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कांग्रेस की नैय्या किसने, क्यों और कैसे डुबोई

Manmohan-soniaकांग्रेस की नैय्या किसने क्यों और कैसे डुबोई
राजीव कुमार उपाध्याय

चुनाव के परिणाम आने शेष हैं परन्तु यह जग विदित है की कांग्रेस की अर्थी १६ मई उठने वाली है .यह आश्चर्य ही होगा कि पार्टी को १०० भी सीट मिल पायें ! किस राज्य मैं सीट मिलेंगी ? मात्र महाराष्ट्र व् केरल मैं कुछ इज्ज़त बच जाये नहीं तो बाकी देश मैं तो उसका सफाया तय है .
भारत को स्वतन्त्रता दिलानेवाली , गांधी , नेहरु व् पटेल की महान पार्टी इस गर्त मैं कैसे पहुँची.
राहुल गाँधी का इसमैं नगण्य योगदान है इस लिए उनको दोष देना भूल होगी ..
देश मैं पिछले वर्षों मैं दो आन्दोलनों ने सरकार को हिला दिया , अन्ना आन्दोलन व् निर्भया रेप काण्ड पर इंडिया गेट पर प्रदर्शन .कुछ हद तक बाबा रामदेव के आन्दोलन को भी इसमें जोड़ सकते हैं . इन दोनों आंदलनों का कोई नेता नहीं था बल्कि जन आक्रोश के सैलाब को जो मिला उसी को नेता मान लिया .
भ्रष्टाचार बहुत हुआ परन्तु ऐसा नहीं है की २ जी व् कोयला घोटाले मैं महा लेखाकार के आंकड़े सही थे . सस्ती दरों पर २ जी की वेव लेंग्थ देने के अपने लाभ थे जिसमें प्रमुख था भारत की सबसे सस्ती दरों पर मोबाइल सेवा .इसी तरह कोयला घोटाले पर एक लाख तेहातर हज़ार करोड़ के काल्पनिक आंकड़े ने देश की आत्मा को झकझोर दिया , यह आंकडा महज कल्पना थी . परन्तु सरकार बाबा राम देव पर लाठी चार्ज करके अपनी विश्वसनीयता खो चुकी थी .अगर नेहरु की सरकार होती तो महा लेखाकार ऐसी रिपोर्ट लिखने की हिम्मत भी नहीं करता . क्या किसी ने कोयले के यातायात के सामान दरों पर नुक्सान निकाला था .बिहार को कितना नुक्सान हुआ क्योंकि केरल व् बिहार मैं कोयला एक दाम बार वर्षों बिका? उसका कोयला उसे ही नहीं मिलता था. पर क्या कोई नेहरु जी से टेढ़ी बात कर सकता था ? गुजरात मैं आज भी लेखाकार की रिपोर्टें हैं कोई उन्हें नहीं पूछता . मोदी ने लोकपाल नहीं बनाने दिया किसे इसकी चिंता है ? कभी भी देश ने इन रेपोटो को इतनी गंभीरता से नहीं लिया. इस देश व् सारे विश्व मैं बलात्कार होते रहते हैं .हमारे देश मैं ही दिल्ली मैं धौला कुआँ मैं सेना के अधिकारीयों की बच्ची गीता चोपडा का रेप ने देश को झकझोर दिया था . पर गुस्सा बिल्ला रंगा पर था प्रधान मंत्री पर नहीं .क्या इंदिरा गाँधी को किसी ने जिम्मेवार ठहराया था ?
तो फिर जन आक्रोश मन मोहन सरकार व् कांग्रेस पर ही क्यूँ फूटा .
कांग्रेस यह नहीं समझ पाई है की जनता का आक्रोश महंगाई ने बनाया था . जब अरहर की दाल पैंतीस से सौ रूपये किलो हो जाये या जब प्याज १०० रूपये किलो हो जाए तो देश का हर घर आक्रान्त हो उठता है . बारूद तो महंगाई व् अर्थव्यवस्था थी जिसमैं चिंगारी सिर्फ अन्ना , राम देव व् निर्भया काण्ड ने लगाई .यदि कमर तोड़ मंहगाई न होती , यदि नौकरियां पहले के तरह उपलब्ध होतीं ,यदि अर्थ व्यवस्था आठ प्रतिशत की दर पर बढ़ रही होती , घर सस्ते दरों पर मिल रहे होते , तो जनता के हर घर मैं सतुष्ट होती और वह इन घटनाओं से वह इतनी बदहवास नहीं हो जाती . आखिर मैं तो सुप्रीम कोर्ट हो या लेखाकार हो या सूचना अधिकारी हों हर कोई प्रधान मंत्री को आँखें दिखाने लगे . देश के प्रधान मंत्री का इतना अवमूल्यन व् अपमान कभी नहीं हुआ . यदि प्रधान मंत्री की गरिमा की चिता को किसी ने अग्नि दी तो वह राहुल गांधी के प्रेस कांफ्रेंस मैं अध्यादेश फाड़ने ने दी .
परन्तु फिर भी हमें समझना होगा की महंगाई हर घर मैं जाती है . हर किसी को गुस्सा दिलाती है .बाकी घटनाएं सिर्फ अखबार की ख़बरें होतीं हैं .
उस गुस्से का इजहार जनता कहीं और करती है ?

