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Economic Modernization in Late British India: Hindu-Muslim Differences

Economic Modernization in Late British India:
Hindu-Muslim Differences

( Summary of Paper By Timur Kuran and Anant Deep Singh Professor Duke University and Research Associate South California University)

Rajiv Upadhyay

1.इक्कीसवीं सदी के प्रारंभ मैं भारत के मुसलमानों कि प्रति व्यक्ति आय हिन्दुओं से लगभग तीन चौथाई थी.

२.गावों मैं हिंदुओं  की तुलना में मुसलमानों के पास ४२ % ज़मीन थी.

३.१९४७ में स्वंत्रता के समय ८२ मैं से मात्र एक व्यापरिक संस्था मुसलमानों की थी जो १९९७ में बढ़ कर ५० में से एक हो गयी.

४.१९०० – १९४७ तक बीस प्रतिशत मुस्लिम आबादी के पास बहुत कम व्यापारिक या पैसे वाली संस्थाएं थीं. १९४७ में १११ मैं से केवल दो जुटे मिल मुसलमानों के पास थीं और सिर्फ एक बैंक मुसलमानों कि मिलकियत में था.

५.इनका एक प्रमुख कारण हिन्दुओं की संयुक्त परिवार व्यवस्था थी जिसमें नए उद्यमों के लिए पैसा आसानी से जुड़ जाता था . मुसलामानों की वक्फ व्यवस्था दुरूह थी.

६. W.W.Hunter ke 1870 के अनुसार १७०७ मैं औरंगजेब की मृत्यु के बाद मुसलमान मैं एक कुंठा , अकेलापन व खोल मैं रहने की प्रवृति आ गयी थी . इस के बाद दो सौ सालों से हिन्दू मुसलामानों से आगे हें .

७. मध्य एशिया व यूरोप मैं यहूदियों व कुछ ईसाईयों के पास बैंक व पैसा था . मुसलमानों को पूँजी उठाना मुश्किल था . यही हाल भारत मैं हिन्दुओं के साथ था. मरने के बाद मुसलमानों में पैसा बहुत लोगों में बाँट जाता था जबकि हिन्दुओं मैं इतना नहीं  बांटता था. अंग्रेजों ने मुसलामानों की प्रथाओं को चलने दिया. सर सय्यद अहमद खान ने मुस्लिम परिवार वक्फ बनाया जिससे पूँजी को इकट्ठा रखा जा सके जो कुछ हद तक ही कामयाब हुआ.

८.१८५७ से joint stock company का कानून आ गया .१९४७ तक ९० प्रतिशत पूँजी के संस्थान नए कानूनों मैं आ गए. १९२० मैं ७०% हिन्दुओं के ४०३ डायरेक्टर थे जबकि २३ % मुसलमानों के ६९ डायरेक्टर थे. सन १९४० आते आते हिन्दुओं के १०४३ डायरेक्टर थे जब की मुसलमानों के १०३.

१९४७ मैं ३९४४ प्राइवेट फॅमिली कंपनी मैं मात्र ४३ मुसमानों की थीं.

९. इन सब का सार यह है कि हिन्दुओं ने अंग्रेजी संस्थाओं व कानूनों का अधिक उपयोग किया और अधिक उन्नति की जबकि मुसलमान इसमें पिछड़ते चले गए.

 

 

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