High Powered Defence Committee : क्या देश कि रक्षा व वायु सेना का मज़ाक नहीं है ?
यदि किसी को जानना हो कि भारत क्यों एक हज़ार साल गजनी से चीनियों तक हर बड़ा युद्ध हार रहा है तो उसे इतिहास पढने की आवश्यकता नहीं है बल्कि सिर्फ हमारे MRCA के अंतर्गत देश के लिए फाइटर जेट खरीदने की पिछले बीस साल से आज तक की असफल कोशिशों को देख ले . उस पर निर्लज्ज तुर्रा देखिये कि रक्षा विभाग के बाबुओं ने वायु सेना कि हवाई जहाजों की मांग को स्वीकार कर मानों वायु सेना पर बड़ा एहसान कर दिया !
बाबु बुद्धि पर वारी जाऊं !
इसी बाबुओं के रक्षा विभाग ने २००८ मैं न केवल १२६ फाइटर जेट की मांग को स्वीकार कर टेंडर जारी किये थे बल्कि इस सौदे के लिए ५५००० हज़ार करोड़ रुपयों ( ६.३ बिलियन डॉलर ) का प्रावधान भी किया था . वायु सेना तो इसके पहले भी कई वर्षों से सचेत कर रही थी पर कछुए से भी मंथरगति से चलने वाली सरकार ने २००८ मैं माना था . पर उसके बाद सोनिया सरकार के बेहद इमानदार मंत्री को राफेल से जान बचाने की चिंता हुई और उन्होंने ऐसी कलम तोड़ टिपण्णी के साथ टेंडर अनुमोदित किया कि बाबू फिर घबरा गए और कोई फैसला नहीं लिया,
फिर आयी एंन डी ए की मोदी जी की सरकार . बड़ी जद्दो जहद के बाद २०१५ मैं नए टेंडर मैं १२६ के बजाय सिर्फ ३६ रफाल जहाज फ्रांस से खरीदने का सौदा कर पाए वह भी ८.८ बिलियन डॉलर की कीमत पर ! वह तो गनीमत है कि अच्छा या बुरा कोई फैसला तो लिया . इसी राफेल जहाज के गुण गा कर और आरती उतार कर हमने इतने साल पाकिस्तान को डरा कर रखा . बाकि तो मिग २१ अब भी चला रहे हें . हमारा तेजस तो मात्र इन्तेर्सेप्तर जहाज ही है और किसी काम का नहीं .अब तो पाकिस्तान और चीन हम से कहीं ज्यादा आगे निकल गए हें .
१२६ जहाज का टेंडर इस लिए भी नहीं लिया कि फ्रांस की कंपनी ने एच ए एल के जहाजों की गारंटी देने से मना कर दिया .
अब फिर आत्मनिर्भरता की बात करने लगे . हमारे पास न कोई इंजन है न कोई जहाज तो २०२८ तक तो बातें ही होती रहेंगी और शायद तब तक ३६ / ५० तेजस एम के – १ बन जायेंगे .
वायु सेना प्रमुख कितना बोलें !
इसके विपरीत सिर्फ देश का एक मात्र १९७१ का युद्ध जीतने वाली प्रधान मंत्री इंदिरा गाँधी के काल के निर्णय देखिये . १९६५ के बाद १९७१ तक हमारे पास पाकिस्तान से दुगने जहाज थे . मिसाइल प्रोग्राम के मागी राशी से पचास करोड़ कि राशि बाबु बजट मुक्त वैज्ञानिकों को दे दी ( डॉ कलाम की आत्मकथा ) . प्रधान मंत्री ने अपने आदेश के विपरीत जनरल मानिक शाह के कहने से युद्ध बरसात के अंत तक टाल दिया जब की वह उनको स्वीटी कहते थे . नेहरु जी ने बिना समय सीमा के BARC / ISRO बना दिया . हमारे आज के बाबु अपने घमंड व अज्ञान के चलते आत्म निर्भरता की दुहाई दे कर ही अभीनन्दन को गिरफ्तार करवा देते हें . GTRE को अगर समय पर टेस्ट बेड दे दिया होता तो आज यह दुर्गति न होती . पर हमारे बाबु फ़ौज को OROP वर्षों रुलाते रहे . इसरो के वैज्ञानिकों की मून लैंडिंग के पहले प्रयास के अगले दिन तनख्वाह कम कर दी कोई बीस साल पुरानी बात पर !
फिर सेनाओं व वैज्ञानिकों की घोर अवहेलना कर हम रक्षा मैं स्वाबलंबन की बात करते हें !
आत्मनिर्भरता सिर्फ कागज़ पर कलम घसीटने से नहीं आती . वैज्ञानिकों की जीवन वन भर की तपस्या और भरपूर संसाधनों से आती है .
लड़ाईयां जिगरे से जीती जाती है . यह जिगरा सिर्फ सैनिक ही नहीं शेर दिल सेनापति व राजा मैं भी होना चाहिए .
बाबु सिर्फ नौकरी के लिए इतिहास रट सकता है . इतिहास बनाना उसके बूते की बात नहीं है . अब सिर्फ सैन्य व आर्थिक ताकत पर दुनिया चलेगी. तृतीय विश्व युद्ध दस्तक दे रहा है . हम मिग २१, मिराज , व जैगुआर सरीखे बूढ़े जहाज़ों से युद्ध लड़ ही नहीं सकते . अस्सी करोड़ लोगों को क्यों मुफ्त राशन दे रहे हें . सिर्फ गरीबों को दीजिये और बचे पैसे से जहाज खरीदिये .
प्रधान मंत्री जी को तुरंत कोई कुछ नया समाधान सोचने की जरूरत है .