अपनी संस्कारी जड़ों की ओर लौटिये। अपने सनातन मूल की ओर लौटिये।

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अपनी संस्कारी जड़ों की ओर लौटिये।
अपने सनातन मूल की ओर लौटिये।

सूर्य जब भी पश्चिम में गया है, अस्त ही हुआ है

हमारे पास तो पहले से ही अमृत से भरे कलश थे
फिर हम वह अमृत फेंक कर उनमें कीचड़ भरने का काम क्यों कर रहे हैं

जरा इन पर विचार करें.

यदि मातृनवमी थी,
तो Mother’s day क्यों लाया गया ?

यदि कौमुदी महोत्सव था,
तो Valentine day क्यों लाया गया ?

यदि गुरुपूर्णिमा थी
तो Teacher’s day क्यों लाया गया ?

यदि धन्वन्तरि जयन्ती थी,
तो Doctor’s day क्यों लाया गया ?

यदि विश्वकर्मा जयंतीथी,
तो Technology day क्यों लाया गया ?

यदि सन्तान सप्तमी थी तब
तो Children’s day क्यों लाया गया ?

यदि नवरात्रिऔर कन्या भोजथा,तो –
Daughter’s day क्यों लाया गया ?

रक्षाबंधनहै तो Sister’s day क्यों ?

भाईदूजहै तो Brother’s day क्यों ?

आंवला नवमी, तुलसी विवाह मनाने वाले हिंदुओं को Environment day की क्या आवश्यकता है ?

केवल इतना ही नहीं, नारद जयन्ती ब्रह्माण्डीय पत्रकारिता दिवस है…

पितृपक्ष पीढ़ियों तक के पूर्वजों का पितृपर्व है

नवरात्रि को स्त्री के नवरूपों के दिवस के रूप में स्मरण कीजिये

*सनातन पर्वों को गर्व से मनाईये…*
*पश्चिमी अंधानुकरण मत कीजिये।*

ध्यान रखें .. !!

सूर्य जब भी पश्चिम में गया है तब अस्त ही हुआ है।

अपनी संस्कारी जड़ों की ओर लौटिये।
अपने सनातन मूल की ओर लौटिये।
व्रत, पर्व, त्यौहारों को मनाइये

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