तुलसी का पौराणिक महत्त्व व् औषधियों के गुण : 15 benefits of holy basil ( tulsi)

tulsiShri Maa Brahmani

तुलसी का पौराणिक महत्व (Ocimum sanctum)

तुलसी का पौराणिक महत्व
तुलसी के ऊपर एक पृथक पुराण लिखा जा सकता है, संक्षेप में तुलसी का धार्मिक व औषधि जनित महत्व अपने इस ब्लॉग पर बताने की कोशिश कर रहा हूँ । भारतीयों के लिए यह गंगा यमुना के समान पवित्र है, तुलसी की हिन्दू संस्कृति में धार्मिक महत्व कहकर पूजा की जाती है । लेकिन जितना उसका हमारे औषधि-शास्त्र से सम्बन्ध है उतना अन्य किसी भी औषधि से मनुष्य का सम्बन्ध नहीं है । लगभग सभी रोगों में अनुपात भेद और मिश्रण के साथ इसका प्रयोग किया जाता सकता है । आयुर्वेद-जगत में प्रत्येक रोग में काम आने वाली औषधियों में प्रमुख तुलसी या मकरध्वज है, जिसकी प्रयोग-विधि जान लेने से वैध संसार के लगभग सभी रोगों से लड़ सकता है, तुलसी में २७ तरह के खनिज पाए जाते हैं ।

विष्णु पुराण, ब्रह्म-पुराण, स्कन्द-पुराण, देवी भागवत पुराण के अनुसार तुलसी की उत्पति की अनेक कथाएँ हैं, पर एक कथा के अनुसार …

समुन्द्र-मंथन करते समय जब अमृत निकला, तो कलश को देखकर श्रम की सार्थकता से वशीभूत होकर देवताओं के नेत्रों से अश्रुस्राव हो उठा और उन बूंदों से तुलसी वृक्ष उत्पन्न हुए ।

तुलसी को विश्व में (Ocimum sanctum) ओसियम सेंटम के नाम से जाना जाता है । जिसके २२ भेद हैं, लेकिन मुख्यतया कृष्ण तुलसी, श्वेत तुलसी, गंध तुलसी, राम तुलसी, बन तुलसी, बिल्वगंध तुलसी, बर्बरी तुलसी, के नाम से जानी जाती है। तुलसी को सर्वरोग संहारक प्रवृत्ति के कारण ही घर में घरेलू वस्तु की श्रेणी में रखा है । तुलसी की गंध से मलेरिया के मच्छर दूर रहते है क्योंकि इसके पौधे में प्रबल विधुत-शक्ति होती है, जोकि पौधे के चारों और दो सौ गज रहती है । तुलसी की लकड़ी धारण करने से शरीर की विधुत शक्ति नष्ट नही होती इसी लिए इसकी माला पहनने का प्रचलन है । तुलसी की लकड़ी के टुकडों की माला पहनने से किसी भी प्रकार की संक्रामक बीमारी का भय नही रहता है।आयुर्वेद के मत में यह पथरी, रक्तदोष, पसलियों के दर्द, चर्मरोग, कफ और वायुनाशक है इसके पत्तों को दांतों से नहीं चबाना चाहिए, क्योंकि इसकी पत्तियों में पारा होता है । काली तुलसी का रस शरीर से पारे का विष नष्ट कर सकता है , इसलिए इसे निगलना ही अच्छा है । हिंदू शास्त्रों में लिखा है कि जिनके घर में लहलहाता तुलसी का वृक्ष रहता है उनके यहाँ कोई विपदा नही हो सकती है । यानि जब वृक्ष अचानक प्राकृतिक रूप से नष्ट हो जाए, तो कोई घर पर भारी संकट आने वाला है ।( ऐसा कहा जाता है) तुलसी की चाय नित्य कई बार पीना सर्वगुण सम्पन्नता का प्रतीक है , जबकि चाय व्यवहार मैं नुकसान पहुंचाती है । कर्णमूल में और जुकाम में तुलसी की पत्ती का रस तुंरत आराम देता है । तुलसी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी बताना जरुरी है । अपने घर में तुलसी बोने से तथा दर्शन करने से ब्रहम-हत्या जैसे पाप भी नष्ट हो जाते है । हजारों आम और पीपल बोने का जो फल है वह एक तुलसी वृक्ष को रोपने का है । तुलसी की जड़ में कार्तिक मास में, जो शाम को दीपक जलाते हैं , उनके घर में श्री और संतान की वृद्धि होती है तथा तुलसी की मंजरी से श्रावन भाद्रपद में भगवान् विष्णु को चंदन अर्पण करते हैं , वे लोग मृत्यु के पश्चात विष्णु लोक को जाते हैं क्योंकि तुलसी को विष्णु प्रिय भी कहते हैं । तुलसी को बोने से उसको दूध से सींचने पर स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है । तुलसी की मृत्तिका को माथे पर लगाने से तेजस्विता बढ़ती है । तुलसी- युक्त जल से स्नान करते समय ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ‘ का जप करने से प्रेतबाधा से मुक्ति मिलती है । तुलसी के पत्ते एक माह तक बासी नहीं माने जाते हैं । तुलसी के स्तोत्र , मन्त्र , कवच आदि के पठन और पूजा से पूजन भोग और मोक्ष प्राप्त होता है और समस्त इच्छाएं पूरी हो जाती हैं, ऐसी देवी भागवत पुराण में कथाएँ हैं। कार्तिक शुक्ल एकादशी को तुलसी पूजन का उत्सव मनाया जाता है, किंतु उत्तर भारत में इसका विशेष महत्त्व है वैसे तो तुलसी विवाह के लिए कार्तिक शुक्ल नवमी की तिथि ठीक है परन्तु कुछ लोग एकादशी से पूर्णिमा तक तुलसी पूजन कर पांचवें दिन तुलसी का विवाह करते हैं । तुलसी विवाह की यही पद्धति अधिक प्रचलित है।

