Censor Board : Good Riddance of Bad Rubbish : क्या आई एस आई व् दावूद अपराध व् काले धन से बॉलीवुड व् हिंदी फिल्मों का चरित्र बदल रहे हैं और क्या अब कभी ‘ग़दर’ जैस…ी फिल्म बनाने देंगे ?
लीला सेमसन व् पूरे सेंसर बोर्ड ने सुनते हैं त्यागपत्र दे दिया है . कहने को तो यह ‘ मस्संजेर ऑफ़ गॉड ‘ फिल्म के अपील बोर्ड के पास करने पर दिया गया है . इस फिल्म मैं डेरा प्रमुख बाबा रहीम को भगवान् के तरह दिखाया है . अकाली दल को भी इस पर आपत्ति है .शायद कुछ राजनीती भी हो . सेसर बोर्ड ने इसे पास नहीं किया था पर अपील करने पर उसे पास कर दिया गया . सेन्सर बोर्ड ने इस पर आपत्ति कर त्याग पत्र दे दिया .
वैसे तो राजनीती हर संस्था को खराब ही करती है .पर फिर भी देश मैं किसी को भी इस बोर्ड के जाने पर दुःख नहीं हुआ .क्योंकि फिल्म पी के के शिवजी वाले फूहड़ दृश्यों को पास कर और पाकिस्तानी लव जिहाद को बढ़ावा दे कर इस बोर्ड ने हिन्दुओं को बहुत दुखी किया .इस आपत्ति जनक फिल्म के प्रदर्शन के बाद अब उनका देश मैं कोई समर्थक नहीं बचा. कुछ भ्रष्टाचार की बात हुयी . किसने पी के के लिए रिश्वत ली या दी यह तो शायद आसानी से पता न लगे .परन्तु जिस पाकिस्तान ने मुंबई काण्ड कराया , लोकलों मैं बम फोड़े , अक्षर धाम कराया , पूरा पंजाब को आतंकवाद मैं डुबो दिया उस पाकिस्तान का भारतीय फिल्म मैं महिमा मंडन करना एक जघन्य अपराध था . इसके लिए किसी को तो दण्डित करना ही चाहिए .
हम विदेशों मैं पाकिस्तान के प्रोपेगेंडे को को रोकना चाह रहे हैं और पकिस्तान ने हमारे ही घर मैं सेंध लगा ली . अवश्य ही इस फिल्म के लिए पैसा दावूद और आइ एस आई ने दिया होगा . इसकी सघन जांच होनी चाहिए . इसके पहले सिंहम – २ , ओह माय गॉड मैं भी आपत्ति जनक दृश्य थे . यहाँ तक की तीन सौ करोड़ की फिल्म ‘ एक था टाइगर मैं भी देश प्रेमी भारतीय जासूस सलमान खान पाकिस्तानी जासूस कटरीना से प्यार मैं अपने कर्तव्य को भूल जाते हैं . इस सब की शुरुआत ‘माय नाम इस खान से हुयी थी ’ जो अमरीका के विरुद्ध एक महज प्रोपगंडा फिल्म थी .हालाँकि कुछ अपवाद भी थे जैसे ‘ डी डे ‘ या ‘अ वेडनेसडे’
लगता है कि भारतीय फिल्मों का दावूद व् आई एस आई के पैसे से चरित्र परिवर्तन किया जा रहा है . भारतीय फिल्म कभी देश प्रेम प्रदर्शित करती थीं .जब राष्ट्रपति परवेज मुशरफ भारत आये थे तो उन्होंने फिल्म वीर जारा की अभिनेत्रियों से मिलने की इच्छा व्यक्त की थी पर पाकिस्तान को खलनायकी के रूप मैं दिखाने की हलकी सी शिकायत भी की थी .फिल्म ग़दर एक ऐतहासिक फिल्म थी जिस मेन हीरो सन्नी देओल अपने परिवार के लिए धर्म परिवर्तन तक के लिए तैयार हो जाता है पर भारत को गाली देने से भड़क उठता है . भारतीय फ़िल्में मैं पाकिस्तान के खलनायक होते थे . पर कुछ समय से काले धन के प्रभाव से धीरे धीरे परिवर्तन आने लगा . भारतीय फ़िल्में पाकिस्तानियों के प्रति सहानुभूती दिखाने लगीं . इस की पराकाष्टा फिल्म पी के मैं थी . इस मैं भारतीयों को खलनायक बता कर पाकिस्तानी मुसलामानों का महिमा मंडन किया गया है . इस फिल्म मैं लगे पैसे की जांच करने से पता लगेगा की किसने रिश्वत ली या दी है . यह जांच देश की सुरक्षा के लिए बहुत आवश्यक है क्योंकि मुंबई काण्ड करने वाले डेविड हेडली के महेश भट्ट के लड़के से मित्रता पूर्ण सम्बन्ध थे .माई नाम इस खान भी कुछ संदेहास्पद फिल्म थी .
प्रश्न है की क्या अब आतंकवाद , अपराध , दावूद और आई एस आई के चुंगल मैं बुरी तरह फंसे भारतीय फिल्म निर्माता कभी अब स्वतंत्र ग़दर जैसी फिल्म बना सकेंगे . यह खेद की बात है हमारे बड़े निर्माता भी अब इन प्रलोभनों मैं पड़ने लगे हैं .भारतीय हिंदी फिल्म उद्योग को दावूद और आइ एस आई के चुंगल से निकालना आवश्यक है क्योंकि अब उनका बाज़ार विश्व भर मैं है . वैसे तो कोई भी काला पैसा दे कर उच्च कलाकारों को रख कर भारत विरोधी फिल्म बना सकता है . परन्तु बहुत पैसे दे कर भी पकिस्तान सरकार द्वारा इंग्लैंड मैं निर्मित ‘जिन्नाह’ फिल्म सफल नहीं हुयी .
पलेस्टाइन की शिकायत है यही है की लीओन यूरिस की एक पुस्तक ‘ एक्सोडस ‘ ने हमेशा के लिए अरबों की छवि खराब कर दी .
भारत मैं निर्मित फिल्म पीके मैं ‘एक्सोडस’ जैसे प्रयास भारत के विरूद्ध करना पाकिस्तानियों व् दावूद की दुस्साहस व् हिम्मत ही दिखाता है जिसकी जांच कर उचित दंडात्मक कार्यवाही अति आवश्यक है .
फिल्म पीके को पास करने वाले सेसर बोर्ड के इस्तीफे से जो बला टली है उससे देशप्रेमी खुश ही हुये हैं . कला का देशद्रोह के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता .
अगले सेंसर बोर्ड को पाकिस्तान प्रेमियों से दूर रखना आवश्यक है .