तो प्रश्न यह उठता है की जिस मनमोहन सिंह ने देश की अर्थव्यवस्था को कभी इतना सम्भाला था , जो भारतको आर्थिक शक्ति बनाने के जनक थे वह क्या ऐसी भूल कर सकता थे ?
कभी नहीं !
कांग्रेस पार्टी व् देश की अर्थ व्यवस्था को डुबोने वाले लोग सोनिया गाँधी व् उनके के चमचे ही हैं .इनमें अहमद पटेल , मणि शंकर एयर , जय राम रमेश , प्रणब मुखेर्जी ही हैं . इन लोगों ने देश की विनाश कारी आर्थिक नीतियाँ बनायीं और अपने सोनिया के सानिध्य का फायदा उठा कर मन मोहन सिंह पर थोप दिया . नहीं तो गैस सिलिंडर व् खाद की सब्सिडी पर रोने वाले मनमोहन सिंह मनरेगा जैसी भयंकर भूल न करते . इनमें अल्प बुद्धि थी . यह देश को विनाश की गर्त मैं जान बूझ कर नहीं डाल रहे थे पर इनकी अल्प बुद्धि मैं इतनी समझ ही नहिं थी की अपनी गलती समझ पाते .अल्प बुद्धि व् अहंकार ने इन्हें प्रधान मंत्री को तिरस्कृत करने मैं सोनिया की मदद की . सोनिया प्रधान मंत्री पर अंकुश चाहती थीं .भ्रष्टाचार भी सीमित रहता तो अच्छा होता . परन्तु आंध्र के दिवंगत मुख्य मंत्री रेड्डी व् अल्प बुद्धि वाले चमचों ने सोनिया को समस्त भारत की जनता के वोट खरीदने की सलाह दे दी और इसलिए उसके लिए अनंत भ्रष्टाचार की गंगा बह उठी . इसमें खाद्यानों की महंगाई व् एयर इंडिया का पतन मैं तो तो शरद पवार व् उनकी पार्टी ने का भी हाथ था .पर बहती गंगा मैं तो सबने हाथ धोने चाहे .
एक मनमोहन थे जो यह सब रोक सकते थे उनको नगण्य बना कर सोनिया गाँधी ने अपने पैरों पर ही कुल्हाड़ी मार ली .
अब तो इतना ही कहा जा सकता है
जहाँ एक ही उल्लू काफी था बर्बाद गुलिस्तान करने को
हर शाख पर उल्लू बैठा हो अंजामे गुलिस्तान क्या होगा

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