चुनाव परिणाम : चौपट अर्थव्यवस्था से बर्बाद किसान , बेरोजगार नौज़वान व् हताश मध्यम वर्ग ने आईना दिखाया ; ऊँगली कटने पर राजा दुःखी न हों

चुनाव परिणाम : चौपट अर्थव्यवस्था से बर्बाद किसान , बेरोजगार नौज़वान व् हताश मध्यम वर्ग ने आईना दिखाया ; ऊँगली कटने पर राजा  दुःखी न हों

राजीव उपाध्याय rku

अन्ततः चुनावी परिणाम ने सरकार को झूठे विकास के दिवः स्वप्न लोक से निकाल कर वास्तविकता की ज़मीन पर पटक दिया !

परन्तु यदि अब भी अपने सर्वांगीण विकास के वादा निभाने  मैं असफल परन्तु आज भी सर्वमान्य प्रधान मंत्रि , अपनी  अर्थव्यवस्था के सञ्चालन करने वाले अहंकारी और अज्ञानी  बाबुओं व् मंत्रियों की कार्यशैली नहीं बदलेंगे  तो २०१९ में वाजपेयी जी की तरह उनकी पराजय भी इतिहास का एक कौतुहल मात्र बन जायेगी . भूखे किसान , बेरोजगार नौजवान , टैक्स कम न होने से हताश माध्यम वर्ग , टैक्स टेररिज्म से पीड़ित उद्योगपति व् व्यापारी वर्ग , सीबीआई , सी वी सी से पीडित सरकारी नौकर , न्यायलय के फैसलों से पोलिस की ऍफ़ आई आर  से अपमानित सेना , राम मंदिर पर निष्क्रियता से दुःखी हिन्दू ,सब के सब सरकार से दुःखी हैं परन्तु स्वपन लोक में विचार रहे दम्भी बाबु न सुनने न शासन तंत्र बदलने को तैयार नहीं है और शासन पर बाबुओं को छोड़ और किसी की चल नहीं रही  . किसी भी  विभाग में बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ है .ऐसा नहीं है की सरकार बुरी है परन्तु इसे चलाने वाले अत्यंत संवेदन शून्य हैं . यह बाबु  मेहनत कर विकास करना नहीं जानते . सिर्फ फाइलों पर कलम चला कर विकास नहीं होता . झूठे दावों व् आंकड़ों से झूठी आर्थिक प्रगति से प्रधान मंत्रि व् अंतर्रराष्ट्रीय संस्थाओं को कुछ समय के लिए धोखे मैं रख सकते हैं परन्तु नौकरी  की अंतहीन लाइन मैं खड़े  नौजवानों ,बंद  छोटी फक्ट्रियों व् कंस्ट्रक्शन के मजदूरों , बढ़ती कीमतों से फसल की लागत न मिलने वाले किसानों को कब तक वित्त विभाग के बाबु अपने झूठे विकास के दावों से उल्लू बना सकते  थे  . उनको पेट भरने के लिए नौकरी व् फसल की ठीक कीमत चाहिए . तिस पर राजस्थान मैं रानी का दंभ , मध्य प्रसेश के व्यापम काण्ड ने सरकार की छवि धूमिल अवश्य की थी . अडवाणी खेमे के बेवजह  अपमानित नेता विपक्ष के साथ मिल गए जिससे सरकार पर विश्वास कम हुआ . राफेल पर सरकार अपना पक्ष जनता को नहीं बेच सकी .सो सब तरफ से दुःखी जनता  ने अपना गुस्सा अन्ततः  सरकार पर निकाल दिया . कांग्रेस मुक्त भारत का सपना देखने वाली सरकार अब २०१९ मैं कहीं  बी जे पी मुक्त भारत न हो जाय इसके लिए कमर कस कर लड़ेगी .

ऐसा नहीं है  की सरकार की उपलब्धियां नहीं हैं . परन्तु प्रधान मंत्रि न तो अपनी मजबूरी बता सके न ही वित्त विभाग को ठीक कर सके . उदाहरण के लिए नोट बंदी को लें . जनता ने प्रधान मंत्रि की काले धन के विरूध मुहीम का स्वागत किया . परन्तु अंत में  न तो किसी को सज़ा हुयी , न किसी का काला धन ज़ब्त हुआ , उतना पैसा फिर बाज़ार मैं आ गया और घरों की और अन्य चीज़ों की बिक्री बंद हो गयी . सिर्फ जनता ठगी गयी .लाखों मजदूर बेरोजगार हो गए . अगर सरकार कुछ बड़े लोगों के काले  पैसे ज़ब्त करती तो जनता संतुष्ट हो जाती . परन्तु अब तो ऐसा प्रतीत होता है की नोट बंदी की  आड़ मैं रिश्वत लेकर सब का काला धन सफ़ेद हो गया . वित्त मंत्रि के क्रेडिट कार्ड , डिजिटल मनी  जैसे हास्यपद बयानों ने सरकार की साख बहुत गिरा दी . सरकार नोट बंदी  मैं भ्रष्टाचार के आरोपों से अपनी रक्षा नहीं कर सकी . फिर रफाल की खरीद पर सरकारी दलील जनता को नहीं पची क्योंकि मूल्य वृद्धी के कारणों को छुपाया गया . . वित्त मंत्रि एक सफल वकील की तरह दलीलों से  झूठ  को सच बनाते रहे बिना यह समझे की जनता सब जानती है और उनकी झूठी  दलीलों से उल्लू नहीं बनने  वाली  . विकास के दावे इस लिए अमान्य हें कि  सिवाय सड़कों व् जल मार्गों के देश मैं कहीं भी विशेष उल्लेखनीय विकास व् प्रगति व् दीख नहीं रही है . राज्यों में बी जे पी की लम्बे समय से सरकारें थीं . उनकी साख भी गिर रही थी .छतीसगढ़ मैं सरकार सुस्त हो गयी थी . चावल वाले बाबा बहुत अच्छे नेता थे और सरकार भी अच्छी थी  परन्तु वह गरीब के लिए कुछ नया नहीं कर सके. राजस्थान मैं वसुंधरा का अहंकार और जाटो का गुस्सा ,मध्य परदेश मैं व्यापम काण्ड इत्यादि ने बी जे पी को तीस साल तक सत्ता मैं रहने वाले ज्योति बासु से कम सिद्ध कर दिया .

