भारत को तेल उत्पादन में कुवैत बनने से कौन रोक रहा है ?

भारत को तेल उत्पादन में कुवैत बनने से कौन रोक रहा है ?

राजीव उपाध्याय

rp_RKU-263x300.jpg       आज भारत अपनी विदेशी मुद्रा का लगभग एक तिहाई कच्चा तेल खरीदने पर खर्च कर रहा है .यदि भारत तेल उत्पादन मैं स्वाबलंबी हो जाय तो उसकी गरीबी पंद्रह साल मैं खत्म हो जायेगी और वह एक विश्व शक्ति बन जाएगा .वर्षों से हमें लगता था की भारत को प्रभु ने तेल के सिवाय सब कुछ दिया है . परन्तु अब इसके गलत होने की संभावनाएं बहुत प्रबल हैं . एक भारतीय वैज्ञानिक सूर्य प्रकाश कपूर ने दावा किया है की अंडमान द्वीप समूह मैं तेल के अपार भण्डार हैं जो कभी नहीं समाप्त होंगे . मिडिल ईस्ट के तेल के भण्डार खत्म नहीं हो रहे बल्कि बढ़ रहे हैं . यह इसलिए की वहां टेक पृथ्वी की गर्म प्लाटों के टकराने से बेहद ऊंचे तापमान पर कैल्शियम कार्बोनेट व् पानी को तेल मैं बदल देती है . इस प्रक्रिया को अमरीकी वैज्ञानिकों ने समझा और तब से यह जान गए हैं की सऊदी अरेबिया जैसे देशों का तेल का  भण्डार कभी नहीं खत्म होगा .भारत के वैज्ञानिक सूर्य प्रकाश कपूर गत कई वर्षों से भारत सरकार का ध्यान इस और आकर्षित कर रहे हैं परन्तु धर्मेन्द्र प्रधान जैसे नवयुवक मंत्रि भी इस और ध्यान नहीं दे रहे हैं .

भारत मैं ऐसी जगह जहां यह प्रक्रिया हो रही है ( Subduction zone ) अंडमान द्वीप समूह मैं हो रही है .ठीक यही प्रक्रिया इंडोनेशिया मैं भी हो रही है और उसने तेल निर्यात शुरू कर दिया है .भारत की बाबुशाही सिर्फ  न नुकुर कर रही है . तेल के कुँए खोदना बहुत खर्चीला होता है . यहाँ तक की बाड़मेड  मैं जहां आज लाखों बैरल तेल रोज़ निकल रहा है रिलायंस समेत कोई भारतीय कंपनी तेल नहीं ढूंढ पाई थी पर Cairn को मिल गया . भारत की तरह इजराइल भी रोता था की उसे इश्वर ने तेल नहीं दिया और पचास वर्षों के प्रयास मैं उसे असफलता मिली . परन्तु उसके भाग्य बदल गये जब   Energean  कंपनी को गैस के बड़े विशाल भण्डार वहां मिल गए .भारत भी वहां अपना भाग्य आजमा रहा है . परन्तु अभी हाल मैं पकिस्तान के कराची के समुद्र मैं खुदाई के बाद भी तेल नहीं मिला . भारत की बाबुशाही न तो कोई खतरा ले सकती क्योंकि सफलता पर तो कुछ नहीं मिलेगा पर असफलता पर जिन्दगी भर सीबीअई के चक्क्कर लगेंगे और शायद पेंशन भी खतरे मैं पड़ जाए .

परन्तु श्री अब्दुल कलाम की जीवनी ‘ Wings of Fire ‘ मैं वर्णन है की रक्षा मंत्रि तत्कालीन वेंकट रमण ने अब्दुल कलाम जी से पूछा की क्या तुम भारत के लिए मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित कर सकते हो और उसमें कितना खर्च होगा ? वह फाइल लेकर श्रीमती इंदिरा गाँधी के कमरे मैं गए और २८० करोड़  का प्रोजेक्ट की स्वीकृति ले आये . आज जब भारत मिसाइल क्षेत्र मैं इतनी प्रगति कर रहा है उसके पीछे श्रीमती गाँधी का भारतीय वैज्ञानिकों पर विश्वास है और असफलता पर किसी को सूली पर नहीं लटकाया बल्कि उसको दुबारा प्रयास करने का बल दिया.आज जो बाबू रोज़ तेजस की देर को गाली देते हैं उन्हीं पेन घसीटने के अलावा क्या आता है ? वह सिर्फ मंत्रियों के सानिध्य का अनुचित लाभ उठा कर एच ए एल व् डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को हतोत्साहित  कर ,अपनी पेंशन बचने मैं लगे हुए हैं.

नीचे दिए दो वीडियोस को देखें . भारत के तेल क्षेत्र मैं स्वाबलंबी होने की प्रबल संभावनाएं हैं .परन्तु प्राइवेट सेक्टर जिसने कभी कोल ब्लॉक्स खरीद कर ब्लैक करने के लिए रख लिए उससे तेल खोजने के लिए रिसर्च करने की आशा व्यर्थ है . पर लालच मैं वह किसी और को भी नहीं आगे आने देंगे . उनका उद्देश्य सारे तेल भण्डार को अपनी सम्पत्ती बनाने मैं है .वह किसी विदेशी कंपनी को ढूंढते रहेंगे जो उनके लिए खतरा भी उठाये और उन्हैं घर बैठे मोटी कमाई मिल जाये . बाबु भी इसमें खुश हैं उनको रिटायरमेंट के बाद नौकरी मिल जायेगी .देश जाय भाड़  में .

प्रश्न है की यदि श्रीमती गाँधी भारतीय वैज्ञानिकों का विश्वास कर सकती थीं तो सूर्य प्रकाश कपूर जैसे वैज्ञानिकों को क्यों नहीं मौक़ा दिया जा रहा .नीचे दिए विडियो देखें

 

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