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भारत मैं पटाखों व् आतिशबाजी का इतिहास : a-crackling-history-of-fireworks-in-india

भारत मैं पटाखों व् आतिशबाजी का इतिहास : a-crackling-history-of-fireworks-in-india

बारूद के अरब संसार मैं आने के कारण मुहम्मद बिन कासिम व् महमूद गजिनी ने इनका उपयोग भारतीय युद्ध हाथियों को निष्क्रीय करने मैं किया. कासिम ने आग वाले व् गजिनी ने शोर वाले पटाखों का उपयोग कर हाथियों को बदहवास कर दिया. प्रारंभ मैं आतिश बाज़ी का प्रयोग राजा महाराजा करते थे . भारत मैं विजय नगर साम्राज्य मैं सन १४४२ मैं इनका विस्तृत उपयोग होता था. चीनी आतिशबाजी सन १४०० के लगभग भारत मैं लाई गयी थी और बाद मैं भारत मैं ही बनने  लगी . बीजापुर के सुलतान आदिल शाह ने अपनी लड़की की शादी मैं ८०००० रूपये की आतिशबाजी जलाअन १५१८ मैं पुर्तत्गाल के पर्यटकों ने किसी ब्राह्मण की शादी मैं जैम कर आतिशबाजी के उयोग का वर्णन किया है . सताहरर्वीं सदी  आते आते दीवाली पर आतिशबाजी का प्रचलन हो चुका था . पटाखों की पहली फैक्ट्री कलकात्ता मैं उन्नीसवीं सड़ी मैं बनी थी जिससे पटाखों के महंगे आयात से मुक्ति मिल सकी .पेशवा व् अंग्रेजों के काल मैं इनका प्रचलन बहुत बढ़ गया . स्वतंत्रता का बाद तमिलनाडु का शिवकाशी पटाखा उद्योग की राजधानी बन गया .

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http://indianexpress.com/article/research/a-crackling-history-of-fireworks-in-india-4890178/

 

 

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