Sheetal Prasad Sharma, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से स्नातकोत्तर (1999)
श्री राम जी की वंशावलीहै-
ब्रह्मा जी से मरीचि हुए।
मरीचि के पुत्र कश्यप हुए।
कश्यप के पुत्र विवस्वान थे ।
विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए।
वैवस्वत मनु के समय में ही जल प्रलय हुआ था वैवस्वत मनु के 10 पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था।
इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुल की स्थापना की इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षी हुए।
कुक्षी के पुत्र का नाम कुक्षी था।
कुक्षी के पुत्र बाण थे ।
बाण के पुत्र अनरण्य हुए ।
अनरण्य से पृथु हुए ।
पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ ।
त्रिशंकु के पुत्र धुन धुंधुमार हुए।
धुंधुमार के पुत्र यूवनाश्व थे ।
यूवनाश्व के पुत्र मांधाता थे ।
मांधाता से सुसंधी ।सुसंधि के 2 पुत्र थे। ध्रुव संधि एवं प्रसनजीत ध्रुव संधि के पुत्र भरत थे ।
भरत के पुत्र हुए असित ।
असित के पुत्र हुए सगर।
सगर के पुत्र का नाम असमंज था ।
असमंज के पुत्र अंशुमान हुए ।
अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए ।
दिलीप के पुत्र भागीरथ हुए।
भागीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर उतारा था भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थथे।
ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए।
रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया तब से श्रीराम के कुल को रघुकुल भी कहा जाता है ।रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए ।
प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे ।
शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए ।
सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्नि वर्ण था ।
अग्नि वर्ण के पुत्र शीघ्रग।
शीघ्रग के पुत्र मरू हुए।
मरू के पुत्र प्रशुश्रुक थे।
प्रशुश्रुक के पुत्र अंबरीश हुए ।
अंबरीश के पुत्र का नाम नहुष था।
नहुष के पुत्र ययाति हुए।
ययाति के पुत्र नाभाग हुए।
नाभाग के पुत्र का नाम था अज।
अज के पुत्र का नाम दशरथ था ।
दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न थे।
इस प्रकार ब्रह्मा की 39 वीं पीढ़ी में श्री राम का जन्म हुआ था।
स्त्रोत- व्हाट्सएप फारवर्ड