परन्तु एक पुरानी  कहानी है की ऊँगली कटने से राजा बलि होने से बच  गया . इन पञ्च राज्यों की हार सिर्फ उँगली कटना है . यह २०१९ की बड़ी पराजय से बचा सकता है यदि सरकार अब भी  अपनी गलती समझ कर सुधार करे व् बाबुओं के बहकावे से बाहर  निकले.

प्रश्न है की आगे क्या किया जाय . कोई भी सोनिया गाँधी के भ्रष्ट व् हिन्दू विरोधी युग की वापसी नहीं चाहता . परन्तु एक इमानदारी से सब को दीखने वाली अपनी उपलब्धियां  व् गलतियां बताने वाली सरकार चाहता है , झूठे वादों व् दावों वाली सरकार नहीं  . प्रधानमन्त्री की इमानदारी की छवि अभी बरकरार है . उन्होंने विदेशों मैं भारत की छवी बहुत सुधारी है . गरीब जनता के लिये बिजली , गैस ,बैंक अकाउंट ,घर , स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराईं हैं . किसानों की फसलों का बीमा करवाया है .परन्तु इन का फायदा कुछ  विशिष्ट  वर्ग को हुआ है . वाजपेयी व् नर सिम्हा काल सरीखे सब को दीखने वाले सर्वांगीण आर्थिक व् औद्योगिक  विकास से व्यापक संतोष होता है जिसमें सरकार असफल रही है .

सरकार को गाँव में छोटे किसानों को सस्ते ऋण , बीज व् खाद देनी  होंगी क्योंकि बहुत छोटा किसान सिर्फ अपने खाने लायक भर ही उगा पता पता है .  फसलों का समर्थन मूल्य इस वर्ष छह से सात  फीसद बढ़ाना होगा . और किसी तरीके से किसान संतुष्ट नहीं होंगे. माध्यम वर्ग को टैक्स मैं राहत देने का पुराना  वचन पूरा करना चाहिए .टैक्स की हर स्लैब  को पाँच लाख बढ़ाना संभव व् ज़रूरी है . उद्योगपतियों व् व्यापारियों का टैक्स व् अन्य बाबुओं वाला  दोहन कम करना होगा . उनका उत्पीडन बंद होना चाहिए. हज़ारों करोडपति व् उद्योगपति उत्पीडन से तंग आ कर देश झोड़ कर विदेशों में बस रहे हें जिससे देश को भारी हानि  हो रही है . विदेशी निवेश मैं अब बिना मांग बढाए बड़ी वृद्धि संभव नहीं है . जो आसान था वह किया जा चुका है . अब तो विकास के लिए साहस  व् मेहनत  करनी होगी . इसलिए ज़मीन खरीदने  व् औद्योगिक कानूनों  मैं चुनाव के बाद परिवर्तन करना होगा . क्योंकि बिना निर्यात बढाए अब और विदेशी  पूँजी निवेश नहीं बढ़ सकता . अगली सरकार को नहीं तो जल्दी ही छठी का दूध याद आ जाएगा और मंत्रियों व्  बाबुओं का झूठ व् लम्बे वादे  जनता नहीं मानेगी . कुछ परिवर्तन प्रधान मंत्रि को अपनी कार्य शैली मैं भी करना होगा . नरसिम्हा राव व् वाजपेयी की विनम्रता व् सब को साथ लेने की क्षमता ने बड़े परिवर्तन बिना विरोध के संभव कर दिए. विरोधियों से बना कर चलना शायद सरकार को सीखना पड़ेगा .पर यह लम्बी बातें हैं .

पर अभी तो सरकार को अपनी साख पुनः स्थापित करने को प्राथमिकता देनी होगी . जिसके लिए बजट मैं सस्ता ऋण व् फसलों के  समर्थन मूल्य मैं वृद्धि   ,मध्यम वर्ग के करों की दर मैं कटौती , सेना को पोलिस की ऍफ़ आई आर से मुक्ती ,उद्योगपतियों का बाबुओं वाला  दोहन बंद करना होगा . प्रधान मंत्रि को नोट बंदी के गुनाहगारों को सज़ा अवश्य देनी होगी नहीं तो रफल की तरह बड़े भ्रष्टाचार के आरोपों में फंस जायेंगे . वित्त मंत्रालय के रिश्वतखोरों की बात को अन्सुना कर शीघ्र ही कम से एक लाख करोड़ काला धन  जब्त करना होगा . समय कम है सरकार को इज्ज़त बचने के लिए तुरंत कार्यवाही करनी होगी .

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