हम तो ठहरे आम आदमी , अर्थ नीति का ज्ञान नहीं है
एक इन्टरनेट पर प्रचलित जन भावनाओं को दर्शाती कविता , लेखक अज्ञात है
“हम तो ठहरे आम आदमी , अर्थ नीति का ज्ञान नहीं ,”

“मिल जाए दो वक्त रोटियां , और अधिक अरमान नहीं……….”

“बंद हुए जो नोट पुराने , थोड़े से घबराये हैं ,”

“माना अच्छे दिन से पहले , कष्ट भरे दिन आये हैं……….”

“लेकिन हमने इन कष्टों में , हल्ला होते देखा हैं ,”

“घोटालों के सरदारों का , धीरज खोते देखा हैं……….”

“जिस पंजे की पांचो उंगली , डूबी भ्रष्टाचारों में ,”

“वो ही आखिर क्यों चीखा है , टीवी में अखबारों में……….”

“देखा है , “पत्थर की देवी” कैसे छाती फाड़े हैं ,”

“देखा है “बंगाली दीदी” किस तरह से दहाड़े हैं……….”

“देखा है “गुलाम” दहशत का , जनहित की करता बातें ,”

“जिनके खुद परिवार में झगड़ा , बाँट रहे हैं सौगातें……….”

“उनको ज्यादा दर्द हुआ है , जिनके ज्यादा पाप रहे ,”

“अरबों-खरबों खूब उड़ाये , घोटालों के बाप रहे……….”

“भली-बुरी इस बंदी में , चलिये इतना तो काम हुआ ,”

“जमाखोर नेताओं का , थोड़ा तो काम तमाम हुआ………”

“लाइन में लगती जनता में ये नारे पुरजोर लगे ,”

“संसद को अवरुद्ध कराते , सारे नेता चोर लगे……….”

“उन चोरों की सरदारिन का , पप्पू भी बौराया है,”

“मोदी जी खुद भ्रष्टाचारी है , ये आरोप लगाया है……..”

“यूं लगता है चोर सुनाये , गीत आज रखवाली का ,”

“गंगा जल को डांट रहा है , कीड़ा गन्दी नाली का……….”

“यूं लगता है त्याग-तपों को , गाली दी अय्याशी ने ,”

“भारत माँ पर कीचड़ फेंका , इटली की महारानी ने………..”

“जिस मोदी की सगी भतीजी , बिन इलाज मर जाती हो ,”

“जिस मोदी की माता खुद , चलकर ऑटो से जाती हो……….”

“जिस मोदी के भाई अब भी , सादा जीवन जीते हों,”

“जिस मोदी के पास नही कुछ , खाते सारे रीते हों……….”

“जो मोदी अवकाश लिए बिन , अपना फर्ज निभाता है,”

“जो मोदी दीवाली भी , सेना के साथ मनाता है……”

“जो मोदी अट्ठारह घंटे , काम धुनी में रहता हो ,”

“जो मोदी हर भाषण में , भारत माँ की जय कहता हो……….”

“वो मोदी हरगिज़ भी पैसा ख़ोर नहीं हो सकता है”

“भारत माँ का सच्चा सेवक , चोर नहीं हो सकता है…..”
जय श्री राम्
जय हिंद 
भारत माता की जय
“मिल जाए दो वक्त रोटियां , और अधिक अरमान नहीं……….”
“बंद हुए जो नोट पुराने , थोड़े से घबराये हैं ,”
“माना अच्छे दिन से पहले , कष्ट भरे दिन आये हैं……….”
“लेकिन हमने इन कष्टों में , हल्ला होते देखा हैं ,”
“घोटालों के सरदारों का , धीरज खोते देखा हैं……….”
“जिस पंजे की पांचो उंगली , डूबी भ्रष्टाचारों में ,”
“वो ही आखिर क्यों चीखा है , टीवी में अखबारों में……….”
“देखा है , “पत्थर की देवी” कैसे छाती फाड़े हैं ,”
“देखा है “बंगाली दीदी” किस तरह से दहाड़े हैं……….”
“देखा है “गुलाम” दहशत का , जनहित की करता बातें ,”
“जिनके खुद परिवार में झगड़ा , बाँट रहे हैं सौगातें……….”
“उनको ज्यादा दर्द हुआ है , जिनके ज्यादा पाप रहे ,”
“अरबों-खरबों खूब उड़ाये , घोटालों के बाप रहे……….”
“भली-बुरी इस बंदी में , चलिये इतना तो काम हुआ ,”
“जमाखोर नेताओं का , थोड़ा तो काम तमाम हुआ………”
“लाइन में लगती जनता में ये नारे पुरजोर लगे ,”
“संसद को अवरुद्ध कराते , सारे नेता चोर लगे……….”
“उन चोरों की सरदारिन का , पप्पू भी बौराया है,”
“मोदी जी खुद भ्रष्टाचारी है , ये आरोप लगाया है……..”
“यूं लगता है चोर सुनाये , गीत आज रखवाली का ,”
“गंगा जल को डांट रहा है , कीड़ा गन्दी नाली का……….”
“यूं लगता है त्याग-तपों को , गाली दी अय्याशी ने ,”
“भारत माँ पर कीचड़ फेंका , इटली की महारानी ने………..”
“जिस मोदी की सगी भतीजी , बिन इलाज मर जाती हो ,”
“जिस मोदी की माता खुद , चलकर ऑटो से जाती हो……….”
“जिस मोदी के भाई अब भी , सादा जीवन जीते हों,”
“जिस मोदी के पास नही कुछ , खाते सारे रीते हों……….”
“जो मोदी अवकाश लिए बिन , अपना फर्ज निभाता है,”
“जो मोदी दीवाली भी , सेना के साथ मनाता है……”
“जो मोदी अट्ठारह घंटे , काम धुनी में रहता हो ,”
“जो मोदी हर भाषण में , भारत माँ की जय कहता हो……….”
“वो मोदी हरगिज़ भी पैसा ख़ोर नहीं हो सकता है”
“भारत माँ का सच्चा सेवक , चोर नहीं हो सकता है…..”
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