अमरीका रूस महाभारत और भारत : सावधान बलराम बनने की भारत की चाहत कहीं बर्बरीक न बना दे

अमरीका रूस महाभारत और भारत : सावधान बलराम बनने की भारत की चाहत कहीं बर्बरीक न बना दे

राजीव उपाध्याय

महाभारत मैं दो पात्र थे जिन्होंने युद्ध मैं भाग नहीं लिया  एक थे श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम जो तीर्थयात्रा पर निकल गए क्योंकि कौरव और पांडव दोनों उनके प्रिय थे . पर आखिरी  दिन जब भीम ने दुर्योधन की जंघा पर गदा प्रहार किया तो वह क्रोधित होकर भीम पर गदा प्रहार के लिए आगे बढे तो श्रीकृष्ण ने  उनको रोका और अभिमन्यु वध कि कहानी सुनाई . उन्होंने ताना भी मारा कि जब धर्म अधर्म मैं एक को चुनना था तब आप तीर्थ यात्रा पर निकल गए अब अंतिम दिन मैं गदा युद्ध मैं धर्म अधर्म की बात व्यर्थ है . निरुतरित बलराम क्रोधित हो कर वहां से चले गए .

युद्ध मैं एक दूसरा पात्र भी था जो बहुत चाह कर भी युद्ध नहीं लड़ सका .वह था घटोत्कच  पुत्र बर्बरीक .बर्बरीक परम वीर था . बर्बरीक को उनकी माँ ने यही सिखाया था कि हमेशा हारने वाले की तरफ से लड़ना और वे इसी सिद्धांत पर लड़ते भी रहे। बर्बरीक को कुछ ऐसी सिद्धियाँ प्राप्त थीं, जिनके बल से पलक झपते ही महाभारत के युद्ध में भाग लेनेवाले समस्त वीरों को मार सकते थे। परन्तु कम सेना होने के कारन वह पहले पांडवों के तरफ से लड़ कर कौरवों की सेना को कम करते . पर उसके बाद कम कौरव सेना कि तरफ से लड़ कर पांडवों कि सेना का संहार करते . इसलिए भगवान् कृष्ण ने उनका  अपने सुदर्शन चक्र से सर काट  दिया . किन्तु उनकी महाभारत युद्ध की समाप्ति तक युद्ध देखने की इनकी कामना श्रीकृष्ण के वरदान से पूर्ण हुई और इनका कटा सिर एक पहाड़ की चोटी से अंत तक युद्ध देखता और वीरगर्जन करता रहा।बर्बरीक को ही खाटू श्याम भी कहते हें और कहीं उनकी पूजा भी होती है.

रूस अमरीका के यूक्रेन के बीच चल रहे महाभारत मैं भारत भी इसी बलराम के द्वन्द मैं फंसा है . वह न तो अमरीका न ही रूस को खोना चाहता है . उसे दोनों की आवश्यकता है . पर ट्रम्प उसे अमरीका की तरफ खींचना चाहते हें . भारत के रूस के साथ बहुत पुराने रिश्ते हें इस लिए भारत युद्ध मैं बलराम की तरह दूर रहना चाहता है .परन्तु उसकी क्रय शक्ति इतनी अधिक है कि रूस को युद्ध लड़ने मैं बहुत मदद कर रही है . इसलिए राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपना टेरीफ का सुदर्शन चक्र चला दिया . यूरोपीय देश भी भारत को पश्चिम की तरफ से युद्ध करने को दबाब बना रहे हें .

भारत को सचेत रहना पडेगा कि उसकी बलराम बनने की चाह कहीं उसे बर्बरीक न बना दे !

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