5:32 pm - Saturday November 24, 7618

शिव सेना बीजेपी गठबंधन का टूटना : बुरे दिन आने वाले हैं !

शिव सेना बीजेपी गठबंधन का टूटना : बुरे दिन आने वाले हैं !
 
Rajiv UpadhyayRKU
कुछ लोग आने वाले बुरे दिनों की आहट नहीं सुन पाते हैं !
बीजेपी का शीर्ष नेत्रित्व उन्हीं लोगों में से लगता है. शिव सेना व् बीजेपी का गठबंधन बहुत पुराना था और पुराने देखे परखे दोस्तों को छोड़ा नहीं जाता खास कर उन्हें जिन्होंने बुरे समय मैं बीजेपी का साथ निभाया . बीजेपी ने १३० सीट मांगी जो शिव सेना ने दे दीं .हो सकता है की मुख्य मंत्री पर आदितय सरीखे नौसिखयों को बिठाने या ऐसी कोई बेवकूफी की बात भी हुयी हो. अमित शाह को आदिल शाह कहना नहीं भाया हो.
यह भी सच है की राज्यों के गटबंधन मैं बिहार , पंजाब , हरयाणा , महाराष्ट्र मैं बी जे पी को गौण पार्टी बना दिया था . पर इसके लिए दब्बू नेताओं को कुर्सी पर बिठाना था. ममता बनर्जी तो कभी नहीं दबीं. बिहार मैं नितीश सर्वे सर्वा बन गए तो इसके लिए दब्बू सुशिल मोदी जिम्मेवार थे. महाराष्ट्र मैं बाल ठाकरे का व्यक्तित्व किसी भी कांग्रेसी व् बीजेपी के नेता से ज्यादा कद्दावर था. हरयाणा मैं चौटाला ही सर्वे सर्वा थे . बीजेपी यह बदलना चाहती है तो ठीक भी है .पर क्या मायावती के साथ यह हुआ था?
इसलिए यदि बीजेपी अपने दम पर सरकार बनाना मैं आज सक्षम महसूस करती है तो उसे यह भी सोचना होगा की सब दिन एक समान नहीं होते .यह मोदी लहर अब टूट रही है . अब उसे घर बचने की ज्यादा जरूरत है .
पर इसका दूसरा पक्ष ज्यादा खतरनाक है .
धीरे धीरे मोदी का अडवाणीकरण हो रहा है . पहले मदरसों को सौ करोड़ रूपये देना , फिर मंदिरों को शौचालयों से कम कहना , हिन्दुओं के प्रति कोई लगाव न दिखाना और मुसलामानों का तुष्टिकरण पुराने ढर्रे पर करना सब एक खतरनाक परिवर्तन का इशारा हैं . हम सब देश की उन्नती चाहते हैं . पर साठ साल से हिन्दू संस्कृति की जो अवमानना हुयी है उसकी भरपाई क्या कभी नहीं होगी . शिव सेना को कट्टर कहने वाले पहले अपनी कायरता को तो देखें .किस मैं हिन्दुओं के लिए कुछ करने का दम या क्षमता है . अपने स्वार्थ को सर्वोपरी रखने बीजेपी वाले सोचें की अमरनाथ यात्रा किसने बचाई थी . किसने मुंबई मैं हिन्दुओं को बचाया था . किसने खुलेआम बाबरी मस्जिद की जगह राममंदिर बनाने को कहा था . बीजेपी के नेता कहाँ तब बिलों मैं छुपे थे .देश बाबा साहिब का आभारी है और रहेगा . उसे अडवाणी और सुषमा स्वराजों के हवाले नहीं किया जा सकता .
यह सच है की बाबासाहेब वाली बात अब शिव सेना मैं नहीं है पर शिवाजी के पुत्र भी शिवाजी नहीं बन पाए थे . अशोक के पुत्र अशोक नहीं बन पाए थे . अकबर के पुत्र अकबर नहीं बन पाए थे .पर दूरदर्शी लोग इस बात को चुभाते नहीं हैं .
बीजेपी को सोचना चाहिए था की कांग्रेस व् सोनिया के कुशासन से एक हुए हिन्दुओं को कैसे हमेशा के लिए जोड़ सकें . पर हो उल्टा ही रहा है . जो कभी किसी छोटे से जन आन्दोलन को न चला सके वह बीजेपी पर हावी हो रहे हैं .मोदी बाबुओं के हाथ कि कठपुतली बन गए हैं . बाबुओं का शनैः शनैः कितने दिन चलेगा . हमने शेर को वोट दिया था गीद्ढ को नहीं .किसी भी मंत्री मैं इतनी प्रतिभा नहीं है जो देश मैं आदर पा सके . सुब्रमनियन स्वामी व् अरुण शौरी सरीखों से बीजेपी वाले डरते हैं और सरकार मैं नहीं घुसने दे रहे .. कांग्रेस के पहले पांच साल मैं आठ प्रतिशत की विकास दर हो गयी थी . अगर मोदीजी ने वह वापिस ला भी दी तो वह सोनिया ही तो बन पाएंगे ?
देश ने तो बहुत आशायें व् सपने देखे थे जो टूटते दीख रहे हैं . बीजेपी प्रखर राष्ट्रवादी पार्टी से सिर्फ दब्बू कांग्रेस पार्टी बनती ही दीख रही है .
जो होना था वह हो गया .परन्तु अभी भी चुनाव नहीं शुरू हुए हैं . बीजेपी को हिन्दू एकता अपने जिम्मेवारी मानते हुए अब भी प्रबल राष्ट्रवादी शिव सेना से समझौता कर लेना चाहिए और अपने प्रखर राष्ट्रवादी चरित्र को तिलांजलि नहीं देनी चाहिए.
Filed in: Articles

No comments yet.

Leave a Reply