मोदी जी : निरुत्साहित जनता मैं पंद्रह अगस्त को उत्साह का मन्त्र अवश्य फूंकिए
हम यह तो नहीं जानते की बाबुओं की जमात आप को क्या पाठ पढ़ा रही है , पर यह जरूर जानते हैं की जनता का जो असीम उत्साह चुनाव परिणाम के दिन देखा था अब वह ध्वस्त हो चूका है . गलती किसकी है इस बहस मैं कुछ नहीं मिलेगा . उत्साह को कैसे बचाया जाय यह जानना ज्यादा आवश्यक है . जनता का आशावान रहना व् सरकार पर विश्वास न उठने देना अति आवश्यक होता है .
आपकी सरकार जनता की नज़रों मैं बाबुओं की सरकार बन गयी है .
बाबु तो आपको यह भी बता रहे होंगे की जनता का अति उत्साह भयंकर था और उस बवंडर का बीत जाना ही देश के लिए अच्छा है. एक बार शांति आ जाये तो धीरे धीरे देश को बदलेंगे . नेहरु ज़माने के लोगों से वैचारिक या सांस्कृतिक परिवर्तन की उम्मीद व्यर्थ है. स्वयं ब्रजेश मिश्र ने वाजपेयी काल मैं सांस्कृतिक क्रांती को न होने देने का दंभ भरा था. बाबु क्रांति दूत कभी नहीं बन सकता . उससे क्रांति की
उम्मीद करना तो रेगिस्तान मैं गंगा ढूँढने जैसा है .बाबु साठ साल से जो सीखा है वही तो आपको बताएगा . उसने संभल संभल कर अपनी नौकरी बचा कर चलना सीखा है . वह आपको वही सुनाएगा जिससे आपको आक्रोश न आये . इसलिए आपको सब ठीक है ही चहुँ ओर बताया जायेगा . आपके मंत्री सब के सब यथास्थिति मैं दस प्रतिशत का बद्लाव ला कर अपने को पहली सरकार से अच्छा सिद्ध करने से ज्यादा कुछ नहीं चाहते
.इससे उनकी नौकरी बची रहेगी . यह भी बाबुओं की सोच है.
वास्तव मैं आपके मंत्रिमंडल मैं विद्वानों का बहुत अभाव है . कोई ऐसा नहीं है जो नेहरु की विचारधारा के समानांतर नयी और बेहतर विचारधारा दे सके . इसलिए वही पुरानी चाय नयी केतली मैं पेश करे जा रहे हैं जो हमें बजट मैं देखने को मिला. मंत्रिमंडल मेंकुछ जाने मने विद्वानों को अवश्य शामिल कीजिये.
अपने को नर सिंह राव जी से मिला कर देखिये . भारत के सोना गिरवी रखने के झटके को उन्होंने देश पर नेहरु का चिंतन हटा कर श्री मनमोहन सिंह के चिंतन को लाने मैं उपयोग किया . अगले बीस साल तक देश मनमोहन सिंह के आर्थिक रस्ते पर चलता रहा . स्वयं वाजपेयी जी ने कहा था की नर सिंह राव जी के काल मैं भ्रष्टाचार ही ज्यादा बुरा था अन्यथा कई अच्छे कार्य किये गए थे . यही बात मनमोहन सिंह के प्रधान
मंत्रि काल पर भी लागु होती है . अगर उनको स्वंतंत्रता दे दी गयी होती तो देश की यह आर्थिक दुर्गति नहीं होती. उन्होंने अपनी चुप्पी व् दब्बुपने का दंड चुनाव मैं पाया. पर उनके मेधावी होने पर किसी को संदेह नहीं है .
अब आपको अपना नया मनमोहन ढूंढना है जो नेहरु की ३-४ प्रतिशत की प्रगति नहीं बल्कि देश को चीन बनाने की क्षमता रखता हो . परवेज़ मुशर्रफ़ ने भी शौकत अज़ीज़ को ढूंढ लिया था जिसने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को वैसा ही बदला जैसे मनमोहन सिंह ने बदला .
