5:45 pm - Tuesday April 24, 3460

जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है

जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है
– केदारनाथ अग्रवाल (Kedarnath Agarwal)

जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है
तूफ़ानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है
जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है
जो रवि के रथ का घोड़ा है
वह जन मारे नहीं मरेगा
नहीं मरेगा

जो जीवन की आग जला कर आग बना है
फौलादी पंजे फैलाए नाग बना है
जिसने शोषण को तोड़ा शासन मोड़ा है
जो युग के रथ का घोड़ा है
वह जन मारे नहीं मरेगा
नहीं मरेगा

Filed in: Poems

No comments yet.

Leave a Reply