बहुत लोगों को गुस्सा दिलाने के बावजूद यह कहना आवश्यक है कि सचिन को भारत रत्न दिया जाना बहुत लोगों को कुछ अटपटा लगता है . पहली बात तो सचिन के एक बहुत उच्च बल्ले बाज़ होने की है . वह निस्संदेह भारत के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ हैं . परन्तु डॉन ब्रडमैन की औसत रन संख्या सचिन से दुगनी है . तकनीक मैं भी लारा ,सोबर्स इत्यादि उनके समकक्ष हैं .सचिन के बारे मैं सबसे प्रमुख हैं उनकी लम्बी पारी . परन्तु कुछ लोगों का यह विचार भी है की सचिन पिछले कुछ वर्षों से रेकार्डों के लिए खेल रहे थे जबकि उनका प्रदर्शन गिरता जा रहा था . दबे स्वर मैं अनेक लोग पूछ रहे थे की क्यों सचिन रिटायर नहीं हो रहे .इसके विपरीत विल्सन जोंस ,गीत सेठी , विश्वनाथ आनंद इत्यादि अनेक विश्व चम्पियनों को हमने नहीं पूछा . चीन ,अमरीका , रूस तो हर ओलिंपिक मैं अनेकों स्वर्ण पदक जीतते हैं . फेडरर जैसे अनेकों खिलाड़ी वर्षों विश्व चैंपियन रहते हैं . हम क्यों इतनी जल्दी भारत रत्न देते हैं . फिर क्रिकेट भक्ति कितनी देश हित मैं है यह भी सोचने की आवश्यकता है . अब तो क्रिकेट मात्र सटोरियों का प्रिय खेल होने वाला है. ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार मैं डूबा है. भारत को हराने के लिए पैसा लेने वाले भारतीय कप्तान अब भी टी वी पर आ जाते हैं.
फिर एक प्रश्न यह भी है की भारत रत्न किस तरह की उपलब्धी के लिए दिया जाय . सी एन आर राव से अधिक क्या इसे किसी मिसाइल या मंगल या चंद्रयान मिशन के वैज्ञानिक को दिया जाना चाहिए ?
यदि मंग्लायन की सफलता के बाद देते तो जनता को बहुत अच्छा लगता.
क्या इनफ़ोसिस के मूर्ती या रतन टाटा इसके ज्यादा हकदार नहीं हैं . उन्होंने भारत का वास्तव मैं भविष्य बदला है. क्रिकेट तो मात्र खेल ही है. सौ कैच ले के देश की कितनी सेवा होती है यह तो उन लाखों बच्चों से पूछो जिन्हें आई टी मैं नौकरी मिली है . यदि टीसीएस , इनफ़ोसिस, विप्रो नहीं होती तो लाखों बच्चे बेरोजगार घूम रहे होते .
सबसे आवश्यक है की चयन मैं राजनीती नहीं बल्कि श्रद्धा दीखे . भारत रत्न सचमुच के रत्न हों और उनका चुनाव पक्षपात या भाई भतीजा वाद से दूर हो..
भारत रत्न का अवमूल्यन नहीं होना चाहिए .
प्रवक्ता से साभार लिए निम्न लिखित लेख को लिंक पर क्लिक कर पढ़ें .
क्रिकेट का भगवान या हॉकी का जादूगर |
भगवंत अनमोल
आजकल बहस इस बात पर हो रही है कि सचिन और ध्यानचंद में से किसे सबसे पहले भारत रत्न देना चाहिए। इस बात से तो किसी को ऐतराज नहीं होगा कि सचिन भारत रत्न के हकदार नहीं है, बस मामला तूल इस बात पर पकड़ रहा है कि किसे पहले भारत रत्न मिलना चाहिए ?
