पाकिस्तान मैं राष्ट्रपति शासन व्यवस्था का प्रचार : क्या चीन जनरल राहील शरीफ को राष्ट्रपति बनाना चाह रहा है ? is China wanting to make Genral Raheel Shareef the President Of Pakistan ?
आज कल पाकिस्तान की खस्ता अर्थ व्यवस्था है . मंहगाई आसमान पर चढ़ गयी है . डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपया अब लगभग १५० रूपये का हो गया है . इसके चलते गैस , बिजली , ट्रांसपोर्ट , उर्वरक इत्यादि सब महंगे हो गए हैं . इतने अवमूल्यन पर भी पाकिस्तानी निर्यात मैं कोई बढ़ोतरी नहीं हुई . खाडी के देशों से आने वाला पैसा भी कम हो गया है . इमरान खान की एक बार तो मदद कर मित्र देशों ने कुछ क़र्ज़ दे दिया है पर अब कोई नहीं देगा . चीनी सीपेक के चलते आई एम् ऍफ़ से कर्जा मिलना अभी कठिन दीख रहा है . वहां के नए वित्त मंत्रि असद उम्र से सेना के दबाब से इस्तीफा ले लिया गया है . किसी को भी कुछ समाधान नहीं सूझ रहा है . बिना निर्यात बढ़ाये कुछ भी संभव नहीं है . निर्यात बढाने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है . जल्द ही जनता का गुस्सा फूट जाएगा और इमरान खान को नकारा घोषित कर दिया जाएगा .
उसी तरफ पाकिस्तानी सेना दिखाने के लिए इमरान के साथ है परन्तु वहां घटते बजट को चल क्रर क्रोध है क्योंकि कुछ भी नया कह्रीदने के लिए पैसा नहीं है . उधर भारत से बराबरी करने की आत्मघाती होड़ मैं चीन उसे पनडुब्बी , एयर क्राफ्ट करियर , जे ऍफ़ १७ ब्लाक ३ हवाई जहाज इत्यादि बेचने को उत्सुक है . पाकिस्तान मैं कराची के पास तेल निकलने की खबर ने पाकिस्तानी सेना के दबे हुए अरमानों को जगा दिया है . वह तेल की खरीद से आये पैसे के बड़े हिस्से को शस्त्र खरीदने मैं बर्बाद करना चाहती है जबकि जन प्रतिनिधि सरकार उसे जनता की भलाई के लिए खर्च करना चाहेगी . ज़रदारी ने १८ वें संशोधन से राज्यों को बहुत पैसा दे दिया था . केंद्र सरकार के पस्बहुत कम पैसा बचा है और सेना इससे बहुत न खुश है . वह राज्यों का पैसा कम कर रक्षा बजट बढ़ाना चाहती है . और इसलिए जिया के संविधान को ख़त्म कर अमरीकी तर्ज़ का संविधान लाना चाहती है जिसमें राष्ट्रपति सीधा चुना जाता है .
पाकिस्तान इस व्यवस्था को पहले अयूब बाद मैं कुछ दिनों के लिए भुट्टो व् जिया व् मुशर्रफ़ के समय देख चुका है . इनमें से कभी भी देश का भला नहीं हुआ और पकिस्तान की सारी बर्बादी राष्ट्रपति शासन मैं ही हुई है . पाकिस्तान विकास के लिए सदा से अमरीकी मदद पर आश्रित रहा है . जब जब मदद रुकी तब तब उसके दुर्दिन शुरू हो जाते थे जो अब भी हो रहा है . चीनअमरीका की तरह पाकिस्तान को कभी पैसा नहीं देता .तो फिर अब क्यों यह नया शगूफा छोड़ा जा रहा है ?
वास्तव मैं सेना अप्रत्यक्ष रूप से देश पर शासन करना चाहती है . नवाज शरीफ ने यह नहीं होने दिया .उनकी व् ज़रदारी की दुर्गति कर उसने सब राजनेताओं को उनकी औकात दिखा दी है . अब पूर्व मुख्य न्यायाधीश निस्सार को डैम फण्ड इत्यादि के लिए धमकाया जा रहा है .न्याय पालिका को कभी जनरल कियानी ने जस्टिस चौधरी को सिर्फ एक थप्पड़ मार कर सीधा कर दिया था. इसलिए जस्टिस निस्सार को पूरी तरह से उपयोग कर अब उनको भी नवाज शरीफकी तरह उत्पीडित किया जायेगा जिससे न्याय पालिका की रीढ़ भी झुक जायेगी .
रह गयी वह पाकिस्तानी जनता जो भुट्टो की फांसी पर भी नहीं खडी हुई तो अब क्या कर र्लेगी ?
पहले इमरान खान को जस्टिस निस्सार की तरह उपयोग कर संविधान मैं परिवर्तन कर राष्ट्रपति शासन लाया जाएगा . सर्वोच्च न्यायलय से उस पर आवश्यकता की मुहर लगवा ली जायेगी . उसके बाद मैं इमरान के खिलाफ देश विरोधी प्रदर्शन का ड्रामा रचा जाएगा . अंत मैं राहील शरीफ को चुनाव में उतारा जाएगा . उनको राष्ट्रपति बना कर सेना के वर्तमान चहेते विदेश मंत्री कुरैशी को प्रधान मंत्री बना कर सेना शासन चलायेगी . राहील शरीफ के पकिस्तान आने से जनरल बाजवा उनकी जगह सऊदी अरेबिया मोटी तनख्वाह पर चले जायेंगे और सब रिटायर्ड सेना प्रमुख का यह नयी भूमिका बन जायेगी .
इस सब के पीछे चीन का हाथ होने की प्रबल संभावना है . उसे पाकिस्तानी सेना की आवश्यकता है और बीस साल से उसने सेना को पाला है . सीपेक वैसे तो पकिस्तान को ईस्ट इंडिया कमपनी की तरह गुलामी मैं डालने का रास्ता है परन्तु सीपेक की सडक के किनारे की सारी ज़मीन हथिया कर सेना के अफसर अमीर हो जायेंगे . वैसे ही पेट्रोल वितरण पर भी सेना कब्ज़ा करना चाहती है . यदि कराची के समुदर मैं तेल निकला तो सेना तेल पर भी कब्ज़ा कर लेगी .
भारत के लिए येह दुखद परिस्थिति है . पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की दुर्गति यदि बनी रही तो सेना की मांग कम रहेगी . परंन्तु यदि तेल के बड़े भण्डार मिल गए तो चीन उनपर कबजा पाकिस्तानी सेना की मदद से करना चाहेगा . इसे सिर्फ अमरीका ही रोक सकता है क्योंकि चीन के पास इतने गहरे समुद्र से तेल निकलने की तकनीक नहीं है .
चीन का पाकिस्तानी सेना से गठजोड़ जनरल कियानी सरीखे सेनाध्यक्षों की मदद से तोड़ा जा सकता है .
परन्तु बिल्ली के गले मैं घंटी बांधे का कौन ?