संघर्षो की छाया में हम भारतवंशी पलते आये हैं
तलवारों की गूंजो संग हमने गीत स्वाभिमान के गाये है
अरि मुंडो के ढेर लगा हम निज गौरव मान बढ़ाएंगे
शोणित से भारत माँ का कर वंदन निज भारत नया बनायेंगे
है कौन रहा इस जगह में, जो हम से युद्ध में जीत गया
गौरी हो या हो अफजल, उसको इतिहास हमारा लील गया
भारत माँ की रक्षा को शिवा – पृथ्वी फिर लौट कर आयेंगे
देश धर्म की रक्षा को, फिर से महाभारत नया रचाएंगे
यह भारत की पवन धरती है, गीता रामायण के बोल यहाँ
शास्त्रों के संग शस्त्रो की, संगत रही अनमोल यहाँ
हम बुद्ध संग ध्याते कृष्णा यहाँ, शंखनाद सुनाते आयेंगे
शोणित से भारत माँ का वंदन कर निज भारत नया बनायेंगे
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