सचिन तेंदुलकर, वर्तमान में विश्व के सबसे बड़े बल्लेबाज है। हम सब उन्हें भगवान की तरह मानते है क्योंकि हमने किसी और को अपनी आँखों के सामने उनसे अच्छा खेलता नहीं देखा। हम चाहते थे कि सचिन को भारत रत्न मिले ताकि उनका नाम सबसे अलग रूप में भारत में अमर हो जाए। हम उन्हें सिर्फ क्रिकेटर के तौर पर ही नहीं देखते थे, बल्कि इससे अधिक वो हमारे दिलो पर राज करते थे, उन्होंने हर उस बार हमारे चेहरे पर मुस्कान लायी जब हमने उन पर विश्वास किया। हर उस मैच में शतक जड़ा जब हमने उनसे अपेक्षा रखी। कई दफा तो अपने दम पर पूरी की पूरी सीरीज में विपक्षी ग्यारहों खिलाडियों को मात दे देते थे।
दूसरी तरफ बात करते है हॉकी के जादूगर ध्यानचंद की। हमने कभी हॉकी के जादूगर ध्यानचंद जी को खेलते नहीं देखा, बस उनके बारे में पढ़ा और सुना, जैसा पढ़ा और सुना उससे तो यही लगता है कि वो हॉकी के अब तक के सर्वश्रेष्ठ खिलाडी है। अब तक सर्वकालिक रूप से उनसे बेहतर कोई हॉकी खिलाडी नहीं रहा। मैंने ऐसा भी पढ़ा है कि वो आज तक एक भी मैच हारे नहीं। परन्तु दुसरे तरफ हमारे समय में वो खेले भी नहीं, अतः हमारी भावनाए उनसे जुडी भी नहीं रही।
हमारा ये स्वाभाविक प्रकृति है कि हम उस व्यक्ति से अधिक जुड़े होते है, जिससे हमारा भावनात्मक जुड़ाव होता है। चाहे आप अपने ही क्षेत्र लेखन में ले ले। दिल्ली के बाहर का व्यक्ति अपनी पहली पुस्तक दरया गंज से प्रकाशित नहीं करवा सकता क्योंकि भावनात्मक रूप से प्रकाशक नहीं जुड़ा होता। वैसे ही हमारे दिल में सचिन बसते है, इसलिए हम पूरे दिल से कई वर्षो से चाहते थे कि सचिन को भारत रत्न मिले। इस बात ने तब जोर पकड़ी जब सचिन को ऑस्ट्रेलिया का सर्वोच्च नागरिक का पुरष्कार दिया गया।
अब प्रश्न आपसे-
क्या आप सच्चे मन से कह सकते हैं कि सचिन सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ बैट्समैन है ?
आप बिना सोच समझे तुरंत जवाब देंगे नहीं ?
परन्तु अगर आपसे प्रश्न किया जाए कि ध्यानचंद सर्वकालिक सर्वश्रष्ठ हॉकी के खिलाडी है ?
आप इस बार भी बिना सोचे समझे कहेंगे हां।
तो बात यहीं से साफ़ है कि पहले किसे भारत रत्न मिलना चाहिए, खैर अब कुछ बाते जोड़ना चाहूंगा कि आखिर हुआ क्या सचिन और भारत रत्न के साथ…
हम सभी चाहते थे कि सचिन को भारत रत्न मिले और एक सामान्य नागरिक के नाते सरकार के लोगो की भावनाए भी सचिन से जुडी थी क्योंकि भारत में क्रिकेट लगभग हर दूसरा व्यक्ति देखता है। परन्तु सरकार को अपनी भावनाओ से नहीं पर देश और समाज के हिसाब से निर्णय लेना चाहिए। परन्तु सरकार सही गलत को सोचे बगैर भावनाओ में बह गयी।
दूसरी तरफ चक दे इंडिया में भी दिखाया गया कि हॉकी गरीबो का खेल है और इससे बहुत कम लोग जुड़े है , जिस वजह से इस खेल को अनदेखा किया जा रहा है, और बीसीसीआई दुनिया की सबसे अमीर बोर्ड है, अमीरी और गरीबी के इस खेल में जीत अमीरी की ही हो गयी।
एक और नजरिया देखे तो वह यह कि सचिन कोंग्रेस के ही सांसद है और सचिन को भारत रत्न देने में अपना पराया भी देखा गया होगा क्योंकि इस मामले में हर पार्टी अपने से ही जुड़े लोगो को ऐसे पुरस्कार देती है ।
सबसे मुख्य बात 2014 के चुनाव अब अधिक दूर नहीं, हर भारतीय के दिलो पर राज करने वाले सचिन को भारत रत्न देकर भारतीय वोटो को खींचने कि भी कोशिश हो सकती है।