आर्थिक नीतियों की निष्फलता व् अरुण शौरी का साक्षात्कार – निंदक नियरे रखिये – – – राजीव उपाध्याय
कल एक मई को अरुण शौरी ने करन थापर को एक इंटरव्यू दिया जिसमें सरकार के एक साल के काम का ब्योरा दिया . जहाँ उन्होंने मोदी जी की विदेश निति पर शीघ्र पकड व् कश्मीर व् नेपाल की आपदा मैं स्वयं आगे पढ़ कर तीव्रता से सहायता सुनिश्चित की इसकी बहुत तारीफ़ की वहीँ उन्होंने सरकार की आर्थिक नीतियों की सर्व व्यापी निष्फलता क…ा भी गंभीर विश्लेषण किया व् सरकार की दिशाहीनता व् वित्त मंत्रालय को दोषी माना . इसके पहले उद्योग जगत की निराशा को दीपक पारीख ने भी दर्शाया था . रतन टाटा ने भी उद्योगपतियों को सरकार को कुछ और समय देने की बात की थी . यह सच है की देश की जनता को मोदी सरकार के आर्थिक व्यवस्था के सुधरने पर बड़ा विश्वास था . पर एक साल मैं कुछ तेल के अंतर राष्ट्रीय दाम गिरने से जो भला हुआ और महंगाई पर रोक लगी है उसे छोड़ कर तथा बिजली की स्थिति मैं सुधार के अलावा कोई बड़ी उपलब्धि नहीं है .
कांग्रेसी पांच प्रतिशत को अब सात प्रतिशत प्रगति बता कर किसी को आंकड़ों से बेवकूफ नहीं बना सकती . औद्योगिक प्रगति भी बहुत कम है . औद्योगिक क़र्ज़ मैं पिछले वर्ष मैं मात्र तीन प्रतिशत की वृद्धी हुयी है . सरकार ने विदेशी निवेश के सब प्रस्तावों को मंजूरी दे दी पर नए कारखानों को जमीन , पूँजी , बाज़ार , व् अन्य आवश्यकताओं को कोई नहीं देख रहा है . इसका परिणाम है की न ही देशी न ही विदेशी उद्योगपति नए कल कारखाने लगा रहे हैं . इसलिए नयी नौकरियां नहीं बन रहीं .केवल मंज़ूरी से तो कारखाने नहीं लगते .
फिर वित्त मंत्रालय मैं सर्व व्यापी व्यापक अहंकार आ गया है . एक टैक्स आतंकवाद आ गया है . पिछले समय से टैक्स न लगाने के वादों के बावजूद विदेशी कंपनियों को बड़े बड़े टैक्स नोटिस दिए जा रहे हैं . वकीली बुद्धि से तर्क जीतने की बात नहीं है बल्कि यह समझने की जरूरत है की एक नोकिया जैसा केस मोदी जी की एक विदेश यात्रा को विफल कर देता है .वित्त मंत्री विदेशियों को अपनी ताकत दिखा कर देश को बहुत पीछे ले जायेंगे .
फिर मोदी जी व्यक्तिगत कार्य शैली पर भी शौरी जी का आकलन बहुत सही था . मंत्रियों व् मंत्रालयों को पी एम् ओ से नहीं बदला जा सकता . मंत्रालयों मैं वर्षों का संचित ज्ञान है . पी एम् ओ मैं भी वहीँ के साधारण अफसर ही हैं . वह विशेषग्य नहीं है . मंत्रियों व् मंत्रालयों का अवमूल्यन उचित नहींहै . प्रधान मंत्री अब मुख्य मंत्री नहीं हैं . एक नैनो ला कर अब ताली नहीं बजवा सकते . पूरे देश की प्रगति के लिए नयी नीतियों की आवश्यकता है . इसी तरह नर सिंह राव व् अटल बिहारी वाजपेयी की तरह राजनितिक विरोधियों को भी साथ ले कर चलने की कला सीखनी ही होगी .
कुल मिला कर यह इंटरव्यू देश की जानकार लोगों की कुंठा को सही दर्शाता है . श्री शौरी की देश भक्ति ज्ञान व् बीजेपी के प्रति समर्पण पर सदेह करना उचित नहीं होगा . इस इंटरव्यू को कबीर के इस दोहे की तरह ही लेना होगा निंदक नियरे रखिये आँगन कुटीर छवाय बिन साबुन पानी बिना निर्मल करे सुभाय
हमें मोदी जी की हनुमान सरीखे समुद्र पर करने की क्षमता मैं संदेह नहीं है और अभी भी उन पर पूर्ण विश्वास है परन्तु एक जामवंत की कमी देश मैं है जो उन्हें लंका नहीं पहुँचने दे रही .
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