सावधान ! बांग्लादेश भारत से आगे जा रहा है : Over the past 3 years, GDP in dollar terms has grown 12.9%, more than twice our rate
पिछले पाँच वर्षों से भारत की अर्थव्यवस्था तो झूठे आंकड़ों के माया जाल में फंसी रही . सरकारी आंकड़ों से हम अपने आर्थिक विकास के प्रति आश्वस्त रहे हालांकि हमें कहीं भी बहुत बड़ा विकास होता दीख नहीं रहा था . तिस पर इंदिरा गाँधी युग के समाजवादी ‘ गरीबी हटाओ’ जैसे नारों की नए रूप में खतरनाक वापिसी व् बड़े उद्योगपतियों व् अमीरों की धर पकड़ ने आर्थिक जगत को बेहाल कर दिया . परन्तु जनता भी भूल गयी की सरकार बिना नए विकास के गरीबों में बांटने के लिए पैसा कहाँ से लायेगी ? जनता के मूल प्रश्न कोई नहीं पूछ रहा और टीवी चैनल जनता को गाय के गोबर व् तीन तलाक़ की अफीम खिला कर अपनी रोटी कमा रहे हें . बची खुची कसर बालाकोट ने पूरी कर दी जिस ने हमारी मुंबई के बाद से दबी हुई सैन्य हीन भावना को एक बार थोड़ी देर के लिए ही सही दूर तो किया और हम अपने बाकी दुःख भूल गए. .
इस स्वपन लोक ने घर में पडा नौकरियों का अकाल , स्थिर खेती , उद्योगों की बढ़ती हुई कठिनाइयां , बिना बिके घर व् कारें और अब अचानक अरविन्द सुब्रमनियन व् राजन के बयानों ने हमारे झूठे आर्थिक विकास के दावों की पोल खोल दी . अब हम विश्व भर में पड़ रहे ओलों से सर छुपाने की जगह ढूंढते फिर रहे हैं क्योंकि पुरानी कहानी के राजा के वस्त्र नहीं होने की खबर अब शहर में फ़ैल चुकी है.
बंगलादेश कब चुपके से हम से आगे बढ़ गया किसी को कानों कान नहीं पता चला .आज बांग्लादेश की औसत अनुमानित आयु ७२.८ साल है जबकी भारत में अनुमानित आयु मात्र ६८ साल है. बांग्लादेश की आर्थिक विकास दर हमसे एक प्रतिशत अधिक है ( ७.८%). बांग्लादेश की बच्चों की मरने की संख्या २७/१००० है जबकि भारत की ३२/१००० है. बांग्लादेश का कपड़ों का उद्योग तो विश्व बाज़ार मैं छाया हुआ है और अब भारत को कहीं पीछे छोड़ चुका है . भारत का रुपया हिचकोले खाते हुए ७४ रूपये डॉलर तक गिर कर अब सुधरा है . बांग्लादेश का टका इस दौरान स्थिर रहा . हम गाल बजाते रहे और सारे विश्व में घूमते रहे और कछुए की भांति बांग्लादेश सर झुकाए आगे बढता रहा और शीघ्र ही बडबोले खरगोश भारत को पीछे छोड़ देगा .
हम तो चीन की बराबरी का सपना देख रहे थे . बांग्लादेश के ग्रामीण बैंक की महिमा से और दृढ निश्चयी सरकार ने हमारी तरह ज़मीन व् लेबर की तकलीफों को सर पर नहीं चढ़ कर बोलने दिया . तो फिर जो हुआ वह तो होना ही था . अब सोचना यह है की क्या हम सारे विश्व में फेल हुए ‘ गरीबी हटाओ ‘ जैसे साम्यवादी नारों के झुन झुनों से अपने को बहलाते रहेंगे या वास्तव में कुछ कर के दिखाएँगे . छप्पन इंच की छाती तो जनता के विरोध के बावजूद उसे कडवी दवा पिलाने में है जो हमारी गरीबी की पीड़ा मिटा सके . शेख हसीना ने छपन इंच की छाती का दावा तो नहीं किया परन्तु भारत को हावी हुए बिना चीन भारत को संतुलन मैं अवश्य रखा . श्रीलंका की नई सरकार ने भी कोई बड़ा कॉन्ट्रैक्ट भारत को नहीं दिया . मालदीव व् नेपाल भी सिर्फ लेने के लिए खड़े हैं . अफगानिस्तान तो तालिबान के हाथ जाने को तैयार है .
