5:32 pm - Sunday November 23, 2403

वैतनिक मध्यम वर्ग की घोर निराशा समझिये प्रधान मंत्री जी : The Grossly Neglected Middle Class

वैतनिक मध्यम वर्ग की घोर निराशा समझिये प्रधान मंत्री जी : The Grossly Neglected Middle Class

                                                                                                                                                  राजीव उपाध्याय RKU

modi-with-soldiersआदरणीय प्रधानमंत्रीजी ,

आपके चुने जाने मैं सबसे पहले जिस वर्ग का हाथ था वह पढ़ा लिखा नौकरी शुदा मध्यम वर्ग था . उसे कांग्रेस के शासन के भ्रष्टाचार से कोई व्यक्तिगत हानि नहीं थी क्योंकि वह न स्पेक्ट्रम खरीद रहा था न ही कोयले की खानें खरीद रहा था .परन्तु छोटे से छोटे स्कूल का आदर्शवादी मास्टर य सीमाओं पर खडा सैनिक गरीबी सह सकता है परन्तु अपने आदर्शों की ह्त्या नहीं सह सकता था . हालंकि आपके जीतने से सबको ख़ुशी हुयी परन्तु यही वर्ग सबसे खुश था क्योंकि यह जानता था की भ्रष्टाचार अंततः सबको समाप्त कर देता है .

आपकी अभूतपूर्व जीत का मुख्य कारण कांग्रेसी सरकार मैं बेहद महगाई व् भरष्टाचार ही था तथा सोनिया गाँधी अत्यंत हिन्दू विरोधी हो गयीं ही .

परन्तु खेद है की आज भी जो आपके कहने पर बैंकों मैं घंटो लाइनों मैं खडा होकर अपने ही कमाए हुए पैसे को वापस लेने की जद्दो जहद मैं लगा है उसे आपकी सरकार ने सबसे अधिक तिरस्कृत किया है . पिछले तीन वर्षों मैं उसे सिर्फ दिलासों  के झुनझुनों के अतिरिक्त कुछ नहीं मिला .

पहले तो दाल से लेकर फल सब्जियों तक खाने की हर चीज पहले से अत्यधिक महगी हुयी . दाल तो साठ रूपये से डेड सौ रूपये किलो पहुँच गयी और सब व्यापारी रातों रात अमीर बन गए . जमाखोरी की बहस तो मात्र छलावा थी जो सब जानते हैं सच बात थी की मनमोहन सरकार की तरह आपकी सरकार भी  खाद्यान्नों  पर बैंक लोन बंद  न कर सकी जो इस मंहगाई की जड़ थे . उसके बाद जो औद्योगिक विकास की उम्मीद थी वह बिलकुल नहीं हुआ इस लिए नयी नौकरियां नहीं बनीं .कृषि  का विकास भी नहीं हुआ हालाँकि उसका कारण बारिश कम होना था . प्राइवेट कॉलेज के पढ़े लिखे इंजिनियर सरकारी चपरासी की नौकरी के आवेदन भर रहे हैं .वह अपनी फीस का लोन भी नहीं दे सकते .

फिर पहले से ही करों मैं डूबे वैतनिक वर्ग को सर्विस टैक्स मैं फंसा दिया क्योंकि रेसतौरांत ,बिजली, रेल किरायों इत्यादि सब चीजों पर उसे अधिक सर्विस टैक्स भी देना पड गया जो पहले नहीं था .

रिक्शे वालों ने तो किराये बढ़ा दिए , नाइयों ने बाल कटाने के भाव बढ़ा दिए पर बिचारे वैतनिक कर्मचारी जहाँ जाएँ . प्राइवेट स्कूलों मैं दस हज़ार रूपये मासिक भी नए शिक्षक को नहीं मिल रहे .

कपिल सिब्बल के परीक्षाओं के हटाने से शिक्षा की जो दुर्गति हुयी ही वह भी आपकी सरकार ठीक करने का सहस नहीं जुटा पाई . पाठ्यक्रम परिवर्तित करना तो स्वप्न मैं भी संभव नहीं दीखता . मंदिरों व् हिन्दू धर्म की पगति आपकी प्राथमिकता नहीं है क्योंकि आप तो विकास पुरुष थे पर वह भी तो नहीं हो रहा . उदाहरण के इए यदि नोटों के बदले क्रेडिट कार्ड से पैसा दें तो तीन प्रतिशत दाम ही बढेंगे . उपभोक्ता को तो कोई फायदा नहीं है. इसको आर्थिक प्रगति तो नहीं कह सकते . आर्थिक प्रगति तो तब हो जब सामान्य नागरिक की क्रय  शक्ति बढे . सच यह है आपकी और मनमोहन सरकार मैं सिवाय बेतहाशा भर्ष्टाचार कम होने व् रक्षा पर अधिक् ध्यान देने के कोई अंतर नहीं है . पर इससे सामान्य जनता का पेट तो नहीं भरता. न तो किसान की न ही सामान्य वेतन पाने वाले नागरिकों की क्रय शक्ति मैं कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुयी है.

वित्त मंत्री चिदंबरम जी ने एक बार हर टैक्स स्लैब पर टैक्स कम करने का जो साहस दिखाया था आपकी सरकार के मंत्री उसके आस पास भी नहीं है . जेटली जी तीन बजटों से सिर्फ आश्वासन दे रहे हैं . पर अभी तक कुछ दिया नहीं . पे कमीशन तो हर दस साल बाद आता ही था इसलिए आपकी सरकार मैं भी आया . पर इस बार वैतनिक वृद्धि सबसे कम हुयी . उस वृद्धि पर पूरा टैक्स देना कहाँ तक ठीक है इसका फैसला यदि आप अरबपतियों से कराएँगे तो ऐसा ही बजट बनेगा जो पिछले तीन सालों से बन रहा है.

इसलिए आदरणीय प्रधान मंत्री जी वोट बैंकों के अर्थ शास्त्र से ऊपर उठ कर वैतनिक कर्मचारियों का दर्द भी समझें और उनको भी विकास यात्रा मैं शामिल कर आपके जीतने की ख़ुशी मैं भागीदार बनाएं .

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