सीरिया व् नाइजीरिया : पाकिस्तान की अफगानिस्तान के समकक्ष कामधेनु ,अधिक एटम बम बनाने के लिए
Syria and Nigeria – Pakistan’s New Afghanistan For Earning Billions For Atom Bombs
जिया को अफगानिस्तान , मुशर्रफ़ को ९/११ मिल गए जिसने पाकिस्तान को अमरीका की जरूरत बनाये रखा.
अब पाकिस्तान को नयी कामधेनु मिल गयी है जो उसकी डूबती अर्थ व्यवस्था को सहारा दे देगी. पाकिस्तान सीरिया के राष्ट्रपति अस्साद के विरुद्ध बागियों को मिसाइल व् टैंक इत्यादि मुहैया करवा रहा है . जिससे वह सीरिया की सेनाओं को गदाफी की सेनों की तरह परस्त कर सकें . असद अमरीका व् सऊदी अरेबिया को पसंद नहीं हैं . सऊदी अरेबिया मध्य एशिया मैं सुन्नी राज्य चाहता है व् वहां का एक छत्र रा राजा बनना चाहता है. उसने नवाज शेरिफ की जान बचाई थी इसलिए नवाज उस एहसान की कीमत चुका रहे हैं . इसी प्रकार नाइजीरिया को हथियार बेचना तो और भी बुरा है. वहां अभी बिअफ्रा की लड़ाई की तबाही सब को याद है . एक और गृह युद्ध घातक होगा . पर सऊदी इसे रोकने की कोशिश कर रहा है .वह शायद बोको हरम का परोक्ष रूप से समर्थन कर रहा है . .रूस असद के साथ है . पर रूस सीरिया को कितना बचा पायेगा यह तो समय ही जानेगा. अगर सीरिया को एक और इराक बना दिया तो अमरीका का या किसी का भी क्या भला होगा. सब जानते हैं की इराक मैं एटम बम नहीं मिले . सद्दाम ने कुवैत पर चढ़ाई कर गलती करी. पर उसकी मृत्यु ने यह स्पष्ट कर दिया की इराक मैं उसका राज आज के राज से अच्छा था . इसी प्रकार गद्दाफी के राज मैं लोगों को ज्यादा आराम था.
तेल के दाम कम कर ईरान व् रूस की आर्थिक हालत खस्ता कर दी जायेगी. अंततः उसे उक्रेन क्रिमीआ इत्यादि से निकलना पडेगा. मध्य एशिया पर सऊदी अरेबिया का राज हो जाएगा. पर पकिस्तान की क्या औकात है की वह इस सब मैं पड़े. उसे लगभग दो बिलियन डोलर मिलेंगे जो उसकी अथ व्यवस्था के लिए बहुत जरूरी हैं . नवाज को पाकिस्तान मैं अपना शासन चलने के लिए पैसे की बहुत जरूरत है. परन्तु पकिस्तान की सेना इससे भारत के विरुद्ध लड़ाए मैं ही खर्च करवायेगी. अंततः सऊदी पैसा भारत के विरुद्ध ही खर्च होगा . पाकिस्तान की जनता के भाग्य मैं विकास नहीं है. कहने को एक मुगालिस्तान का सपना इस सदी तक लड़ते रहने के लिए काफी होगा. पाकिस्तान , बांग्लादेश को जोड़ने वाली पट्टी जिसमें उत्तर प्रदेश , बिहार , असम व् बंगाल शामिल हैं मिल के मुग्लिस्तान बनायेंगे, एक और जिन्नाह पुरे प्रदेश को सौ साल के युद्ध मैं धकेल देगा. मध्य एशिया मैं सऊदी प्रभुत्व अमरीका को मानी है यदि सऊदी अमरीका को बड़ा मानते रहें . उसे इराक , लीबिया , सीरिया लेबनान की आबादी से कोई मतलब नहीं है . मध्य एशिया के बाद पश्चिम चीन व् भारत का प्रभुत्व समाप्त करना चाहेगा क्योंकि उसकी अर्थ व्यवस्था चरमरा रही है . अभी चीन के सस्ते माल ने उसे बचाया हुआ है. अमरीका विश्व का व्यापार डालर मैं होने पर आश्रित है.परन्तु कब तक यह चलेगा.
जिया उल हक की जो दुर्गति हुयी वह जगत जाहिर है. आज पाकिस्तान उनकी नीतियों की असीम सज़ा भुगत रहां है. आतंकवाद जनरल जिया की ही देन है. अब इस नयी नीतियों का पकिस्तान पर क्या प्रभाव होगा यह तो समय ही बताएगा. हम तो बस एक बात जानते हैं की बुरे काम का बुरा नतीज़ा ही होता है.
भारत के हित अपनी रक्षा करना है . उसके लिए मध्य एशिया के पचडे मैं पद्नने की आवश्यकता नहीं है .
