Bolton On China , India and Trump’s America : चढ़ जा बेटा सूली पर भला करेंगे राम : इस जग में नहीं कोई अपना रे
भारत मैं पिछले कुछ वर्षों एक खुश फहमी खूब जोरों शोरों से बेची जा रही है कि भारत अब अमरीका के लिए बहुत महत्व पूर्ण हो गया है और अमरीका अब भारत को अपना सहयोगी देश मानता है और चीन के विरुद्ध वह भारत को एक धुरी की तरह विकसित करना चाहता है . भारत की जनता, चाँद की तरह, अमरीका की रौशनी मैं चमक कर इतरा रही थी कि चीन ने गलवान व लद्दाख मैं आक्रमण कर देश को उसके पिद्दीपन से फिर आगाह कर दिया . यह पिद्दीपन हमारी रक्षा को बजट मैं लगातार कमी की देन है .मुंबई व् पार्लियामेंट के हमले से लद्दाख तक हम हर हमले तक सोते रहते हैं और हमले के बाद दुनिया मैं भाग दौड़ कर कुछ हथियार इक्कट्ठे करते हैं पर अंत मैं हथियारों की कमी से लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाते . गत वर्षों मैं मीडिया में सच को छुपा कर जनता को व्यर्थ की अमरीकी मृग मरीचिका में फंसा ने जो मुहीम छिड़ी हुयी है वह अब राष्ट् के लिए घातक हो गयी है . भारत अमरीका व् चीन के बारे मैं टीवी चेनलों मैं सच कम और झूठ अधिक परोसा जा रहा है .
जनता को भारत अमरीकी रिश्तों का पूर्ण सत्य जानना आवश्यक है .
अमरीका भारत को रूस का पिठ्ठू माना करता था . भारत के १९९८ के परमाणु परिक्षण के बाद अमरीका के राष्ट्रपति क्लिंटन ने भारत पर कड़े प्रतिबन्ध लगा दिए थे. परन्तु १९९९ के कारगिल युद्ध के बाद अमरीका का पाकिस्तान से मोह भंग हो गया . क्लिंटन के वर्ष 2000 के भारत दौरे मैं अमरीकी विचारों मैं परिवर्तन दीखने लगा . भारत ने अपना बाज़ार विश्व के लिए खोल दिया था और अमरीका को उसमें कुछ लाभ की संभावनाएं दीखने लगीं . भारत के जसवंत सिंह व अमरीका के टैलबोट मैं बातचीत के चौदह राउंड हुए और भारत अमरीकी मित्रता का एक नया मूलभूत ढांचा तैयार हुआ . २००६ की राष्ट्रपति बुश की यात्रा व् नुक्लेअर डील ने अमरीका व् भारत के संबंधों को एक अलग उंचाई दे दी और २००६ से २०१४ तक भारत अमरीका का सम्पूर्ण व्यापार चौगुना हो कर सौ बिलियन डॉलर तक पहुँच गया और इसका भविष्य का लक्ष्य पांच सौ बिलयन डॉलर का रखा गया .परन्तु २०१४ तक भारत अमरीका का कुल इक्कीस बिलयन डॉलर का माल ही खरीदता था और अपना पैंतालिस बिलयन डॉलर का माल बेचता था .२०१४ के बाद से भारतीय अर्काथ व्यवस्था का जादू कम हो गया और वैश्विक निर्यात कम हो गया . इसलिए भारत अमरीका के व्यापार की वृद्धि का रेट भी कम हो गया . सन २०१९ मैं भारत ने अमरीका से ३४ बिलियन डॉलर का सामान खरीदा और चौवन बिलियन डॉलर का सामान बेचा . इसके विपरीत २०१९ मैं अमरीका व चीन का व्यापार ५५४ बिलियन डॉलर था . अमरीका क्यों भारत को चीन से अधिक महत्व देगा ? भारत का आयात अमरीकी निर्यात का मात्र दो प्रतिशत है .
डा हेनरी किसिंजेर ने अपनी किताब ‘ न्यू वर्ल्ड आर्डर ‘ में भारत का कोई जिक्र ही नहीं किया . यही हाल हिलारी क्लिंटन की किताब ‘ हार्ड चॉइस ‘ का है जिसमें पाँच वर्ष के कार्य काल मैं उनको कोई उल्लेखनीय बात भारत के बारे मैं याद नहीं आयी .राष्ट्रपति ओबामा विश्व मैं घटती अमरीकी साख को रोकने के लिए भारत अमरीका को एक धुरी के रूप मैं विकसित करना चाहते थे परन्तु भारत ने चीन के मुकाबले के लिए आर्थिक साहस नहीं दिखाया . परन्तु राष्ट्रपति ट्रम्प की प्राथमिकता अमरीकी इकोनोमी है .परन्तु अमरीकी इकोनोमी डॉलर की अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा होने व् अमरीका के सुपर पॉवर होने से बची हुयी है और सिर्फ इसलिए वह अमरीकी सुपर पॉवर की रक्षा करेंगे .अब अफगानिस्तान के युद्ध के बाद अमरीका थक चुका है और वह एशिया मैं चीन को दूसरों के खर्चे व् सैनिकों की मदद से रोकना चाह रहा है . भारत न तो अमरीका को अपने सैनिक देगा न ही अमरीका के इरान जैसे व्यर्थ के के युद्धों मैं फंसेगा .भारत न तो अफगानिस्तान मैं सैनिक देगा न ही ईरान जैसे फालतू के युद्ध मैं फंसेगा . तो अमरीका हमारे लिए महाशक्ति चीन से क्यों लडेगा .
