भारत का अफगानिस्तान मैं सैनिक भेजना राष्ट्र द्रोह होगा : डॉ.स्वामी का अद्भुत बयान क्यों ?
१५ फरवरी को डॉ स्वामी ने देश के चिंतकों को ट्विटर पर यह कह कर अचम्भे मैं डाल दिया की भारत को अफगानिस्तान मैं बीस हज़ार सैनिक भेज देने चिहिए जिससे अमरीका अपने अस्त्र शास्त्र के भण्डार भारत के लिए खोल देगा . उनका बयान नीचे दिया है.
Subramanian SwamyVerified account@Swamy39 /Swamy39/status/832063879274389504
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Time is ripe for India to tell US that we will send 20,000 troops to fight ISIS & same to Afghanistan if US opens its arms warehouse to us
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लेखक खुद डॉ स्वामी के प्रबल प्रशंसकों मैं से है .परन्तु यह मेरा दृढ विश्वास है की अफगानिस्तान मैं भारतीय सैनिक भेजना राष्ट्र द्रोह होगा . आज से तीस साल पहले सन १९८७ मैं श्री लंका के तत्कालीन राष्ट्रपति जय्वर्ध्नीस ने भारत के प्रधान मंत्री राजीव गाँधी को बेवकूफ बना कर भारत की सेना ( IPKF) को श्री लंका के तमिलों के साथ गृह युद्ध मैं झोंक दिया था . उस दौरान भारतीय सेना के १२०० सिपाही मरे गए व् अंततः राजीव गाँधी को इसकी कीमत अपनी जान दे कर चुकानी पडी .और इससे लंका मैं शांति भी नहीं स्थापित हुयी और हजारों तमिल भारतीय सेना के हाथ मारे गए .यह फैसला भारतीय कूटनीति का सबसे दुखद फैसला था .
आज डॉ स्वामी यदि देश के सुखद भविष्य के लिए अतीत की पुरानी यादों को यदि भुला भी दें तो भी यह नहीं समझ आता की उनके इस सुझाव से भारत का क्या भला होगा और बीस हज़ार भारतीय सैनिक अफगानिस्तान मैं क्या उप्लाधियाँ कर लेंगे ?
यदि भारतीय सैनिक तालिबान के विरुद्ध नोर्दन अलायंस की युद्ध मैं मदद करने के लिए तैनात किये जायेंगे तो वह ऐसा क्या कर लेंगे जो वहां तीन लाख अफगानी सैनिक नहीं कर पा रहे . छापामार युद्ध मैं लोकल लोगों की जीत होती है . पहले अफगानिस्तान मैं एक लाख रूसी सैनिक दस साल तक लडे और पंद्रह हज़ार सैनिक मारे भी गये पर अंत मैं रूस हार कर ही निकला. उसके बाद तालिबान को एक लाख तीस हज़ार अमरीकी व् नाटो के सैनिक नहीं समाप्त कर सके जबकि उनके ३५०० सैनिक मरे गए . एक अमरीकी सैनिक पर अमरीका साल मैं छह करोड़ रूपये खर्च करता है. तालिबान चप्पल पहन के जिहाद करता है और अफीम की खेती से टैक्स लेता है . इसके अलावा उसे सऊदी अरब व् पाकिस्तान से आर्थिक व् सैन्य मदद मिलती है. जिहाद के नाम पर लड़ने वाले तालिबानियों पर बहुत कम खर्च आता है . अब तो चीन व् रूस भी तालिबान से मिलने लगे हैं . एक अमरीकी जनरल ने अफगानिस्तान की जीत मैं पांच लाख अमरीकी सैनिकों को पांच साल लड़ने की आवश्यकता बतायी थी . भारत के बीस हज़ार सिपाही या तो अफगानिस्तान मैं मार दिए जायेंगे या फिर इंग्लॅण्ड ,रूस व् अमरीका की तरह भारत भी अफगानिस्तान से लम्बी लड़ाई के बाद शर्मनाक हार के बाद निकलेगा .
इसका एक और पहलू है . अमरीका आज विश्व के एक मात्र सुपर पॉवर है . उसके पांच हज़ार सैनिकों से भी तालिबान डरेगा क्योंकि यदि अमरीका ने फिर हमला कर दिया तो
अफगानिस्तान बर्बाद हो जाएगा . अमरीका से न तो रूस न चीन और न ही पाकिस्तान मुकाबला कर सकता है. इसलिए अमरीकी सैनिकों से कोई प्रत्यक्ष नहीं लडेगा . भारत तो सुपर पॉवर नहीं है. भारतीय सेना के आते ही चीन व् पकिस्तान तालिबान की वैसे ही मदद करने लगेंगे जैसे कभी अमरीका ने रूस के विरुद्ध की थी . अफगानिस्तान व् अरब राष्ट्रों के मुसलमान भारत के दुश्मन बन जायेंगे. अफगान लोग भी भारत के दुश्मन बन जायेंगे . पकिस्तान आज भी अफगानिस्तान की गलती की सज़ा आतंक वादियों के हमलों के रूप मैं पा रहा है . यही हाल भारत का हो जाएगा .
इस निरर्थक युद्ध मैं फंसने के एक फैसले से भारत की आर्थिक प्रगति सदा के लिए समाप्त हो जायेगी .
फिर इस सब से फायदा क्या होगा ?
अमरीका हमें हथियार मुफ्त तो नहीं देगा . यदि हमें पैसे दे कर ही हथियार खरीदने हैं तो अमरीका नहीं तो फ्रांस देगा या रूस दे देगा नहीं तो इजराइल , जापान ,जर्मनी दे देगा . कुछ हथियारों के लिए भारत ऐसे आत्मघाती निर्णय कैसे ले सकता है. अमरीका ने पकिस्तान का पूरा उपयोग किया , कुछ पैसे भी दियी पर आज पाकिस्तान की जो दुर्दशा है उसमें अफगानिस्तान की लड़ाई का बहुत बड़ा हाथ है .
भारत को ईराक ,पाकिस्तान व् रूस की दुर्दशा से से शिक्षा लेनी चाहिए और अफगानिस्तान के गृह युद्ध से अपने को अलग रखना चाहिए .
2 Responses to “भारत का अफगानिस्तान मैं सैनिक भेजना राष्ट्र द्रोह होगा : डॉ.स्वामी का अद्भुत बयान क्यों ?”