परन्तु हिन्दू एकता बनाये रखना बहुत आवश्यक है . इसलिए मोदी जी को अपनी अति स्वतंत्रता वादी प्रव्रियों पर अंकुश लगा आरेसेस व् वीएच पी के मुद्दों को भी पूरा कर देश का ऐसा विकास करना होगा को कोंग्रेस फिर न पनप पाए . कांग्रेस विदेशी ताकतों के इशारों पर काम करने वाली , घोर हिन्दू विरोधी व् देश द्रोहियों की पार्टी है . वह हिन्दू एकता व् देश को जाती , धर्म किसी आधार पर तोड़ना चाहेगी .
पाकिस्तान के साथ यही नरम गरम निति चलती रहनी चाहिए . हमें शांति चाहिए पर पाकिस्तानी आतंकवाद का मुंहतोड़ उत्तर देना होगा .
पाकिस्तान को हम यही कह सकते हैं
जब बोये पेड़ बबूल के तो आम कहाँ से खाय !
नीचे लिखे लेख से ज्यादा जानकारी प्राप्त करें .
Saudi Arabia woos Pakistan with $1.5 billion grant. Why now?
Saudi Arabia has entered into talks with Pakistan to purchase weapons that would be transferred to opposition forces in Syria to aid in their three-year battle to topple president Bashar al-Assad. Citing a Saudi source, Agence France Presse (AFP) reported that Riyadh is seeking to buy anti-aircraft and anti-tank rockets in an effort to help Syrian rebels equalize the firepower of Assad’s military. Pakistan manufactures shoulder-launched anti-aircraft missiles, called Anza, which are based on a Chinese model.
The unnamed Saudi source cited that Pakistan’s army chief of staff, General Raheel Sharif, met with Saudi Crown Prince Salman bin Abdul Aziz in Riyadh earlier this month. Last week, Salman himself led a large Saudi delegation to Pakistan, just after the kingdom’s top diplomat Prince Saud al-Faisal visited the South Asian state. The Saudi source also stated that Jordan has agreed to store the Pakistani weapons before they are transferred to neighboring Syria. Syrian rebels have long desired anti-aircraft rockets to protect themselves from Assad’s warplanes, which regularly bomb rebel-controlled territories.
The Saudis are likely taking the circuitous route with Pakistan since the U.S. adamantly opposes supplying such weapons to Syrian rebels over fears they would fall into the hands of Islamic extremists who are believed to be helping the anti-Assad forces. But AFP noted that Syrian opposition leaders suggest that the U.S. has recently softened its position on this topic in the wake of the failed Geneva peace talks. “The United States could allow their allies to provide the rebels with anti-aircraft and anti-tank weapons following the failure of Geneva talks and the renewed tension with Russia,” said Abdel Aziz al-Sager of the Gulf Research Centre, a Persian Gulf-focused non-partisan think tank.
AFP noted that Saudi Arabia, which helps coordinate with Jordan to offer assistance to Syrian rebels in the southern part of the county (while Turkey and Qatar do the same in the north), has become the biggest foreign supporter of the anti-Assad factions. Indeed, Ahmad Jarba, the leader of the Syrian opposition, has strong links to the Saudis.
Dr. Dilshod Achilov, assistant professor of Political Science at East Tennessee State University and an expert on Middle Eastern affairs, explained that the Saudis are seeking wider support for the Syrian rebels from the Sunni Muslim world (Assad and his Iranian allies are Shia Muslims). “Pakistan is a large Sunni country with a sizable military industry,” he said. “Saudi Arabia views the Syrian war as a key conflict against the archenemy of Sunni Islam — the Shia Islam spearheaded by Iran. Saudi Arabia may [also] be looking for broader Sunni support against the threat of rising Shia influence in the region. And Pakistan would be one of the natural allies to bring in.”
Dr. Hasan Askari Rizvi, an independent Pakistani political and defense analyst, wrote in an op-ed piece for the Express Tribune newspaper that Pakistan’s Prime Minister Nawaz Sharif appears to be favoring Saudi Arabia (and other conservative Arab states like Bahrain and Kuwait) with respect to Middle Eastern policy. In fact, Pakistan has relinquished its earlier neutrality on the Syrian civil war by supporting Saudi demands for the removal of Assad from power. Rizvi suggests that Pakistan’s principal motivation for endorsing the Saudis lies more with financial needs than religion or politics. “Pakistan expects to get financial support in the form of loans, aid, investment, more jobs for Pakistanis, and supply of oil and gas on favorable terms from conservative but rich [Arab] kingdoms,” he wrote. “Furthermore, Nawaz Sharif and his family have special reverence for the House of Saud because it saved them from the clutches of [former Pakistani president Pervez] Musharraf’s military government in December 2000.”