From Biden/Soros To Trump/Musk , German Thesis &Anti Thesis of Hegel’s Dialectics vs. French PLUS ÇA CHANGE, PLUS C’EST LA MÊME CHOSE
Shock Proofing India From Extreme American Exceptionalism : गरीब की लुगाई सब की भौजाई : छोटे जानवरों को जंगल के भेडियों से कौन बचाएगा
भारत समेत कई देश बहुत उम्मीद मैं थे कि अमरीकी चुनाव के बाद राष्ट्रपति बिडेन व उनके अरबपति गुरु जॉर्ज सोरोस और उनकी अंतर आत्मा हिलारी क्लिंटन व दिवंगत उपराष्ट्रपति डिक चेनी की पत्नी Lyne Cheney के अत्याचारों से मुक्ति मिलेगी . पर विश्व के सब देशों को क्या पता था कि वह आसमान से गिर के खजूर मैं अटकने जा रहे हें .
सोवियत यूनियन के टूटने के बाद अगले पांच सालों मैं ही अमरीका ने बेदर्दी से अपने पंख पसारने शुरू कर दिए और इस सिद्धांत को नाम दिया ‘ American Exceptionalism ‘ . इसका सारांश यह था कि अमरीकी हितों के आगे कोई अन्तराष्ट्रीय क़ानून , कोई देश , संयुक्त राष्ट्र संघ या कोई संस्था रुकावट बनी तो उसको हटा दिया जाएगा . इराक मैं सद्दाम के पास कोई परमाणु हथियार नहीं थे , कभी वह अमरीका का सहयोगी भी था ,परन्तु इराक को ऐसा नष्ट किया किया आज बीस साल मैं लाखों लोगों की मृत्यु के बाद भी इराक आज भी लड़ाई की आग मैं झुलसा हुआ है .यही हाल सीरिया , लीबिया इत्यादि का हुआ .
बिडेन प्रशासन ने पहले यूक्रेन को बर्बाद कर दिया फिर खुश हाल बंगला देश को सिर्फ एक द्वीप लेने के लिए अगले बीस सालों के लिए बर्बाद कर दिया . भारत को भी पूर्वोत्तर के ईसाई राज्यों को तोड़ने व किसान आन्दोलन , कनाडा समर्थित खालिस्तानी आन्दोलन इत्यादि अस्थिर करने के बहुत प्रयास किया . यह तो भारत का सौभाग्य था कि देश मैं एक मजबूत सरकार थी और हम बच गए .
एक प्रसिद्द जर्मन चिन्तक हेगेल ने एक सिद्धांत दिया था कि पेदुलम की तरह संसार एक अति से उलटी अति कि तरफ चलता रहता है और बीच मैं एक समन्वय का काल आता है . तो बिडेन से ट्रम्प उलटे पेंडुलम हें जोर्ज सोरोस से एलोन मस्क उलटे पेंडुलम हें . परन्तु एक फ्रेंच कहावत है कि चीज़ें जितनी बदलती हें उतनी ही और वही पुरानी रहती हें . इस के तहत चाहे ट्रम्प हों या बिडेन , एलोन मस्क हो या सोरोस सब एक हें , दुनिया पर अपने स्वार्थ थोपने से कोई पीछे नहीं हटेगा .
राष्ट्रपति ट्रम्प ने सब अंतर राष्ट्रीय कानूनों को ताक पर रख पानामा नहर , कनाडा देश , ग्रीन लैंड , ईरान सब पर अपना अधिकार बनाने कि मुहीम छेड़ दी है .वह भी बिडेन की तरह उतने ही खतरनाक होंगे . सिर्फ उनके दुश्मन बिडेन से अलग होंगे और शायद हथियार भी अलग हों . पर अमरीका के दोस्त और दुश्मन दोनों बराबर खौफ मैं हें . बड़े देश जैसे चीन , रूस , यूरोप , भारत तो कुछ ले देकर बच जायेंगे पर छोटे देशों को कौन बचाएगा . इस लड़ाई मैं द्वितीय विश्व युद्ध की तरह इंग्लैंड के तत्कालीन प्र्धान मंत्री चेम्बरलेंन की तरह सब युद्ध से बचते रहेंगे जब तक कि कोई भी विकल्प न बचे .
अंत मैं कुछ ही दशकों मैं यह सिद्धांत अमरीका को नष्ट कर देगा और इंग्लैंड की तरह वह भी सिर्फ एक बड़ा देश बन कर रह जाएगा पर सुपर पॉवर नहीं . पर तब तक बहुत देशो के करोड़ों लोग इस चक्की मैं बुरी तरह पिस जायेंगे .कौन बचेगा कैसे बचेगा कहा नहीं जा सकता . हो सकता है कि राष्ट्रपति ट्रम्प की ह्त्या के दुबारा प्रयास हों .
आज गरीब भारत , किसी से भी लड़ने योग्य नहीं है . इसे अपने को हर लड़ाई से बचाना होगा पर अभी से अपनी शक्ति बढानी होगी . गत वर्षों मैं हमने अपनी रक्षा की बहुत उपेक्षा की है . अगले तीन से पांच साल मैं भारत को बहुत सशक्त बनना होगा अन्यथा हम फिर गुलाम बन आएंगे . दुर्भाग्य से अमीरी से चीन मदांध व बुद्धी हीन हो गया है .पाकिस्तान तो वैसे ही पागल था . रूस मैं जब तक पुतीन ज़िंदा हें कुछ उम्मीद की जा सकती है पर वह भी रूस के अतीत को वापिस लाने का सपना संजोये बैठे हें और स्टॅलिन की तरह हिटलर से समझौता कर लेंगे . इसलिए भारत को इसे अकेले ही जीतना होगा .
अगले कुछ वर्षों तक विश्व भगवान् भरोसे ही रहेगा . कठिन परिस्थितियों मैं हमारी ताकत ही हमारी रक्षा कर सकती है और हमको अब सिर्फ आर्थिक व सैन्य रूप से ता कतवर बनने पर ही ध्यान केन्द्रित करना होगा .