http://hindi.webdunia.com/religious-stories/pauranik-katha-krishna-and-parvati-117060700054_1.html
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जब शिव राधा और पार्वती बनीं कृष्ण – दैनिक जागरण
एक बार भगवान शिव पार्वती के साथ कैलाश के शिखर पर विहार कर रहे थे। उस समय पार्वती जी का सौंदर्य खिल रहा था। उसे देखकर भगवान शिव मन ही मन सोचने लगे कि नारी का जन्म अत्यंत शोभनीय है।
देवघर। एक बार भगवान शिव पार्वती के साथ कैलाश के शिखर पर विहार कर रहे थे। उस समय पार्वती जी का सौंदर्य खिल रहा था। उसे देखकर भगवान शिव मन ही मन सोचने लगे कि नारी का जन्म अत्यंत शोभनीय है। फिर उन्होंने प्रेम से विभोर होकर पार्वती जी का मुखमंडल स्पर्श करते हुए कहा कि प्रिय तुम्हारी कृपा से मेरी सारी मनोकामना पूरी हो चुकी है। कुछ भी शेष नहीं रहा। फिर भी मेरी एक इच्छा है, तुम उसे पूर्ण कर दो।
तब पार्वती ने कहा कि शंभू आपकी कौन सी इच्छा है बताइये, मैं उसे अवश्य पूर्ण करुंगी। तब शिव जी ने अपनी इच्छा बताते हुए कहा कि तुम मृत्यु लोक में पुरुष रूप में अवतरित हो और मैं स्त्री रूप में अवतरित होऊंगा। इस समय तुम्हारा जिस तरह मैं पति हूं व तुम मेरी प्रिय पत्नी हो। उसी प्रकार का दांपत्य प्रेम उस समय भी हो, यही मेरी इच्छा है। भगवान शिव की बात सुनकर पार्वती मुस्कुरा उठी और कहा कि प्रभु आपकी इच्छा को पूर्ण करने के लिए मैं अवश्य मृत्यु लोक में पुरुष के रूप में अवतरित होऊंगी।
आपकी प्रसन्नता के लिए मैं पृथ्वी पर बासुदेव के घर पुरुष के रूप में जन्म लूंगी, लेकिन महादेव आपको भी मेरी प्रसन्नता का ध्यान रखना होगा। भगवान शिव उत्सुकता पूर्वक बोले- देवी शीघ्र कहो मैं तुम्हारी प्रसन्नता के लिए क्या करूं। तब उन्होंने कहा कि आपको भी स्त्री रूप में अवतरित होना होगा। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर कहा कि मैं भी तुम्हारी प्राण सदृश्य वृषभानु की पुत्री राधा के रूप में प्रकट होकर तुम्हारे साथ विहार करुंगा। इसके साथ-साथ मेरी आठ मूर्तियां भी रुकमणि, सत्यभामा, जामवंती आदि पटरानियों के रूप में अवतरित होंगी। यह सुनकर भगवती पार्वती ने कहा कि प्रभु तब मैं आपके मूर्तियों के साथ यथोचित्त विहार करुंगी। जैसा न तो किसी ने किया और न कभी सुना गया है। जया व विजया नामक मेरी दो सखियां उस समय श्रीराम व बासुदेव के नाम से पुरुष रूप में प्रतिष्ठित होंगी। पूर्व काल में विष्णु के साथ मेरी प्रतिज्ञा हुई है। उसके अनुसार उस समय जब मैं श्रीकृष्ण की होऊंगी, वह मेरे बड़े भाई होंगे। वे बड़े महान बलशाली व आयुद्ध धारण करने वाले बलराम के नाम से जाने जाएंगे। इस प्रकार मैं पृथ्वी पर अवतरित होकर देवताओं का कार्य संपन्न करुंगी तथा महान कीर्ति स्थापित कर पृथ्वी से वापस चली आऊंगी।
पूर्व काल में भगवती व भगवान विष्णु ने जिन राक्षसों का संहार किया था वे द्वापर के अंत में बहुत से राजाओं के रूप में उत्पन्न हो गए, उनके भार को न सह सकने के कारण पृथ्वी गोरूप धारण कर समस्त देवताओं के साथ ब्रह्म जी के पास गई और बोली ब्रह्म पूर्व काल में जो महान राक्षस मारे गए थे, वे इस समय दुष्ट चरित्र वाले राजा बने हुए हैं। ऐसे लोगों का संहार का उपाय कीजिए। तब पृथ्वी को लेकर ब्रह्म जी कैलाश पहुंचे। वहां उन्होंने भगवती को प्रणाम करते हुए कहा कि माते आपने और विष्णु जी ने जिन-जिन व्यक्तियों, दानवों व राक्षसों का संहार किया था। वे सभी बड़े-बड़े दुराचारी राजा हो गए हैं। उनका वध करना जरूरी है। तब भगवती ने कहा कि ब्रह्म मैं स्त्री रूप में उन राजाओं का वध नहीं कर सकती। क्योंकि उनलोगों ने भक्ति पूर्वक मेरे स्त्री स्वरूप का आश्रय ग्रहण किया है, लेकिन मेरी जो भद्रकाली की मूर्ति है, वह बासुदेव के घर में पुरुष रूप में जन्म लेगी। बासुदेव की पत्नी देवकी के गर्भ से श्याम अवतार लेंगे। वे कंस आदि दुष्ट राजाओं का संहार करेंगे।
भगवान विष्णु भी अपने अंश से उत्पन्न होकर महाबली अजरुन के रूप में प्रसिद्ध होंगे। धर्मराज युधिष्ठिर होंगे, पवन देव भीमदेव व अश्वनी कुमारों के अंश से नकुल व सहदेव उत्पन्न होंगे। ये सब धर्म परायण होंगे। दुष्ट दुर्योधन का पांडवों से युद्ध होगा और मै युद्ध में माया फैला कर रणभूमि में उपस्थित होकर परस्पर मारने की इच्छा वाले दुष्ट राजाओं का संहार कर दूंगी। मेरी भक्ति में लीन रहने वाले पुण्यात्मा, धर्मनिष्ठ, पांडू पुत्र के पांचो भाई बच जाएंगे। इस प्रकार पापी राजाओं का संहार कर डालूंगी और पृथ्वी का भार मुक्त कर पुन: यहां लौट आऊंगी। आप विष्णु जी के पास जाकर उनसे प्रार्थना कीजिए कि वे मानव रूप धारण कर पांडू पत्नी के गर्भ वे शीघ्र पृथ्वी पर अवतरित हों।
भगवती के कहने पर ब्रह्म जी भगवान विष्णु के पास पहुंची और उनसे पृथ्वी पर अवतरित होने की प्रार्थना की। तब भगवान विष्णु ने उन्हें आश्वासन दिया कि मैं इंद्र के द्वारा कुंती के गर्भ से मानव रूप धारण कर अवतरित होऊंगा। इस प्रकार ब्रह्मा जी के प्रार्थना करने पर साक्षात भगवती देवताओं का कार्य शीघ्र करने के लिए अपने अंश से बासुदेव पुत्र श्रीकृष्ण के रूप में अवतरित हुई और भगवान विष्णु ने भी महा पराक्रम वाले बलराम तथा पांडू के दूसरे पुत्र अर्जुन के रूप में जन्म लिया। भगवान शिव भी पीछे नहीं रहें वे भी वृषभानु गोप के घर में अपनी लीला से स्त्री रूप में जन्म लिया और राधा नाम से विख्यात हुए।
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