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भारत के महान क्रांतिकारियों की दास्तां
FREEDOM FIGHTERS OF INDIA
एक छोटी-सी चिंगारी कई बार बड़े-बड़े शोलों को भड़का देती है. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में ऐसे कई वीर हुए जिन्होंने अपनी चिंगारी से इस देश की आजादी के लिए मशालें जलाई. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ऐसे वीरों के कारनामों से भरा है जिन्होंने अकेले अपने दम पर युगों को रौशन किया है. ऐसे ही कुछ वीरों से हम आपका परिचय करना चाहते हैं, जिनके बारें में पढ़कर आपको अपने इतिहास पर गर्व होगा. आज जब हर तरफ बेइमानी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और कुशासन का प्रकोप है, ऐसे में हमें एक बड़े बदलाव की जरूरत है. यह बदलाव एक क्रांति से आएगा और क्रांति फैलाने के लिए किसी ना किसी को तो आगे आना ही होगा. चलिए इन महान पुरुषों की जीवनी पढ़ें और जानें आखिर कैसे इन्होंने अपने समय में क्रांति और जनचेतना को जगाया था.
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Freedom Fighter of India
रानी लक्ष्मीबाई- वीरता और शौर्य की बेमिसाल निशानी: भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की जब भी बात होती है तो वह इस वीरांगना के वर्णन के बगैर अधूरी मानी जाती है. यूं तो नारी को कोमल और ममता की देवी माना जाता है लेकिन समय आने पर महिला का चंडी रूप विनाश का परिचायक साबित होता है. लक्ष्मीबाई भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का वह ध्रुव तारा है जिसकी रोशनी कभी कम नहीं हो सकती.
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बिरसा मुंडा: अवस्मिरणीय और साहसी पुरुष: एक छोटी सी आवाज को नारा बनने में देर नहीं लगती बस दम उस आवाज को उठाने वाले में होना चाहिए और इसकी जीती जागती मिसाल थे बिरसा मुंडा. अपने कार्यों और आंदोलन की वजह से बिहार और झारखंड में लोग बिरसा मुंडा को भगवान की तरह पूजते हैं.
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भगत सिंह – युवाओं के असली आदर्श: कहते हैं युवा हवा की तरह होते हैं जिन्हें जिस दिशा में बढ़ाया जाए वह उसी दिशा में बह जाते हैं. युवाओं को अगर सही नेतृत्व मिले तो वह देश की अनमोल धरोहर साबित होते हैं. भगत सिंह ने भारतीय युवाओं की उपयोगिता और उनके जुनून को सबके सामने रखा. शहीद भगत सिंह ने ही देश के नौजवानों में ऊर्जा का ऐसा गुबार भरा कि विदेशी हुकूमत को इनसे डर लगने लगा. हाथ जोड़कर निवेदन करने की जगह लोहे से लोहा लेने की आग के साथ आजादी की लड़ाई में कूदने वाले भगत सिंह की दिलेरी की कहानियां आज भी हमारे अंदर देशभक्ति की आग जलाती हैं.
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क्रांतिकारियों के सरताज: अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद – नाम आजाद, पिता का नाम स्वाधीनता, घर जेल. यह परिचय उस चिंगारी का था जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की आग में सबसे ज्यादा घी डाला. चन्द्रशेखर आजाद ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों की ऐसी फौज खड़ा की है अंग्रेजों की नींद उड़ गई. अंग्रेजों में चन्द्रशेखर का ऐसा खौफ था कि उनकी मौत के बाद भी कोई उनके करीब जाने से डरता था. वीरता, साहस और दृढ़निश्चयता की ऐसी मिसाल दुनिया में बहुत कम देखने को मिलती है.
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नेताजी सुभाष चन्द्र बोस- असल मायनों में बोस: अगर आप सोचते हैं कि कहानियों में आने वाले साहसी कारनामें करने वाले नायक सिर्फ कल्पनाओं में होते हैं तो शायद आप गलत है. सुभाष चन्द बोस वह शख्स हैं जिन्होंने अपने कारनामों से ना सिर्फ अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे बल्कि उन्होंने देश को आजाद कराने के लिए अपनी एक अलग फौज भी खड़ी की थी. देश से तो उन्हें निकाल दिया गया लेकिन माटी की स्वतंत्रता के लिए उन्होंने विदेश में जाकर ऐसी सेना चुनी जिसने अंग्रेजों को दिन में ही तारे दिखाने का हौसला दिखाया. अगर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस को भारतीय राजनेताओं का सहयोग मिला होता तो मुमकिन था वह देश को एक सशक्त आजादी दिलाते जिसके बाद शायद आज हमें “पाकिस्तान” नाम की परेशानी का सामना न करना पड़ता.
