मोदी ट्रम्प भारत और अमरीका : सहज पके सो मीठा होय
प्रधान मंत्री मोदी के अमरीका के दौरे की सबसे बड़ी उपलब्धि कुछ बड़ा सौदा न होना है .ट्रम्प अभी नए नए राष्ट्रपति बने हैं . शुरु मैं जो उन्होंने बिना सोचे समझे कह दिया उसे भूलना ही श्रेष्ठ है .अफगानिस्तान के राष्ट्रपति घनी भी सात महीने बाद भारत आये थे . उसके पहले उन्होंने पाकिस्तान से मित्रता बढाने का बहुत प्रयास किया . परन्तु पाकिस्तान तालिबान का साथ नहीं छोड़ सका . अंत मैं उन्हें भारत का ही दामन पकड़ना पडा .इसी तरह राष्ट्रपति ट्रम्प अभी चीन की तरफ झुके हैं क्योंकि उत्तर कोरिया उनके लिए बड़ी चुनौती बन कर उभर रहा है . वह उस पर सीधे हमला नहीं कर पा रहे हैं .चीन भी उत्तर कोरिया को सिर्फ उतना दबाएगा जितना अमरीका को आश्रित रखने के लिए जरूरी है .पर वह उत्तर कोरिया को अमरीका पर डराने के लिए भौकने देगा . अंततः जब एक साल मैं अमरीका का चीन से मोह भंग हो जाएगा तो पुनः भारत जापान व् ऑस्ट्रेलिया की मैत्रि संधि पर वापिस आना होगा .
इसी तरह अफगानिस्तान मैं पकिस्तान अमरीका को इतना धोखा दे चुका है की अब अमरीका उस पर विश्वास नहीं करेगा . हाँ वह ओसामा बिन लादेन को पकडवाने वाले पाकिस्तानी डॉक्टर को जेल से छोड़ कर कुलभूषण को फांसी दे सकता है जिससे अमरीका भारत का साथ न दे .पाकिस्तान सीपेक के कारण अब पूरी तरह चीनी कंप मैं चला गया है .वहां की सेना अब चीन की गुलाम है और अमरीका को सिर्फ चुप रहने के लिए हड्डी ही फैकेगी . अमरीका एक साल मैं इस यथार्थ से भी पुनः रूबरू हो जाएगा . इस लिए भारत को सिर्फ चुप चाप स्थिति को बनते व् बिगड़ते देखना चाहिए .
दूसरी बात यह भी है की भारत अमरीका के सामान का १८ नंबर का खरीददार है . चीन हमसे दस गुना व्यापार करता है .बहुत प्रयासों के बावजूद भारत अमरीका का व्यापार आशानुसार बढ़ नहीं रहा है क्योंकि भारत की वास्तविक आर्थिक प्रगति पिछले पाँच वर्षों से पांच प्रतिशत पर ही थम गयी है और निर्यात बहुत गिर गए हैं . इसलिए भारत की क्रय शक्ति बहुत कम है .ऐसे मैं दोस्ती की पींग बहुत बढाने मैं बुद्धिमत्ता नहीं है . दूसरा महत्व पूर्ण कारण है की अभी राष्ट्रपति ट्रम्प का अमरीका प्रथम और भारत का मेड इन इंडिया टकरा रहे हैं . कुछ दिन चुप बैठना ही बुद्धिमत्ता होगी .समय बीतने के साथ सब ठीक हो जाएगा .
रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर।
जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर
प्रधान मंत्री मोदी की अमरीकी यात्रा को इस दृष्टि से सफल ही माना जाएगा .
3 Responses to “मोदी ट्रम्प भारत और अमरीका : सहज पके सो मीठा होय : सफल यात्रा”