क्या चीन बांग्लादेश को एक और पाकिस्तान बना रहा है ?
बँगला देश के जन्म मैं भारत का बहुत योगदान रहा . पर उसके बदले मैं भारत को क्या मिला ?
हमने तो कुछ नहीं चाह था परन्तु पाकिस्तान तो हमारा दुश्मन बन गया . यदिबदले में कम से कम एक मित्र ही मिल जाता तो भी हम संतुष्ट होते . परन्तु पिछले चालीस वर्षों का इतिहास देखें तो हम अपने को ठगा पाएंगे .
पहले तो भारत के मित्र शेख मुजीबुर रहमान की चार साल मैं ही ह्त्या कर दी गयी . उसके बाद पाकिस्तान समर्थक सेना के जिया उर रहमान व् बाद मैं जनरल इरशाद व् बेगम खालिदा ने बांग्लादेश को घोर भारत विरोधी बना दिया . यहाँ तक की बड़ी चीज तो छोड़ें एक छोटी सी चीज जैसे अगरतला कलकत्ता रेल या सड़क मार्ग भी भारत को नहीं दिया . ऊपर से पूर्वोत्तर के विद्रोही आतंकवादियों को बांग्लादेश मैं शरण दे कर भारत के लिएपाकिस्तानी जिया उल हक जैसी चुनौती बन गए. सार्क भी जिया उर रहमान का भारत को संयुक्त रूप से दबाने का प्रयास ही था जो आज तक कहीं नहीं पहुंचा.
फिर ले दे कर बांग्लादेश के पास प्राकृतिक गैस थी जो उसने भारत को कभी नहीं बेची . यहाँ तक की बर्मा ( म्यानमार ) मैं मिली भारत के हिस्से की गैस के लिए बांग्लादेश हो कर पाइप लाइन नहीं बनने दी . इसके चलते भारत अपने हिस्से की गैस भारत नहीं ला पा रहा . पर उससे भी ज्यादा उसकी खतरनाक मांग है की पाइपलाइन के बदले उसे नेपाल से सड़क का रास्ता व् भूटान की जल परियोजनाओं से बिजली दे . ऐसी ऊटपटांग मांगों के पीछे चीन का हाथ है . कहते हैं की चीन बंगलादेश को अगरतला जाने का रास्ता नहीं देने दे रहा . जबसे चीन इन देशों मैं भारत से प्रतिस्पर्धा मैं आया है इनकी तो चांदी ही हो गयी है .
पर यहाँ तक भी इतनी बड़ी बात नहीं थी क्योंकी ज्यादा से ज्यादा ५०० करोड़ रूपये और खर्च कर भारत अपने हिस्से से पाइप लाइन बना सकता है .
अब पकिअस्तान की ही तर्ज़ पर बांग्लादेश चीन से पाकिस्तान के बाद सबसे अधिक हथियार खरीदने वाला देश बन गया है जो नीचे के चित्र से स्पष्ट हो जाता है . पर उन हथियारों मैं सबसे अधिक खतरनाक है दो पनडुब्बी की खरीद . भारत के अलावा किसके विरुद्ध पनडुब्बियों का प्रयोग हो सकता है . दो जंगी जलपोत भी खरीद रहा है . अभी रूस ने भी एक बिलियन डॉलर का क़र्ज़ रूस के हथियार खरीदने के लिए दिया है . उसके साथ रूस बंगाल की खादी मैं बांग्लादेश की सीमा मैं गैस व् तेल के भण्डार भी खोजेगा . रूस को उम्मीद है की गैस खोज कर वह हथियारों की कीमत वसूल लेगा . पर ये हथियार किस्से लड़ने के लिए हैं .
कुछ वर्ष पहले बर्मा व् बंगलादेश मैं सैनिक तकरार हो गयी थी . पर उसके बाद अंतर राष्ट्रीय कोर्ट ने बंगाल की खाड़ी मैं बांग्लादेश को भारत से तिगुना क्षेत्र दे दिया इसी तरह बर्मा से भी बांग्लादेश जीत गया . तो अब पन्दुब्बियाँ किसके विरुद्ध खरीदी जा रही हैं ?
बँगला देश चीन के साथ भारत के विरुद्ध क्यों खडा हो रहा है ?
कहने को भारत ने फरक्का व् तीस्ता पर बराज इकतरफा बनाया है . पर बँगला देश तो पानी मैं डूबा रहता है . वह नहरों व् नदियों पर खर्च नहीं करना चाहता . भारत के लिए पानी बहुत आवश्यक है .
पर असली बात है की यदि आप स्वंत्रता का इतिहास उठायें तो मुस्लिम लीग का जन्म ढाका मैं ही हुआ था . जिन्ना के सबसे बड़े समर्थक पंजाबी नहीं बंगाली ही थे . उनके ‘ डायरेक्ट एक्शन डे ‘ पर अमल इन्हीं लोगों ने लिया था व् नोखाली और कलकत्ता का नर संहार भी इन्होने ही किया था . बँगला देश से हिन्दुओं को इन्होने ही निकाला था . जैसे जैसे आमिर होंगे वाही पाकिस्तानी इच्छाएं बलवती होंगी. किसी दिन इनको भी इस्लामिक देशों का अगुआ बन्ने का भूत सवार होगा .
अब जब बँगला देश अमीर हो रहा है तो चीन परमाणु बिजली घर बनवा रहा है . परमाणु बिजली घर से परमाणु बम का सफ़र बहुत लंबा नहीं होता .
तो वास्तव मैं पुराना पूर्व पकिस्तान असल मैं एक और नया पकिस्तान ही बनने के सपने देख रहा है . भारत मैं दो करोड़ घुसपैठिये उसकी भविष्य की ताकत हैं .
भारत को इतिहास पर नजर रख अपनी रक्षा नीति बनानी चाहिए .