गजनी ,गौरी के समय राजा ,प्रजा तथा सेना सब धर्मनिष्ठ थे : देश को आर्थिक ,तकनीकी ,सैनिक व भावनात्मक रूप से सशक्त बनाना होगा : स्वदेशी अर्जुन टैंक,एमका जहाज़ , कावेरी इंजिन ,रुस्तम ड्रोन व तोपों को विदेशी प्रलोभनों से बचाना होगा
यदि इतिहास को पढ़ें तो दीखता है कि गजनी व गौरी के आक्रमण के समय भारतीय राजा व प्रजा दोनों धर्मनिष्ट थे , सैनिक समर्थ तथा बहादुर थे और युद्ध भूमि से डर कर भागे भी नहीं थे ,फिर भी हम लगातार विदेशियों से पराजित होते रहे और अंततः हज़ार वर्षों तक गुलाम रहे .
क्या आज हम इतिहास की पुनरावृति को रोक सकते हें ?
यदि पश्चिम या चीन से लंबा युद्ध हो तो संभवतः नहीं !
भारत टेक्नोलॉजी , आर्थिक क्षमता व भावनात्मक एकता से अभी भी कमज़ोर है . तालिबान या विएतनाम की तरह हम लंबा युद्ध नहीं लड़ सकते . भारतीय टेक्नोलॉजी मैं अभी भी लगभग पूर्णतः पश्चिम पर आश्रित हें . हमारी अर्थ व्यवस्था चीन , यूरोप , अमरीका से बहुत कमजोर है. कोई भी देश १००० करोड़ रूपये की रिश्वत से हमारी एकता को छिन्न भिन्न कर सकता है . विदेशी प्रोपगंडा से निरे नेता व पत्रकार पीड़ित हें . यहाँ तक हमारे एक भूत पूर्व प्रधान मंत्री को सीआई ए का एजेंट होने का दावा भी किया गया था और अफवाहों को मानें तो जिया उल हक़ को उसने देश के कुछ राज बता दिए थे . विदेशी पुरस्कारों के लिए लालायित पत्रकार , रिश्वत खोर बाबु ,कुर्सी के लिए बिके हुए नेताओं की आज भी देश मैं भरमार है .

The MBT Arjun Tanks passes through the Rajpath during the full dress rehearsal for the Republic Day Parade-2010, in New Delhi on January 23, 2010.
ऐसे मैं देश को अगले पच्चीस वर्षों तक ,सब से अधिक एक राष्ट्रभक्त , ईमानदार,सबल व प्रलोभन मुक्त प्रधान मंत्री की सबसे अधिक आवश्यकता है जो देश को विदेशी शक्तियों से बिकने से रोक सके . इसके अलावा देश के तकनीकी विकास कि सबसे अधिक आवश्यकता है . क्योंकि किसी युद्ध कि स्थिति मैं कोई विदेशी हमारे लिए नहीं लडेगा .
यह सर्वविदित है कि पूर्ण प्रगति के लिए आज से अधिक आर्थिक विकास की आवश्यकता है . आज की आर्थिक आंकड़ों की प्रगति जनता मैं नहीं दीख रही है जबकी आज से बीस साल पहले देश का बदलता स्वरुप सर्व विदित था. हर तरफ नयी नौकरियां थीं . पढ़ाई सार्थक थी .तो आज तो पढाई का लोन भी चुकाना मुश्किल है . १९६७ मैं जब मैंने आइआइ टी कानपूर मैं प्रवेश किया था तो फीस मात्र पच्चीस रूपये थी . आज उच्च शिक्षा मेधावी नहीं बल्कि सिर्फ अमीर छात्रों के लिए रह गयी है .गरीब मेधावी छात्र कहाँ जाएँ ? विदेशी पढाई तो एक करोड़ रूपये कि पड़ती है . इस सेठों की शिक्षा को पुनः पटरी पर लाने की आवश्यकता है.
देश कि आजादी के लिए प्रजातंत्र आवश्यक है . परन्तु वोट खरीदने के चलन से अब चुनावों मैं ७०००० – ९०००० करोड़ रूपये का अनुमानित खर्चा हो जाता है . इसलिए भ्रष्टाचार बेहद बढ़ रहा है . कोई वैकल्पिक व्यवस्था कि आवश्यकता है . सब केंद्र व राज्यों व संस्थाओं का देश मैं एक बार चुनाव होना इसका पहला कदम है . परंतु वोटर को वोट के लिए पांच सौ रूपये देने का इलाज़ करना बहुत ज़रूरी है .
आज हमारे जो स्वदेशी हथियार विकसित हो रहे उनके विरुद्ध विषाक्त प्रचार के पीछे सिर्फ विदेशियों कि रिश्वत होती है . हमें हर हाल मैं स्वदेशी अर्जुन टैंक , एमका हवाई जहाज़, रुस्तोम ड्रोन , कावेरी जेट इंजिन , दूर की तोपों , मिसाइल , satelite को विकसित करना होगा . आई टी मैं चीन की तरह स्वदेशी तकनीक का विकास भी आवश्यक है . अगले पच्चीस वर्षों मैं पश्चिमी जगत हमसे बहुत आगे रहेगा परन्तु इस गैप को कम करना ही हमारा उद्देश्य होना चाहिए . तब भी देश के पच्चीस प्रतिशत अत्याधुनिक हथियारों का आयात आवश्यक रहेगा .
सबसे खतरनाक रिश्वत से कराया गया राष्ट्र विरोधी प्रोपगंडा होता है . हमारी राष्ट्रीयता व एकता को इस खतरे से सुरक्षित रखना भी बहुत आवश्यक है .
इसलिए अगले पच्चीस वर्ष प्रलोभन मुक्त ,सशक्त प्रधान मंत्री होना बहुत आवश्यक है .