वह शौकत अज़ीज़ या नया मनमोहन आपको बाबुओं के जंगल मैं नहीं मिल सकता . यह जंगल तो छोटे मोटे चूहों का जंगल है . इसके बाहर जाइए .
आप मैं स्वयं सिंगापूर के ली कुआँ बनने का विश्वास जगाइए व् देश क नयी आशा दीजिये . कम से कम जो आशा पिछले तीन महीने मैं लुप्त हो गयी होई उसे फिर से जगाईये . पंद्रह अगस्त के लाल किले के भाषण का सही उपयोग कीजिये.
भारतीय संस्कृति की श्रेष्टः को सिद्ध कीजिये . देश जो पांच हज़ार साल पहले सातों समुद्रों को पार कर व्यापार करता था उन व्यापारियों को पुनः प्रेरित कीजिये . देश का अपने उद्योगपतियों के प्रति अविश्वास समाप्त कीजिये जो मार्क्सवादियों की देन है . क्यों हम उद्योग पतियों को देश द्रोही मानते हैं .भारत की विकास यही उद्योगपति करेंगे . भारत के सॉफ्टवेर मैं इतना आगे बढ़ने मैं किस
बाबु का योगदान था . नारायण मूर्ती , अज़ीम प्रेमजी या टाटा को बाबुओं ने नहीं बनाया . इसलिए मार्क्सवादियों की पुरानी ढकोसले वाली नित्तियों को बदलिए .
आपने गुजरात मैं जो सिचाई का विकास किया है उसे आगे बढाइये . पूरे देश मैं खेती की प्रगति न के बराबर ही है . हम दो ढाई प्रतिशत की उन्नती को बहुत मानने लगे हैं . इस चिंतन को बदलिए . कृषि की विकास दर को पांच प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए.
आप बार बार युवा देश की बात करते हैं पर वह युवा तो मनरेगा की अफीम खा के बैठा है . उससे निठल्लेपन की अफीम छीनिये पर साथ मैं कोई मेहनत से कमाई का जरिया भी दीजिये.
तीन महीने मैं बाबुओं ने देश को आगे ले जाने के बारे मैं क्या सोचा ?
क्या वह जनता की आशाओं को जगा पायेगा या उन्हें सोने के लिए प्रेरित करेगा.
आर्थिक क्षत्र मैं प्रगति नहीं हुयी तो समझ आता है . पर हिंदुत्व वादी सोच कहाँ गयी .
वही ब्रजेश मिश्रा वादी तत्व आप की सरकार पर भी हावी हो गए हैं . फिर उसी घिसी पिटी छद्म धर्मनिरपेक्षता के नाम पर जिन लोगों ने आपको वोट दिया उनके लिए कुछ नहीं पर जिन्होंने न कभी आपको वोट दिया न देंगे उनके लिए सब कुछ, यह क्या न्याय है . हर सरकार उनकी गुलाम क्यों हो जाती है . गरीब हिन्दुओं को उनकी संख्या के अनुपात मैं पहले छात्रवृति देकर उस अन्याय की भरपाई कीजिये जो पिछली सरकार ने
२३०० करोड़ सिर्फ मुस्ल्मानों मैं बाँट कर किया है.किया है .नेहरु वादी तत्वों को सांस्कृतिक विभागों से निकालिए . हिन्दुओं विशेषतः गरीब हिन्दुओं को पहले किये गए अन्याय की भरपाई कीजिये .
शिक्षा मैं भी बाबुई चिंतन हावी हो गया है. चीन जैसी क्रांति की हम उम्मीद किससे करें ?
तो मोदी जी इसलिए अपना पंद्रह अगस्त का भाषण किसी बाबु से न लिखवाएं अन्यथा देश की आशा धूमिल हो जाएगी. देश को आपसे बहुत उम्मीदें हैं .
देश मैं आस्था व् आशा का पुनः प्रवाह कीजिये
जय हिन्द !
– Rajiv Upadhyay