दिल्ली मैं वुहान की तरह ढाई हज़ार बेड्स के चार अस्थाई कोरोना अस्पताल , उत्तर , दक्षिण , पूरब व् पश्चिमी दिल्ली के खेलों के स्टेडियम मैं तुरंत बनाएं

दिल्ली मैं वुहान की तरह ढाई हज़ार बेड्स के चार अस्थाई कोरोना अस्पताल , उत्तर , दक्षिण , पूरब व् पश्चिमी दिल्ली के खेलों के स्टेडियम मैं तुरंत बनाएं      – राजीव उपाध्याय rp_RKU-263x300.jpg

 

दिल्ली की कोरोना मरीजों की संख्या दि दूनी रात चौगुनी बढ़ रही है . देश की राजधानी होने के कारण सारे भारत के लोग दिल्ली  आ रहे हैं . स्वयं लाखों दिल्ली वासी सस्ते घर के लिए नोइडा , गाजिआ बा द , फरीदाबाद्व  व् गुरुग्राम मैं बस गए हैं क्योंकि दिल्ली के घर तो अब करोड़ों के हो गए हैं . उनको व अन्य को दिल्ली आने से रोका  भी नहीं जा सकता  इससे देश की एकता व्अखंडता पर सवाल उठ जायेंगे. दिल्ली सरकार के सीमित संसाधनों मैं उपयुक्त सुविधा नहीं  दी जा सकती . दिल्ली निवासी कोरोना मरीजों को लेकर दर दर भटक रहे हैं . सब अस्पतालों को करोना का घोषित कर अन्य बीमारियों का इलाज़ बंद सा हो गया है . वह अन्य रोगों के मरीज़ किधर जाएँ . कोई एक दिन की बात तो है नहीं यह तो अभी कम से कम छः महीने और ऐसे ही चलेगा . देश का लॉक डाउन से जो नुक्सान हुआ है उसे भरने मैं दो साल लग जायेंगे. अनेक उद्योग व् सस्थान तो हमेशा के लिए बंद हो जायेंगे . इसलिए लॉक डाउन को दुबारा नहीं लगाया जा सकता .

हमें बहुत बीमारों का इलाज़ करने को तैयार होना होगा . जहाँ तक हो घर पर रहें परन्उतु बीस हज़ार मरीजों को दिन मैं चार बार नेट पर संपर्धक कर आश्रवस्त करना होगा . दूसरी तरफ नगरनिगमों के डॉक्टर समेत अन्य कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा है .इसे राजनीती का मुद्दा न बनाया जाय .लोगों की जान को राजनीती की बलि देना  अत्यंत अमानवीय कृत्य होगा . कम से कम चारों जोन मैं पचास डॉक्टर व् तीन सौ नर्सों को सिर्फ नेट सर्विस के लिए उपलब्ध करना होगा जो घरों के मरीजों को  रोज़ देख सकें .

दिल्ली के लिए केंद्र सरकार को चीनी फैसलों की तरह बड़े फैसले लेने होंगे . चीन ने तो पूरे वुहान शहर के नागरिकों को एक करोड़ टेस्ट कर दुबारा चेक कर लिया . भारत सरकार को दिल्ली के इंडोर व् अन्य खेलों के स्टेडियम को तुरंत दो हज़ार बेड वाले अस्थाई अस्पतालों मैं परिवर्तित कर देना चाहिए . खेल तो फिर लेंगे , जब जियेंगे तभी तो खेलेंगे . बड़े स्टेडियम मैं अस्थाई अस्पताल बनाने की सब सुविधा उपलब्ध है . उन मैं आने व् जाने को नियंत्रित किया जा सकता है . भोजन , पानी व् शौचालयों की सुविधा दी जा सकती है . खेल स्टेडियम अस्थाई अस्पतालों के लिए  स्कूलों  से ज्यादा उपयुक्त हैं . बरसात मैं खुले मैं टेंट नहीं लगाए जा सकते .इसलिए इन

डोर स्टेडियम ही सर्वथा उपयुक्त हैं . सरकार को राष्ट्रीय हित मैं  खेल अधिकारियों के द्वन्द से बाहर निकलना होगा .

मुंबई व् दिल्रली भारत की शान हैं . यहाँ फ़ैली अफराह  तफरीह अन्तराष्ट्रीय लज्जा का विषय बन जायेगी . सरकार को तुरंत इन दोनों शहरों के लिए विशेष कदम उठाने चाहिए .

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