भारत को अपनी आर्थिक स्थिति का कठोर मूल्यांकन करना होगा . संसार मैं आर्थिक ताकत विदेशी व्यापार व् निर्यात से नापी जाती है . आपने अपने घर में क्या बना कर खाया उससे किसी को मतलब नहीं है .
झूठे आंकड़ों की ओट अवरुद्ध विकास की बरसात से नहीं बचायेगी न ही बिना सच्चे औद्योगिक विकास के गरीबी कम की जा सकेगी .यदि मोदी जी जनता को नोट्बंदी बेच सकते हें तो सच्चा विकास भी दे सकते हें यदि व्ह बाबुओं के मकडजाल से बाहर निकल चीन , सिंगापूर और अब तो शेख हसीना ही कुछ सीख लें .
भारत को गुजरात के सफल मोदी की जरूरत है झूठे आर्थिक विकास के आंकड़ों के जाल मैं फंसे मोदी की नहीं!
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At current rates, Bangladesh could top India’s per capita income by 2020
Also, over the past 3 years, GDP in dollar terms has grown 12.9%, more than twice our rate
Krishna Kant – Business Standard
In the three years ending 2016, Bangladesh’s gross domestic product (at current prices) in dollar terms grew at a compounded annual rate (CAGR) of 12.9 per cent, more than twice India’s 5.6 per cent. Over the same period, Pakistan grew faster than India too, at a CAGR of 8.6 per cent, driven by a surge in investment and export. The Chinese economy expanded at an annualised 5.2 per cent.
As a result, per capita income (in dollar terms) in Bangladesh is now growing at nearly thrice the pace of income growth in India. At $1,355 in 2016, Bangladesh’s per capita income was up 40 per cent in three years against 14 per cent growth in India and 21 per cent growth in Pakistan. At this rate, Bangladesh’s per capita income would top India’s by the year 2020. Currently, a typical Indian has 25 per cent higher income than her eastern neighbour; in 2011, Indians earned 87 per cent more.
India was the top performing economy in South Asia for the 40 years between 1970 and 2010. Annualised GDP growth of 8.7 per cent in dollar terms at current prices against Bangladesh’s 7.6 per cent and Pakistan’s 6.7 per cent. (See the adjoining charts)
Bangladesh is also ahead of India in the human or social development indicators of infant mortality rate and life expectancy at birth. A newborn in Bangladesh is more likely to see her fifth birthday than her Indian or Pakistani counterpart. She is also likely to live longer in Bangladesh (72.5 years) than India (68.6 years) and Pakistan (66.5 years).
Bangladesh’s economic success lies in its ability to plug itself into the gap created by the slowdown in the Chinese export engine as policymakers in Beijing shift their focus to pushing domestic demand and investment and away from exports. Total exports from China declined to $2.2 trillion in 2016 from a record high of $2.35 trillion three years ago, creating space for others in the global market for labour intensive consumer goods.
India missed this bus as evidenced by a contraction in exports during the period. Instead the country’s growth is being largely driven by consumption even as savings, investment and exports reduce. India’s total exports of goods & services declined to $433 billion in 2016 from record high of $488 billion during 2013 calendar year.
The contrast shows in the Bangladesh’s headline statistics. In last three years, the country’s exports of goods & services grew at a CAGR of 7 per cent in dollar terms against 3.9 per cent annualised contraction in India’s export during the period. In the same period, capital formation or investment in Bangladesh grew at a CAGR of 14.5 per cent against investment stagnation in India.
Economic growth in Pakistan is largely driven by capital formation and consumption demand financed by a surge in foreign investments mostly from China as the latter invests close to $60 billion in upgrading Pakistan’s power and transport infrastructure.
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