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डोकलाम विवाद पर भारतीय कूटनीति की जीत : दब्बू भारत का बहुप्रतीक्षित अंत

डोकलाम विवाद पर भारतीय कूटनीति की जीत : दब्बू भारत का बहुप्रतीक्षित अंत
Rajiv Upadhyay rp_RKU-150x150.jpg

पिछले पंद्रह वर्षों से भारत चीन से दबा दबा सा रहता था . इसके परिणाम स्वरुप चीन तो भारत के किसी भी सरकारी अफसर व् नेता के अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर आपत्ती जताता था व् दलाई लामा के जाने पर तो पहाड़ खडा कर देता था पर हम उसकी हरकतों पर चुप रहते थे . इसी प्रकार उसने अपनी तरफ तिब्बत मैं सड़कों का जाल बिछा लिया परन्तु हमारे किसी भी रक्षात्मक कदम पर आपत्ती जताता था .कांग्रेस सरकार ने इस दब्बू नीति बिना विरोध चुप चाप रह कर परोक्ष रूप से समर्थन किया . इसी तरह चीन तो चीन , हमसे छटा भाग के बराबर पाकिस्तान हमें घुडकियां देकर आँखें दिखाता था और हम चुप रहते थे .यहाँ तक की हम मुंबई व् संसद के हमले का भी बदला न ले सके . सीमा पर गोली बारी कर आतंकियों को घुसाता था .भारत की छवि एक सुस्त हाथी की हो गयी थी जिस पर हर कोई पत्थर फेंक सकता था .
उधर विकास के नाम पर रक्षा की सदा उपेक्षा की . बची खुची कसर पूरी हुयी जब रक्षा मंत्री अंटोनी काल मैं इमानदारी के नाम पर रक्षा सौदों को रोक दिया गया . रक्षा मंत्रालय पूरी तरह बाबुओं के चुंगल मैं आ गया था .रक्षा मंत्रालय मैं हर केस मैं बाल की खाल निकालना व् सेना का अपमान करना सरकारी बाबुओंका पेशा बन गया था .यहाँ तक की मुंबई हमले के समय भारत के पास गोला बारूद भी नहीं था .ऐसे ही बोफोर तोपो के लिए सबसे सस्ते के चक्कर मैं बेकार गोले रूस से ले लिए . देश की सुरक्षा को बाबुओं ने ध्वस्त कर दिया .पूर्व बीजेपी सरकार ने भी कांधार काण्ड मैं कोई पदम् श्री नहीं जीता था और अमृतसर हवाई अड्डे से उड़ने देने की अनुमति देकर व् श्री जसवंत सिंह को काबुल भारत की जग हंसाई करवाई थी .
पहली बार डोकलाम पर एक सैधांतिक रूप से ठीक बात पर भारत ने अड़ कर कूटनीतिक जीत हासिल की जिस मैं मोदी जी की विदेश निति की सफलता का भी बहुत बड़ा हाथ है . विस्तारवादी चीन भारत के मुकाबले विश्व मैं अकेला पड़ गया . सिक्किम मैं हम पहले भी चीन से युद्ध कर जीत चुके हैं . इसलिए अब १९६२ वाली हालत नहीं थी .हमारे सेनाध्यक्ष ने धमकियों का अनुकूल जबाब दिया जिससे सेना का मनोबल बना रहा .
सबसे अच्छी बात यह रही की चीन को भारत ने बड़े नपे तुले व् संयत ढंग से जबाब दिया . उसने चीन के अभिमान को बिना बात चुनौती नहीं दी न ही बडबोलापन दिखाया . परन्तु शांत रूप स्थिर रह कर सिद्धांतों पर कोई समझौता नहीं किया .
डोकलाम काण्ड से भारत की प्रतिष्ठा बड़ी है . परन्तु घायल चीन चुटीयल सांप की तरह खतरनाक हो गया है . भारत को शीघ्र अति शीघ्र अपनी सेनाओं को सशक्त कर चीन पकिस्तान के संयुक्त हमले को झेल पाने योग्य बनाना होगा . सीमावर्ती इलाओं मैं सड़कों की कमी भयावह है.भारत के पास चालीस दिन के युद्ध करने के लिए हर समय पूर्ण सामग्री उपलब्ध होनी चाहिए . नयी माउंटेन स्ट्राईक कोर का गठन शीघ्र पूरा करना चाहिए . मिस्साइल क्षेत्र मैं भारत अभी पीछे है .उसके मिसाइल अभी टेस्ट ही हो रहे हैं .क्रूज़ मिसाइल अभी विकसित नहीं हुए हैं .लडाकू हवाई जहाज़ों की संख्या बहुत घट गयी है . इन सब का शीघ्र अति शीघ्र उपचार आवश्यक है .
परन्तु हर हालत मैं डोकलाम पर सरकार की कार्यवाही प्रशंसनीय रही है .

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