‘वृंदा, वृन्दावनी, विश्वपावनी, विश्व्पुजिता, पुष्पसारा, नंदिनी, तुलसी, कृष्णाजीवनी’ इन आठ नामों के जप से अश्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्त होता है । तुलसी के वृक्ष की देखभाल करने के लिए भी कुछ बातें ध्यान में रखनी चाहिए जून-जुलाई-अगस्त इन मासों में तुलसी को बोने से यह जल्दी अंकुरित होती है, यदि तुलसी को वृक्ष से अलग करें, तो उसकी मंजरी और पास के पत्ते तोड़ना चाहिए ताकि वृक्ष अधिक बढे । यही नहीं मंजरी तोड़ने से भी वृक्ष खूब बढ़ता है । यदि पत्तों में छेद दिखाई दें तो गोबर के कंडों की राख कीटनाशक औषधि के रूप में प्रयोग करना चाहिए। उबली चाय की पत्ती धोकर तुलसी की श्रेष्ट खाद्य के रूप में प्रयोग किया जा सकता है । और एक बात क्योंकि तुलसी की पूजा की जाती है इसलिए कुछ अवस्थाओं में इसको छूना निषेद माना गया है जैसे तेल की मालिश करके , बिना नहाये , संध्या के समय, रात्री को और अशुद्ध अवस्था में ।

15 benefits of holy basil ( Tulsi)

M.P.Bhattatirth

please visit

http://hinduism.about.com/od/ayurveda/a/tulsibenefits.htm

The tulsi or holy basil is an important symbol in the Hindu religious tradition and is worshiped in the morning and evening by Hindus at large.  The holy basil is also a herbal remedy for a lot of common ailments. Here’re top fifteen medicinal uses of tulsi.

1. Healing Power: The tulsi plant has many medicinal properties. The   leaves are a nerve tonic and also sharpen memory. They promote the removal of   the catarrhal matter and phlegm from the bronchial tube. The leaves strengthen   the stomach and induce copious perspiration. The seed of the plant are mucilaginous.