इसलिए भारत का अमरीका के लिए महत्त्व नगण्य है और नगण्य ही रहेगा .
अमरीका जब अपने यूरोप व् जापान जैसे से पुराने साथियों को रक्षा बजट बढ़ाने के लिए नाराज़ कर रहा है तो भारत की क्या बिसात है . चीन के लद्दाख पर हमले की पहली खबर पर रूस , यूरोप व अमरीका किसी समेत किसी देश ने भी खुल कर भारत का साथ नहीं दिया . जब बिहार रेजिमेंट की शौर्य गाथा सामने आयी तो अमरीका ने भारत के कहने पर कुछ साथ दिया और अपने जंगी जहाज़ चीन की तरफ भेजे . कुछ ब्रिटेन ने भी सायप्रस से स्वेज़ नाहर की तरफ जहाज़ भेजे . विश्व इस समय कोरोना के चलते चीन से त्रस्त है और भारत चीन के युद्ध से उस बदले को सस्ते मैं लेने की संभावनाओं को देख रहा है . दो साल बाद जब सब कोरोना को भूल जायेंगे . चीन की आर्थिक व् सामरिक ताकत के चलते फिर कोई देश भारत की मदद को नहीं आयेगा .
भारत को अपनी सामरिक व् आर्थिक ताकत को विकसित करना होगा . यह हर बार हमले तक सोना और बाद मैं हडबडा कर विश्व भर से हथियार खरीदने की प्रक्रिया से निकल कर बीस दिन के दोनों तरफ युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार होना होगा . बाबु यह कभी नहीं कर सकते . सेना अध्यक्षों को बीस दिन के युद्ध के लिए खरीद करने की स्वतंर्ता देनी होगी और सीबीअई , सी ए जी , सीवी सी जैसी संस्थाओं को युद्ध के फैसलों से बहुत दूर रखना पडेगा .अन्यथा सदा के लिए देश पछतायेगा . यह काम बाबुओं के बस का नहीं है . वह तुरंत निर्णय लेकर अपनी पेंशन कभी खतरे मैं नहीं डालेंगे चाहे फिर से बोफोर के लिए फूस रूसी गोले ही न खरीदने हों .हवाई जहाज , पनडुब्बी व् हथियारों की कमी को तुरंत दूर करना होगा . इसके लिए कम से कम सौ आधुनिक हवाई जहाज , बीस पनडुब्बी व् मिने स्वीपर किराए पर लेने होंगे . स्वदेशी हथियारों के बड़े आर्डर भी तुरंत देने होंगे . भारत के तेल के भण्डार भी कम से कम एक महीने के करने होंगे .
चीन चुप नहीं बैठेगा . अभी कोरोना के चलते वह शांति का ढोंग रचेगा . जैसे ही विश्व कोरोना को भूलने लगेगा वह अरुणाचल पर हमला करेगा . कमजोर भारत ने उसकी शक्ति को चुनौती दी है और वह इसका दंड अवश्य देगा . तैवान ,जापान ऑस्ट्रेलिया आसियान देश अकेले बहुत कमजोर हैं परन्तु अभी किसी रक्षा समझौते मैं नहीं बंधे हैं . इस लिए चीन के साउथ चीना सी मैं अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के उल्लंघन के बावजूद कोई देश किसी की युद्ध मैं सामरिक मदद नहीं करेगा .
भारत को अपनी रक्षा स्वयं करनी होगी .
हमारा देश हमारे विदेश विभाग की अमरीकी सहांयता की घुट्टी की आस मैं फिर से न फंस जाए इस लिए अमरीका के हाल के रक्षा सलाहकार बोल्टन का लेख नीचे पढ़ें जिसके अनुसार राष्ट्रपति ट्रम्प चीन से आर्थिक समझौते के बाद भारत के लिए चीन से युद्ध नहीं करेंगे .
‘He’ll be Back to Big China Deal’: Ex-NSA Bolton Says No Guarantee Trump Will Back India if Border Row Worsens
China has been behaving in a belligerent fashion all around its periphery, certainly in the East and South China sea, and its relations with Japan, India as well as others have declined, Bolton told WION TV in an interview.
On how far Trump was prepared to go to back India against China, he said, “I don’t know which way he would go and I don’t think he knows either. I think he sees the geostrategic relationship with China, for example, exclusively through the prism of trade.”
“I don’t know what Trump will do after the November elections once the guard rail is removed… He’ll be back to the big China trade deal. If things were to develop between India and China in a more critical fashion, I’m not sure where he would come down,” the former US envoy to the UN said.
Asked if he believes that if things were to escalate between India and China, there is no guarantee that Trump will back India against China, Bolton said, “That is correct”.
Bolton also said he does not think Trump knows anything about the history of these clashes over the decades between India and China. Trump may have been briefed on it, but history doesn’t really stick with him, said Bolton, who was the US NSA from April 2018 to September 2019 under the Trump administration.
“I think his gut instinct for the next four months is to take anything off the table that complicates what is already a difficult election campaign for him,” Bolton said.
“So what he (Trump) would want is quiet along with the border whether it benefits China or India. From his point of view — No news is good news,” he said.
The Indian and Chinese armies were locked in the bitter standoff in multiple locations in eastern Ladakh for the last eight weeks. The tension escalated manifold after the Galwan Valley clashes in which 20 Indian Army personnel were killed. Both sides have held several rounds of diplomatic and military talks in the last few weeks to ease tension in the reg
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