5:31 pm - Tuesday November 13, 9066

Trump’s America & India : भारत बिना तपे कुंदन नहीं बन सकता : हमारी अखंडता को चुनौती समाप्त नहीं होगी

Trump’s America & India : भारत बिना तपे कुंदन नहीं बन सकता : हमारी अखंडता को चुनौती समाप्त नहीं होगी

राजीव उपाध्याय

अमरीकी चुनाव समाप्त हो गए . अधिकाँश भारतीय ट्रम्प की जीत से खुश हें . ट्रम्प का वैश्विक दृष्टिकोण चीन व रूस के मामले मैं भारत से मेल खाता है . शायद बांग्लादेश को भी अमरीकी समर्थन मैं कमी आ सकती है जो भारत के लिए अच्छा हो . बंगलादेशी क्रांति अमरीकी साजिश का हिस्सा थी और सी आई ए इसे आराम से हटने नहीं देगी .इसी प्रकार अब अमरीका खुफिया तंत्र ईस्ट  इंडिया कंपनी के  उपनिवेशवादी के सपने देखने लगा है . वह पूर्वोत्तर राज्यों को ईसाई धर्म कि दुहाई दे कर अलग करना चाहता है . इसी तरह दक्षिण को भाषा व प्रगती के आधार पर तोड़ना चाहता है . सोवियत संघ  की तरह अब सी आई ए की नजर भारत को तोड़ने पर है .शायद उसे चीन  से अपनी जीत अब असंभव लग रही है और भारत अभी आसानी से टूटने वाला मीठा फल है. भारत के बाज़ार पर ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह कब्ज़ा करना समस्त पश्चिमी जगत व चीन को भी हितकारी लगेगा .

किसान आन्दोलन की तरह कोई विध्वंसक आन्दोलन करने के लिए भारत मैं पांच  सौ करोड़ रूपये ही काफी हें . अन्ना हजारे  सरीखे अगले आन्दोलन से कोई नया केजरीवाल पैदा हो जाएगा जो मुफ्त की शराब या अफीम से देश को मतिभ्रष्ट  कर देगा . अंग्रेजों ने जो पाकिस्तान बनाया अब उसी का अगला संस्करण अमरीका पूरे पश्चिम जगत के समर्थन से भारत मैं दुबारा चाहेगा .

राष्ट्रपति ट्रम्प अमरीकी अर्थ व्यवस्था को सुधरने के लिए कृत संकल्प हें . उनको भारत तोड़ने मैं कोई रूचि नहीं है . पर भारत का अमरीका को निर्यात बिडेन के चार साल मैं ट्रम्प के चार साल से दुगना निर्यात बढ़ा था परन्तु उनका नज़रिया साम्राज्यवादी था और इसका प्रमाण बांग्लादेश है . क्लिंटन परिवार , डिक चेनी परिवार इस विचारधारा का समर्थक है . इस लिए कोई भी अमरीकी गुलाब बिना कांटे के नहीं है .

भारत को अब योगी जैसे कठोर एवं एक दम इमानदार प्रधान  मंत्री की आवश्यकता है जो अब्राहम लिंकन या चीन  के तिनामीन स्क्वायर कि तरह या रूस की तरह , किसी भी षडयंत्र कारी आंदोलन को निर्ममता से कुचल सके . यद्यपि देश का इंदिरा गाँधी समेत सब अधिनायक वादी ताकतों का अनुभव बुरा रहा है पर देश की अखंडता के लिए यदि आवश्यक हो तो प्रजातंत्र व संविधान की बलि भी देनी पड़े तो सस्ती है क्योंकि वह तो फिर ठीक हो जायेगी पर एक बार नये पाकिस्तान बन गए तो इतिहास हमें कभी क्षमा नहीं करेगा . यदि दो  तीन साल की लड़ाई  लडनी पड़े तो हमको इतनी स्वाबलम्बिक  सामरिक  क्षमता का विकास करना होगा .

आंतरिक तोड़ फोड़ के अलावा , अमरीकी संस्थाएं बिना सीधे सैनिक हमले के आर्थिक व सैन्य प्रतिबन्ध लगाएंगी . रूस और इरान ने दृढ़ता व बहुत बुद्धिमान प्लानिंग  से अपने को बचाया है . भारत को भी इसी बुद्धिमानी व दूरदृष्टि  से चलना होगा .विशेषतः खाद्यान्न / खाद/ व् तेल/गैस के भंडारण  को बढ़ाना होगा . सीबीआई / ईडी / सीवीसी /विजिलेंस / ऑडिट को दूर कर देश मैं एक सर्व शक्तिमान तंत्र बनाना आवश्यक है जो सिर्फ देश की अखंडता की रक्षा के लिए काम कर सके . जो भी शोर हो उसको बर्दाश्त करना होगा  . ऐसा नहीं है कि देश मैं इमानदारी पूरी तरह से खत्म हो गयी है . परन्तु इमानदार लोगों को इन परिस्थितियों मैं  संरक्षण दे कर स्वायत्ता देना बहुत जरूरी है .

प्रसिद्द ज्योत्षी मुकेश  वत्स ,  ने ट्रम्प को जहर / ह्त्या इत्यादि से अक्षम करने की भविष्य वाणी की है ,जो संभव है . भारत को अब ट्रम्प के ऊपर आश्रित रहने के  बजाय उनके कार्यकाल मैं अपनी हिम्मत , बुद्धि और सामरिक क्षमता से विघटन वादी  ताकतों से अपनी रक्षा करनी होगी.

यह लड़ाई सिर्फ पांच साल दूर ही है . क्योंकि जिन पिंग के हटते ही चीन अमरीका से समझौता कर लेगा और चीन समेत समस्त पश्चिम जगत एक बार भारत को झुकाने का प्रयास करेगा . सिर्फ रूस ही शायद हमारा साथ देगा .

क्या हम इसके लिए मानसिक रूप से तैयार हें ?

Filed in: Articles, Uncategorized

No comments yet.

Leave a Reply