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सेक्युलर रावण व् कम्युनल राम : हाय रे देश की विडम्बना

सीता हरणबी जे पी के मनिफेस्तो मैं राम मंदिर का आखिरी पन्नों मैं जिक्र आने मात्र से १०० टी वी चैनलों का आतंक से त्रस्त देश डर से ऐसे कांप उठा जैसे उसे ४४० वाल्ट का करेंट लग गया हो . दूरदर्शन अब दूर कहाँ रहा . अब तो सास बहु व् बच्चों का अलग अलग टी वी हो गया . सब जोर से चिल्ला कर दुसरे कमरों के टी वी आवाज़ कम करने के लिए कहने लगे . दूरदर्शन मैं पिछले तीन महीनों मैं कुछ परिवर्तन तो आया है . मोदी के व्यापक जन समर्थन ने अंग्रेजी मैं ज्ञान बाँटने वाली टीवी चैनलों की अप्रासंगकिता को जग विदित कर दिया .

पर चैनलों का दिल है की मानता नहीं !

एक बार के लिए मैंने सोचा की अगर बीजेपी मनिफेस्तो मैं अयोध्या मैं रावण का मंदिर बनाने की बात लिख देती तो क्या होता

सब सेक्युलर चैनल गद गद  हो जाते  . देश का वातावरण रावण मयी  हो जाता . उसके महान शिव भक्त होने का बखान किया जाता जो एक ऋषि पुलस्त्य का प्रपौत्र  था. उसके कुबेर से लंका जीतने का बखान किया जाता . उसकी वीरता का वर्णन होता . उसने  अपनी बहन के अपमान का बदला लियाजो हर भाई का कर्तव्य होता है  .असली रक्षा बंधन का कर्तव्य व् धर्म तो उसी ने निभाया क्योंकि शूर्पनखा को स्त्री होकर अपनी काम वासना पूर्ण करने का अधिकार था  .

राम के बारे मैं कहीं कहीं छोटे प्रिंट मैं विदेशी चंदों पर चल रहे विधर्मी  अखबारों ने उनके अपनी पत्नी पर ठीक अंकुश नहीं लगा पाने का जिक्र भी किया गया होता  .आखिर क्यों सीता ने  पति की आज्ञा भंग कर लक्ष्मण रेखा पार की ? राम का परिवार मैं अनुशासन नहीं था.उनके पिता ने भी एक नारी कैकयी के कहने मात्र पर पुत्र को वन भेज दियाथा  क्या यह .नारी शासन से ग्रसित परिवार तो नहीं था . शायद विधर्मी  घरों के पर्दों के पीछे यह भी पूछा जाता की राम के भाई लक्ष्मण ने सीता के सिर्फ पैर ही क्यों देखे क्यों और अंग क्यों नहीं ?सीता अग्निपरीक्षा

साथ मैं दबे स्वर मैं विधर्मियों के आपसी मज़ाक मैं  हिन्दुओं के असली मर्द होने के बारे मैं कुछ प्रश्न उठाये गए होते .

तो प्राण जाये पर वचन न जाई या राम का पुत्र धर्म , भरत का भात्र धर्म , सीता का पत्नी धर्म सब कुछ दबा दिया जाता केवल रावण का गुण गान होता .

आखिर मैं रावण को धर्म निरपेक्षता का मसीहा सिद्ध कर दिया जाता क्योंकि उसके  राक्षस सब ऋषियों का हवन  बिना भेद भाव के भंग करते थे . स्वयम शिव पर भी तो भस्मासुर राक्षस ने चढ़ाई कर दी थी   .इसलिए राक्षस धर्मनिरपेक्ष थे और राक्षस राज रावण स्वयं धर्म निरपेक्षता  की जीती जगती मिसाल था.

भारत के आराध्य राम की अवहेलना व् बुराई  विदेशियों को बहुत पसंद आती है और तोते की तरह रटने वाले उनके पिठू चैनल उसे खूब प्रसारित करते हैं . अन्यथा जो मनिफेस्तो मंहगाई  , भ्रष्टाचार व् कुशासन पर चालीस पेज लिखे उसमे एक राम मंदिर संवैधानिक रूप से बनाने पर इतना बवाल क्यों .

वास्तव मैं अंग्रेज़ी के  टी वी चैनल विदेशी पैसों की खातिर विगत वर्षों मैं हिन्दुओं का लगातार अपमान कर रहेहैं  जिसका विरोध श्री  सिंघल व् कई अन्य हिन्दू संस्थाएं कर चुकी हैं . शंकराचार्य आसाराम बापू , बाबा राम देव इत्यादि की गिरफ्तारी का अति व्यापक इकतरफा प्रचार भी इसी षड्यंत्र का हिस्सा थी .

देश सेकुलरिज्म का मतलब रावण  पूजा मानने की ओर धकेला जा रहा है वरना सच यह है की हर हिन्दू अयोध्या मैं भव्य राम मंदिर देखना चाहता है ..

 

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