वित्त मंत्री जी वकीली नहीं व्यापारी की बुद्धि से वित्त मंत्रालय चलायें : अमरीका का प्रीत भरारा व् देवयानी काण्ड , वाशिंगटन पोस्ट , WSJ व् भारत का नया रेट्रो टैक्स का तथाकथित आतंकवाद
कभी कभी मनुष्य के गुण ही उसके अवगुण बन जाते हैं . उदाहरण के लिए प्रीत भरारा व् देवयानी काण्ड ही लें . देवयानी ने भारतीय नौकर को अमरीका मैं भारतीय वेतन पर रखा जिस के बारे मैं उसने भारत मैं एक करार किया था .अमरीका के कानून मैं उसे अमरीकी दर पर वेतन देना चाहिए था . देवयानी को राजनयिक होते हुए भी गिरफ्तार किया . बाद मैं उसे राजनयिक मान कर भारत आने दिया . फिर प्रीत भरारा , न्यू यॉर्क के डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी ने कोई और कानून मैं उसे दोषी ठहरा कर अपनी भड़ास निकाल ली व् देवयानी को सदा के लिए अमरीका से निष्कासित करवा दिया . पर इस वकीली बुद्धि के दुरूपयोग से भारत अमरीका के रिश्ते इतने बिगड़े की दोनों ने एक दुसरे के राजनयिकों को निकाल दिया , भारत ने अमरीकी दूतावास को सुधायें इतनी कम कर दीं की उनके विदेश मंत्री को भारत आ कर उन्हें ठीक करवाना पडा . मात्र एक नौकर के लिए सालों अमरीका व् भारत के सम्बन्ध बिगड़े रहे क्या यह वकीली बुद्धी का सदुपयोग था या दुरूपयोग ? भारत का वित्त मंत्रालय रेटरो टैक्स के करोड़ो व् अरबों रूपये के टैक्स नोटिस दे कर फिर वोडा फोन वाली गलती दोहरा रहा है . हम इस विषय के विशेषग्य नहीं हैं और हो सकता है की प्रीत भरारा की तरह यह केस हम कोर्ट मैं जीत जायें परन्तु इससे भारत का विदेशी निवेश के मोदी जी के प्रयासों पर जो कुठारा घात होगा उसकी कल्पना भी भयावह है . एक वोडाफोन के रेटरो टैक्स के केस ने हमें पूँजी निवेश मैं वर्षों पीछे कर दिया और अंततः हमें पीछे हटना पडा . बाज़ार से समाचार ऐसे आ रहे हैं की फिर कोई अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन भारत के खिलाफ बन रहा है . अन्तः हमें भारत के व्यापक हितों की खातिर हार कर टैक्स वापिस लेना होगा यह स्थिति ठीक उसी तरह है जैसे प्रीत भरारा यदि शुरू मैं ही भारत सरकार को चेतावनी दे कर छोड़ देता तो अमरीका की वाह वाही भी होती और काम भी बन जाता . परन्तु वकीली तार्किक बुद्धि के अभिमान ने उसे उकसाया और अंत मैं उसके कुपरिणाम अमरीका को भुगतने पड़े . हम से भी विदेशों मैं रास्ता न जान्ने से गलतियां हो जाती हैं .यदि विदेशियों से अनजाने मैं कोई गलती भी हो गयी हो तो जैसे राहत फतह अली खान को छोड़ा था कुछ तरीका बना कर छोड़ दो अन्यथा जब हार कर छोड़ना पडेगा तो उदारता की छवि भी नहीं मिलेगी और हानी भी होगी .यदि हम ओबामा की मोदी जी की प्रशंसा को संज्ञान मैं लेते हैं तो नीचे दिए लेखों को भी संज्ञान मैं लेना होगा . हम न तो वित्त विशेषग्य हैं न ही अर्थ शास्त्री पर बाज़ार भावनाओं पर चलता है और उसकी भावना सरकार तक पहुंचा रहे हैं . वित्त मंत्रालय व्यापारी बुद्धि से चलाना ही ठीक होगा सैनिक या वकीली बुद्धि के अभिमान से नहीं .
India’s Retroactive Tax Raid Finance Minister Arun Jaitley undermines Narendra Modi’s investment-friendly campaign promises by trying to hit foreign investors with the Minimum Alternative Tax. May 3, 2015 5:41 p.m. ET Narendra Modi won election as India’s Prime Minister last year on an investment-friendly platform that included abolition of retroactive taxation. He even called the previous government’s policy of suddenly demanding back taxes from companies “tax terrorism.” So imagine the surprise of foreign investors when Indian authorities recently imposed a 20% levy on their years-old capital gains under a law that for two decades never applied to them. The controversy centers on the Minimum Alternative Tax, or MAT, which exists so…