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शेर-ए-पंजाब लाला लाजपत राय: मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक चोट ब्रिटिश साम्राज्य के ताबूत की कील बनेगी’ यह कथन थे शेर-ए-पंजाब के नाम से मशहूर लाला लाजपत राय के जिन्होंने अपने नेतृत्व से अंग्रेजी शासन के गढ़ों में हमला किया था. आखिरी समय में उनके द्वारा कहा गया एक-एक शब्द चिरतार्थ हुआ.
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वीर विनायक दामोदर सावरकर: क्रांतिकारी होने का यह मतलब नहीं होता कि इंसान हमेशा गुस्से में दिखे और मरने-मारने पर आतुर रहे. जो क्रांतिकारी स्वभाव से जितने शांत होते हैं वह उतने ही घातक होते है, कुछ ऐसी ही शख्सियत के थे वीर विनायक दामोदर सावरकर. विनायक दामोदर सावरकर भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के अग्रिम पंक्ति के सेनानी और प्रखर राष्ट्रवादी नेता थे.
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क्रांतिकारी मदन लाल ढींगरा: यह नाम शायद आपने बहुत कम सुना होगा. लेकिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के कुछ भुले हुए क्रांतिकारियों में ढ़ींगरा का नाम उल्लेखनीय है. मदन लाल ढींगरा को अंग्रेज अफसर कर्ज़न वाईली की हत्या के आरोप में फांसी पर लटका दिया गया था. इस देशभक्त को दफन होने के लिए देश की धरती भी नसीब नहीं हुई थी पर देश आज भी इस युवा क्रांतिकारी को याद करता है.
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सुखदेव –युवाओं के एक और आदर्श : दिल में आस हो और हौशलों में उड़न हो तो कोई मंजिल दूर नहीं होती. कुछ ऐसा ही हौशला था युवा सुखदेव में जिन्होंने देशभक्ति की राह पर चलते हुए फांसी के झुले पर हंसते हंसते खुद को कुर्बान कर दिया.
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गणेश शंकर विद्यार्थी – साहित्य से जगाई क्रांति: काव्य साहित्य का वह अंश है जिसका असर बहुत ज्यादा होता है. इतिहास गवाह है कि हर क्रांति में कवियों का अहम स्थान रहा है. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी गणेश शंकर विधार्थी का नाम एक ऐसे कवि के रूप में लिया जाता है जिनकी कविताओं ने युवाओं में क्रांति जगाने का काम किया. उनके द्वारा लिखित और प्रकाशित समाचार पत्र ‘प्रताप‘ ने स्वाधीनता आन्दोलन में प्रमुख भूमिका निभाई. प्रताप के जरिये ही ना जाने कितने क्रांतिकारी स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए प्रेरित हुए. इतना ही नहीं यह समाचार पत्र समय-समय पर साहसी क्रांतिकारियों की ढाल भी बना.
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करतार सिंह सराभा- 19 साल के अमर शहीद की कहानी : जिस उम्र में आजकल के बच्चें स्कूल और कॉलेजों में अपना कॅरियर बनाने के सपने देखते हैं उस उम्र में इस महान सेनानी ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी.
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निर्भय क्रांतिकारी अशफ़ाक उल्ला खान: अंग्रेजी शासन से देश को आजाद कराने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले अश्फ़ाक उल्ला खां ना सिर्फ एक निर्भय और प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे बल्कि उर्दू भाषा के एक बेहतरीन कवि भी थे. इनको काकोरी कांड के लिए विशेष रूप से याद किया जाता है.
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बंगाल पुनर्जागरण के मुख्य वास्तुकार बिपिन चंद्र पाल: भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के प्रतिष्ठित नेता और बंगाल पुनर्जागरण के मुख्य वास्तुकार थे बिपिन चंद्र पाल. इसके अलावा वह एक राष्ट्रभक्त होने के साथ-साथ एक उत्कृष्ट वक्ता, लेखक और आलोचक भी थे.
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