5:46 pm - Tuesday April 25, 8490

Archive: Poems Subscribe to Poems

आग की भीख

धुँधली हुई दिशाएँ, छाने लगा कुहासा, कुचली हुई शिखा से आने लगा धुआँसा। कोई मुझे बता दे, क्या आज...

झाँसी की रानी

सुभद्रा कुमारी चौहान सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में आई फिर से नयी...

घायल भारत माता की तस्वीर दिखाने लाया हूँ

“डॉ. हरिओम पंवार” मैं भी गीत सुना सकता हूँ शबनम के अभिनन्दन के मै भी ताज पहन सकता हूँ नंदन वन...