केजरीवाल और सत्ता की दुल्हन : सुन्दर हास्य कविता

यह  कविता नेट से ली है पर इसके रचयिता का नाम नहीं पता लग रहा . अगर किसी की पता हो तो बता दें .

kejriwal sheila                                                                                                                                                                              kejriwal bride

 

Delhi politics summarized
दिल्ली कि कुर्सी पे बैठने,दो-दो दुल्हे आए।
दुल्हन बैठी इंतजार मेँ, मंद-मंद मुस्काए॥
बीजेपी का दुल्हा बोला,मेरे बाराती कम हैँ।
ले जाओ तुम कजरी भैया, अगर सच मेँ तुम मेँ दम है॥
… काँग्रेस बोली केजरी से, हम देँगे तुझे समर्थन।
केजरी तुम्हारी शादी मेँ, धोयेँगे सारे बर्तन॥
केजरी बेचारा बोले! न करनी मुझे शादी भैया,
न बनना मुझे दुल्हा।
तुम दोनो मिलकर के मुझसे, फूँकवाओगे चुल्हा॥
आज सुबह केजरी भैया को, एक संदेशा आया।
लड़की के बाप ने उनको, घर पे अपने बुलवाया॥
मान जाओ कजरी बेटा, क्योँ अब तुम तरसाते हो।
दुसरी शादी का खर्च क्यूँ,सिर पर चढ़वाते हो॥
दुल्हन के नखरे देखे बहुत, अब दुल्हा नखरे दिखाए।
शादी करने से पहले ही, 18 वचन बताए॥
जो न मानो शर्ते मेरी, मैँ शादी नहीँ करूँगा।
शादी के मंडप के बाहर, अनशन फिर से करूँगा॥
न जाने क्यूँ सारे मिलकर, मेरे ही पिछे पड़े हो।
बलि का बकरा बनवाने को, सब तैयार खड़े
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