वैसे तो कहानी बहुत पुरानी है .
ऋषि विश्वामित्र ने ब्रह्मर्षि बनने के लिए घोर तप किया .तप के ताप से इंद्रा का सिंहासन डोल उठा . इंद्र ने तपस्या भंग करने के लिए मेनका
नामक अप्सरा को भेजा . मेनका पर विश्वामित्र आसक्त हो गए .उनकी आसक्ति ने शकुंतला को जन्म दिया . शकुंतला के पुत्र भरत से हमारे देश का नाम भारत पडा .
परन्तु विश्वामित्र का ब्रह्मर्षि बनने का स्वपन टूट गया और इंद्र का सिंहासन बच गया .
जिस देश के नाम की उत्पत्ति इस प्रेम के षड्यंत्र की कहानी से हुयी हो उसमें कितने विश्वामित्र कितनी मेनकाओं से अपना तपोबल गंवाएंगे यह कह पाना मुश्किल है.
इस युग मैं कांग्रेस के नए इंद्र की मेनका के डंक से ग्रसित नये विश्वामित्र आसाराम बापू हैं .
उसके पहले अभिनेत्री रंजीता के प्रेम प्रसंग मैं स्वामी नित्यानंद आये थे .उनकी भी तपस्या जेल जा कर भंग हुयी .पर स्टार टीवी को अभी हाल मैं ही उस विडियो के फर्जी होने के लिए माफी मांगने को कहा गया है . क्या इतनी सी सज़ा काफी है ?
विदुर का जन्म भी तो व्यास के दासी के संसर्ग से हुआ था . परन्तु उसमें धोखा नहीं था .नित्यानंद के केस मैं भी धोखा नहीं था.आसाराम का सच बाद मैं सामने आयेगा.
वीचपी के अध्यक्ष श्री सिघल के अनुसार यह एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत हिन्दू धर्म पर विदेशियों के पैसे के बल्बूते पर आघात किये जा रहे हैं .
परन्तु यह भी सच है की जब मनुष्य को सेक्स से वंचित किया जाता है तो उसमें सेक्स का वेग अत्यंत प्रबल हो जाता है.अन्यथा हर शादी शुदा आदमी अनेकों सुंदरियों को रोज़ देखता है पर उसका मन ऐसे नहीं डोलता .हिन्दू धर्म मैं भीष्म की प्रतिज्ञा से ब्रह्मचर्य पर बहुत जोर दिया गया है. शायद हिन्दू धर्म से यह विश्वास बौध्धों व् ईसाईयों मैं भी बस गया . महावीर व् बुद्ध ने सन्यासी के औरत के पर छूने मात्र को लगभग पाप मान लिया .दसवीं शताब्दी मैं तंत्र का ज्यादा जोर था और खजुराहो जैसे मंदिर भी बने . परन्तु यह भी सच है की हर भोगोंमुख संस्कृति सदा नष्ट हो जाती है.
इसका आधुनिक युग मैं पहली बार पुरजोर खंडन रजनीश ने किया . उनकी बहु चर्चित पुस्तक ‘ समभोग से समाधि तक ‘ ने काफी हलचल मचाई . जिसने वह पुस्तक पढी है वह जानता है की रजनीश के तर्कों मैं काफी दम था.रजनीश ने कभी ब्रह्मचर्य का समर्थन नहीं किया और वे रईसों के राजगुरु बन गए . परन्तु जनसाधारण ने भारत मैं उन्हें स्वीकार नहीं किया और र्जनविरोध के चलते उन्हें अमरीका मैं बसा पड़ा .भारत मैं गुरु का ब्रह्मचर्य का पालन आवश्यक है.
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प्रश्न यह है की जब हमारे कितने ही ऋषियों ने विवाह कर लिया था तो क्यों हम आज भी ब्रह्मचर्य के दीवाने हैं .
जब तक इस पर चिंतन नहीं होगा तब तक कितने ही विश्वामित्र मेनकाओं के शिकार होते रहेंगे .
2 Responses to “मेनका – विश्वामित्र ,आसाराम , नित्यानंद व् रजनीश – क्या हम गलत हैं या स्वामियों की जमात”