साभार लिंक से
मुगल काल की “अजब प्रेम की गजब कहानी” मित्रो एक बार शिवाजी महाराज मुगल दरबार मे आमँत्रित किये गये थे। चूँकि शिवाजी महाराज की वीरता और साहस की कथाये मुगल सल्तनत मे प्रसिद्ध थी इसीलिये शाही हरम की सारी औरतो ने शिवाजी महराज को अपनी आँखो से देखने की इच्छा प्रकट की शाही हरम की महिलाओ के लिये दरबार मे पर्दे के पीछे बैठने की व्यवस्था की गई जब शिवाजी महराज दरबार मे पहुँचे तो हरम की लगभग सारी औरते उनके पौरूष को देखकर मँत्रमुग्ध हो गयी। उन्ही मे दो राजकुमारियाँ थी 1) जैबुन्निशाँ (औरँगजेब की लड़की) और 2) रौशनआरा (औरँगजेब की बहन और शाहजहाँ की लड़की) इन दोनो ने कसम खाया कि ये शादी करेँगी तो शिवाजी महराज से वरना ये सारी उम्र कुँवारी रहेँगी धीरे धीरे ये बात औरँगजेब के कानो तक पहुँच गयी पहले उसने दोनो राजकुमारियो पर पाबँदियाँ लगायी लेकिध कुछ इतिहासकारो के अनुसार औरँगजेब ने अपनी लड़की जैबुन्निशाँ केलिये विवाह का सशर्त प्रश्ताव शिवाजीके पास भिजवाया था कि वो इस्लाम कबूल करके जैबन्निशाँ से विवाह कर ले लेकिन शिवाजी महराज ने यह प्रश्ताव नकार दिया कि वह हिन्दू ही रहेँगे जैबुन्निशा (नाम का अर्थ होता है सुदँरता की देवी) जो अपने नाम की तरह ही बहुत खूबसूरत लड़की थी के साथ साथ शाही हरम की तमाम राजकुमारियोँ के मनमे कुरान और इस्लाम के प्रति रोष व्याप्त हो गया उनमे से एक चाँद बेगम (औरँगजेब की भतीजी) भी थी जैबुन्निशाँ एक सूफी कवित्री बनी और चुप चुप के “मखफी” (इसका अर्थ “छुपा हुआ कलम”) नामक कविता लिखी। आगे चलकर जैबुन्निशाँ और चाँद बेगम महान कान्हा भक्त हुई खुद ही देखिये कितना सुन्दर पद कहा गया है .. [0:1: सुनों दिल जानी मेरे दिल की कहानीं, तुम दस्त ही बिकानी बदनामी भीसहूँगी मैं| देवपूजा ठानी, मैं नमाज हूँ भुलानी, तजे कलमा कुरान सांडे गुनानी गहूंगी मैं| नन्द के कुमार कुर्बान तेरी सूरत पै,हौं तो मुगलानी हिन्दुआनि ह्वैं रहूंगी मैं|| अन्त मे औरँगजेब ने तँग आकर जैबुन्निशाँ को दिल्ली मे कैद करा दिया जहाँ वो आखिरो साँस तक रही औरँगजेब के डर के आगे इस प्रेम कथा कोइतिहास मे प्रमुखता से जगह नही मिली लेकिन कहते है ना सच छुपाये से नही छुपता तो इस तरह से जैबुन्निशाँ, रोशनआरा औरचाँद बेगम मीरा की तरह सारी उम्र कुँवारी रहते हुये शिवाजी महराज को प्रेम करती रही शेअर करा अडमिन