मेनकास्त्र : शक्तिशाली पुरुषों को गिराने का नया अमोघ अस्त्र
वैसे तो मेनका को इंद्र ने हजारों वर्ष पूर्व विश्वामित्र की कठोर तपस्या से घबरा कर उनकी तपस्या भंग करने के लिए भेजा था . वह अपने इस उद्देश्य मैं कामदेव की मदद से विश्वामित्र के चारों और नृत्य कर सफल हो गयी . भोले भले विश्वामित्र चालाक मेनका के अन्दर छुपे इंद्र के जासूस के स्वरुप को नहीं पहचान सके और मेनका के झूठे प्रेमपाश में फंस गए . प्रेम के उद्भव होते ही उनकी तपस्या भंग हो गयी और इंद्रा सुरक्षित हो गए . विश्वामित्र मेनका के प्रेम से शकुन्तला का जन्म हुआ जिनके और दुष्यंत के प्रेम विवाह से उत्पन्न पुत्र भरत के ऊपर भारत का नामकरण हुआ .
इसलिए जिस भारत का नामकरण ही मेनका के नाती भरत पर हुआ उस मैं शक्तिशाली पुरुषों को गिराने के लिए मेनकाओ के उपयोग की कला में बहुत लोग पारंगत हें . यहाँ किसी ने विश्वामित्र की तपस्या सफल होने पर समाज के लाभ पर चर्चा नहीं की . मेनका के सेक्स के दुरूपयोग पर किसी ने इंद्र की या मेनका की भर्त्सना नहीं की . यहाँ तक की आज की सीता के त्याग और द्रौपदी पर सदा भाषण की लिए तैयार तथाकथित आधुनिक महिलाओं ने भी मेनका की कभी भर्त्सना नहीं की और उसे अपनी चुप्पी द्वारा परोक्ष रूप से समर्थन दिया . यदि विश्वामित्र ने यही हिमाकत मेनका के साथ की होती तो आज की सभी अपने को मॉडर्न कहाने के लिए उत्सुक महिला मंडलियाँ , नारी उत्पीड़न पर धरने दे रही होतीं और कोई महिला कोर्ट विश्वामित्र को नारी अवमानना नोटिस भी भेज देता और महिला मंत्रालय कोई एक और भयंकर इकतरफा कानून बनवा देता .
समाज के इसी दोगले पन को ध्यान में रख आधुनिक शक्तिशाली इन्द्रों ने अब एक नए मेनका अस्त्र विकसित कर लिया है जो पुराने ब्रह्मास्त्र से भी अधिक शक्तिशाली है . यह अस्त्र अमोघ है और बड़े से बड़े पुरुष को मार कर ही वापिस आता है . और कोई इसके प्रयोग के औचित्य को नहीं पूछता . अब तो कोई विश्वामित्र के फंसने का साक्ष्य भी नहीं माँगता . सिर्फ मेनकाओ का मात्र कह देना ही विश्वामित्र के दोषी करार देने के लिए काफी है . इस का एक नया रूपात्रण हुआ जब दस बीस साल पहले हुए सेक्सुअल तथाकथित उत्पीडन को प्रेस के सामने बखान कर बहुत असफल अभिनेत्रियों ने इतनी शोहरत पा ली जो अपने कलाकार कार्य काल में नहीं पा सकी .
जब आई एम् ऍफ़ के फ्रांस के निष्पक्ष प्रमुख Straus Kahn अमरीका के दबाब में नहीं आये तो अमरीका ने तुरंत मेनका अस्त्र का प्रयोग किया और वह चरों खाने चित्त हो गए और किसी सामान्य महिला को उनकी जगह बिठा दिया गया . इसी तरह जब भारत के पचौरी की प्रदुषण व् मौसम के गरम होने की भविष्य वाणियाँ अमरीका को दुरूह लगीं तो एक और अमरीकन मेनकास्त्र ने उन्हें धराशायी कर दिया . आसाराम बापू को दशकों पुराने बलात्कार के केस मैं फंसा दिया . हो सकता हो वह ठीक हो परन्तु इतने अंतराल के बाद फैसले की विश्वसनीयता नहीं होती .
इन सफलताओं ने मेन्कास्त्र के उपयोग करने वालों का साहस बहुत बढ़ा दिया .इसका चरमोत्कर्ष तब हुआ जब सब को नैतिकता का ज्ञान देने वाले सर्वोच्च नायालय के मुख्य न्यायाहीश पर एक साधरण मेनका ने किसी इंद्र की रक्षार्थ स्वयं यह अस्त्र चला दिया . परन्तु अब मुख्य न्यायाधीश ने दो भूतपूर्व महिला न्यायाधीशों की जांच रिपोर्ट को ढाल बना इस अस्त्र से अपनी रक्षा कर ली प्रतीत होती है .
परन्तु दफ्तरों में काम करने वाले लाखों जन साधारण की मेनकास्त्र से रक्षा कौन करेगा . वह सब लिख कर दे सकते हैं की उन्हें महिला कर्मियों के साथ काम करने मैं कोई दिलचस्पी नहीं है. वह उनके साथ किसी कमरे मैं नहीं बैठना चाहते . वह न तो उन्हें न अपने नीचे के कर्मचारी न ही ऊपर के अफसर के रूप मैं चाहते हैं . सब के घर में पत्नियाँ हैं जो अकेली ही उनके सब जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी हैं और उन्हें किसी अन्य महिला में दिलचस्पी नहीं है .कँगना रानौत व् हृतिक या गौतम गंभीर व् आतिशी का चुनावी दंगल का सही विश्लेषण होना चाहिए .
वास्तव मैं जब तक महिला और पुरुष दोनों को सेक्स के दुरूपयोग का बराबर का दोषी नहीं माना जाएगा इस समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं है. पुरुष को सदा दोषी मानना गलत होगा .जो महिलायें बॉलीवुड की प्रीती जैन की तरह नारी देह का नाजायज़ फायदे पाने के लिए प्रयोग करती हैं वह अपनी देह का सौदा करती हैं और पुरुष उनका उत्पीडन नहीं करते हें .महिलाओं का वेतन और उत्पादकता पुरुषों से कम होती है . परन्तु इस अंधी महिला वोट की दौड़ ने उनको झूटा बराबरी का पाठ पढ़ाया जा रहा है . अच्छा होगा की महिलायें स्वयं अपनी उपयोगिता का निष्पक्ष मूल्याङ्कन करें .
मेनकास्त्र सेक्स का घ्रणित उपयोग है और इसमें लिप्त महिलाओं को सज़ा होनी चाहिए क्योंकि यह पुरुषों का सेक्स शोषण माना जाना चाहिए. अन्यथा सेक्स को एक महिला व् पुरुष के बीच सिविल मामला माना जाय जैसा की न्याय मूर्ती मिश्रा अपने विवाहोत्तर सेक्स संबंधों वाले फैसले मैं लिख गए हैं .
विशाखा कानून का पुनर्वलोकन भी अब आवश्यक है क्योंकि इसके सरासर दुरूपयोग से पुरुषों का उत्पीडन हो रहा है ..
One Response to “मेनकास्त्र : शक्तिशाली पुरुषों को गिराने का नया अमोघ अस्त्र”