दिल्ली से हनोई रेल : क्यों भारत जापान व् दक्षिण कोरिया को मिल कर इसे पूरा करना चाहिए : Why India , Japan and South Korea Should Jointly Make It

दिल्ली से हनोई रेल : क्यों भारत जापान व् दक्षिण कोरिया  को मिल कर इसे पूरा करना चाहिए : Why India , Japan and South  Korea Should Jointly Make It

                                                                                                           Rajiv Upadhyayrp_RKU-150x150.jpg

भारत के पूर्व प्रधान मंत्रि श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने आसियान की बाली की मीटिंग में  यह सुझाव दिया था की दिल्ली से हनोई तक का सफ़र रेल द्वारा संभव बनाया जाना चाहिए . उसके उपरान्त राइट्स ने एक पूर्व सुर्वे रिपोर्ट भी दी थी जिसमें संभव रास्ते और उनकी कीमत आंकी गयी थी . इस परियोजना के सबसे बड़े व् लाभदायक रास्ते पर रेल लाइन की पुनर्निर्माण व् मरम्मत करने व् कुछ बिना जुड़े रास्तों पर रेल बिछाने पर कुल लागत २००५ के दामों पर २.२  बिलियन डॉलर आंकी  गयी थी जिसका आज का अनुमानतः मूल्य लगभग चार  बिलियन डॉलर है . परन्तु बाद मैं यह योजना ठन्डे बस्ते  मैं डाल  दी गयी .delhi hanoi rail route 3

इधर चीन क्युमिंग से सिंगापूर तक तेज़ गति वाली गाडी चलाने जा रहा है और इसके लिए रेल मार्ग बन रहा है .इससे लाओस ,थाईलैंड  , मलेशिया  व् सिंगापूर हाई स्पीड रेल से चीन से  जुड़ जायेंगे . इससे  इन देशों के निवासियों के मानस पटल पर चीन का  प्रभाव पडेगा और अन्ततः  चीन उसका सैन्य उपयोग कर लेगा . परन्तु इस प्रस्ताव की साधारण रेल जनता के लिए ज्यादा उपयोगी होगी .आसियान के 10 देशों का कुल जीडीपी  7  ट्रिलियन डॉलर है ( पीपीपी ) . भारत का आसियान  देशों से लगभग पिचहत्तर   बिलियन डॉलर का व्यापार है . इसमें आयात चालीस  बिलियन डॉलर व् निर्यात पैंतीस बिलियन डॉलर है . भविष्य मैं यह और बढेगा . इससे तरह दक्षिण कोरिया  का व्यापार 110 बिलियन  डॉलर व् जापान का व्यापार 238 बिलियन डॉलर है .चीन से आसियान  134  बिलियन डॉलर का आयात व् 214 बिलियन डॉलर का आयात करता  है . भारत , जापान व दक्षिण कोरिया  का सम्मलित व्यापार चीन के व्यापार से ज्यादा है .
इसके अलावा चीन के हाई स्पीड रास्ते ने म्यांमार (बर्मा) व् विएतनाम को शामिल नहीं किया गया है . इस लिए इन देशों को इससे कोई लाभ नहीं मिल रहा है . भारत ने आसियान  के पिछड़े राष्ट्रों का एक संगठन मेकोंग गंगा कोपोरेशन के नाम से बनाया था जिसके सदस्यों मैं भारत , थाईलैंड ,वियतनाम , म्यन्मार ,कम्बोडिया  व् लाओस हैं .भारत इनसे नजदीकियां और बढाने के लिए तैयार है .परन्तु भारत इसे सस्ते ऋण के रूप में  बना सकता है न की अंतर्राष्ट्रीय मददके रूप में .इसके लिए व्यापक सहमती बनानी होगी .
मुख्यतः आसियान  के देश चीन से डरते हैं और उनको भारत जापान व् कोरिया की संयुक्त मित्रता राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से बहुत पसंद आएगी. परन्तु जापान व् दक्षिण कोरिया के सम्बन्ध आज कल खराब हैं . परन्तु एक प्रोजेक्ट साथ कर एक नयी शुरुआत की जा सकती है जो चीन के लिए एक सन्देश होगी .इसके अतिरिक्त यद्यपि अभी यह देश प्रमुखतः खेती पर आश्रित हैं परन्तु कुछ दशकों मैं इनका खनिज  उत्पादन भारत व् अन्य देशों की आवश्यकताओं   को पूरा कर सकता है . म्यन्मार मैं गैस के भण्डार हैं जिन का उपयोग चीन करता है . बांग्लादेश ने हमें इतने वर्षों से न तो पाइप लाइन और न ही सड़क से पूर्वोत्तर राज्यों से संपर्क बढाने दिया .
इतनी  बड़ी स्कीम भारत अकेला नहीं बना सकता . दूसरा आसियान  के देशों के साथ भारत जापान व् दक्षिण कोरिया का सम्मलित ग्रुप चीन के बढ़ते  प्रभाव का बेहतर मुकाबला कर सकेगा.
भारत को इस रेल लिंक बनाने मैं अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए .
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