हम तो ठहरे आम आदमी , अर्थ नीति का ज्ञान नहीं है

हम तो ठहरे आम आदमी , अर्थ नीति का ज्ञान नहीं है

एक इन्टरनेट पर प्रचलित जन भावनाओं को दर्शाती कविता , लेखक अज्ञात है  

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