MUST WATCH: Top 4 Videos on the Healing Powers of Tulsi

2. Fever & Common Cold: The leaves of basil are specific for many   fevers. During the rainy season, when malaria and dengue fever are widely prevalent,   tender leaves, boiled with tea, act as preventive against theses diseases. In   case of acute fevers, a decoction of the leaves boiled with powdered cardamom   in half a liter of water and mixed with sugar and milk brings down the temperature.   The juice of tulsi leaves can be used to bring down fever. Extract of tulsi   leaves in fresh water should be given every 2 to 3 hours. In between one can   keep giving sips of cold water. In children, it is every effective in bringing   down the temperature.

3. Coughs: Tulsi is an important constituent of many Ayurvedic cough   syrups and expectorants. It helps to mobilize mucus in bronchitis and asthma.   Chewing tulsi leaves relieves cold and flu.

4. Sore Throat: Water boiled with basil leaves can be taken as drink   in case of sore throat. This water can also be used as a gargle.

5. Respiratory Disorder: The herb is useful in the treatment of respiratory   system disorder. A decoction of the leaves, with honey and ginger is an effective   remedy for bronchitis, asthma, influenza, cough and cold. A decoction of the   leaves, cloves and common salt also gives immediate relief in case of influenza.   They should be boiled in half a liter of water till only half the water is left   and add then taken.

6. Kidney Stone: Basil has strengthening effect on the kidney. In case   of renal stone the juice of basil leaves and honey, if taken regularly for 6   months it will expel them via the urinary tract.

7. Heart Disorder: Basil has a beneficial effect in cardiac disease   and the weakness resulting from them. It reduces the level of blood cholesterol.

8. Children’s Ailments: Common pediatric problems like cough cold, fever,   diarrhea and vomiting respond favorably to the juice of basil leaves. If pustules   of chicken pox delay their appearance, basil leaves taken with saffron will   hasten them.

9. Stress: Basil leaves are regarded as an ‘adaptogen’ or anti-stress   agent. Recent studies have shown that the leaves afford significant protection   against stress. Even healthy persons can chew 12 leaves of basil, twice a day,   to prevent stress. It purifies blood and helps prevent several common elements.

10. Mouth Infections: The leaves are quit effective for the ulcer and   infections in the mouth. A few leaves chewed will cure these conditions.

11. Insect Bites: The herb is a prophylactic or preventive and curative   for insect stings or bites. A teaspoonful of the juice of the leaves is taken   and is repeated after a few hours. Fresh juice must also be applied to the affected   parts. A paste of fresh roots is also effective in case of bites of insects   and leeches.

12. Skin Disorders: Applied locally, basil juice is beneficial in the   treatment of ringworm and other skin diseases. It has also been tried successfully   by some naturopaths in the treatment of leucoderma.

13. Teeth Disorder: The herb is useful in teeth disorders. Its leaves,   dried in the sun and powdered, can be used for brushing teeth. It can also be   mixed with mustered oil to make a paste and used as toothpaste. This is very   good for maintaining dental health, counteracting bad breath and for massaging   the gums. It is also useful in pyorrhea and other teeth disorders.

14. Headaches: Basil makes a good medicine for headache. A decoction   of the leaves can be given for this disorder. Pounded leaves mixed with sandalwood   paste can also be applied on the forehead for getting relief from heat, headache,   and for providing coolness in general.

15. Eye Disorders: Basil juice is an effective remedy for sore eyes   and night-blindness, which is generally caused by deficiency of vitamin A. Two   drops of black basil juice are put into the eyes daily at bedtime.

DISCLAIMER: These are only general guidelines as a first aid. It is   always better to see a doctor depending upon the intensity of the case. The   views expressed above are entirely those of the author.

 

 

Filed in: आरोग्य /योग

10 Responses to “तुलसी का पौराणिक महत्त्व व् औषधियों के गुण : 15 benefits of holy basil ( tulsi)”