
परन्तु इसका समाधान भी आदर्श के प्रति समर्पण मैं ही है .
आर एस एस व् संघ परिवार को सत्ता की लोभ लोलुपता से दूरी बनाये रखने मैं श्रेष्टः है . उसे सच्चे आदर्शवादी नेताओं को सहारा व् प्रेरणा देनी होगी . जनता मैं अपने समर्पण से व् आदर्शों पर आधारित आचरण से देश का विश्वास जीतना होगा . हो सके तो मोदी का खुला विरोध न कर बंद कमरे मैं ही समझाना होगा . सत्ता की बहु घर मैं आ चुकी है. बेटे को बिन ब्याहा भी तो नहीं रख सकते थे . घर के बड़े बूढों को संभल कर स्थिति को सुधारना होगा .
इन परिस्थतियों मैं आदर्शहीन आचरण व् आदर्शों पर विश्वास खोना सब से घातक होगा .
इस राष्ट्र के भाग्य मैं सांस्कृतिक उत्थान क्यों नहीं है कोई नहीं जानता .
One Response to “हिंदुत्व विहीन बीजेपी : प्राण आत्मा विहीन शरीर : पर विभिषणों का क्या करें ?”