रक्षा में आत्मनिर्भर भारत :अपने टैंक, इंजन, हवाई जहाज खुद ही बनाने होंगे : नानक इस जग में नहीं कोई अपना रे
प्रधान मंत्री मोदी जी की अमरीकी यात्रा शुरू होने वाली है और कभी मोदी को वीसा न देने वाला अमरीका आज उनके स्वागत मैं पंख पावडे बिछा रहा है .
पर इस सब के पीछे न कोई ह्रदय परिवर्तन है न ही भारत के प्रति अमरीकी ह्रदय में प्रेम उमड़ पडा है . राष्ट्रपति चुनाव आने वाले हें और अमरीकी अर्थ व्यवस्था चरमरा रही है . भारत ने २२० बोइंग हवाई जहाज का बड़ा आर्डर अमरीका को दे दिया है और शायद कुछ और आर्डर भी दे दिए जायेंगे . इसके अलावा जी ई के F 414 इंजन को भारत मैं बनाया जाएगा पर न तो पूरी तकनीक दी जायेगी न ही भारत इनका निर्यात अमरीका की अनुमति के बिना नहीं कर पायेगा . इसके अलावा 36 Predator drone भी भारत को बहुत मंहगे दामों पर बेचे जायेंगे .भारत को छोटे परमाणु बिजली बनाने वाले संयत्र बेचने कि कोशिश भी है पर उसमें अमरीका किसी भारतीय को घुसने भी नहीं देना चाहता . इतनी बड़ी डील के लिए भारत को २१ तोपों की सलामी व अमरीकी संसद को संबोधित करने का सम्मान दिया जाएगा . पर अमरीका इसके अलावा कोई भी शर्तों को ढीला नहीं करेगा .
जो लोग अमरीका को जानते हैं वह यह भी जानते हें कि अमरीका को इससे अधिक दबाया भी नहीं जा सकता . इसके बदले रूस से हथियार खरीदने या ईरान से सस्ता तेल खरीदने देने पर शायद कोई समझौता हो जाये .
रूस हो या फ्रांस या कोई अन्य देश कोई भी रक्षा की तकनीक हमें नहीं देगा . चीन ने हवाई जहाज की डील को कैंसिल करने की धमकी दे कर फ्रांस से तकनीक ले ली थी . पर हम चीन नहीं हें .हम जब अपनी किसी रक्षा संबंधी तकनीक को विकसित करने के करीब आते हें तो हमको रोक कर कुछ पुरानी पर उन्नत तकनीक दे दी जाती है .बदले मैं हमारे प्रयासों को रुकवा दिया जाता है . इसमें हमारे लालची बाबु भी रिश्वत लेकर देशी तकनीक की अधिक कीमत व घटिया क्वालिटी का रोना रो कर DRDO का पैसा रोक देते हें .
इस लिए भारत को इन बिके हुए बाबुओं को चिन्हित कर ऐसे पदों से हटा देना चाहिए . भारत को अपने कावेरी इंजिन , अर्जुन टैंक , AMCA हवाई जहाज , लेसर , एंटी सेट लाइट मिसाईल और परमाणु पनडुब्बियों का विकास व उत्पादन करते रहना चाहिए चाहे इसमें बहुत अधिक धन व समय लगे और हमारी तकनीक अमरीका से कम ही क्यों न रहे . श्रीमती इंदिरा गांधी की दूर दृष्टि से हम आज मिसाइल टेक्नोलॉजी मैं बहुत प्रगति कर चुके हें . वर्तमान में अन्तरिक्ष मैं हम बहुत प्रगति कर रहे हें . चीन से युद्ध में कोई हमारे लिए नहीं लडेगा . बल्कि युद्ध से पहले चीन इन स्वार्थी देशों को कोई हड्डी डाल कर खरीद लेगा .रक्षा में स्वावलंबन का कोई विकल्प नहीं है और चुनावी खर्चों या विजय के लिए रक्षा को दांव पर लगाना एक जघन्य अपराध होगा .
मोदी जी व अजित दोवल इन बातों को अच्छी तरह जानते हें और २१ तोपों की सलामी के लिए भारतीय हितों से समझौता नहीं करेंगे . पर देश को लालची बाबुओं से सतर्क रहना होगा और स्वाबलंबन की राह पर आगे बढ़ते रहना होगा .