भारत व् पाकिस्तानी शान्ति वार्ता अवरुद्ध : पाकिस्तान की सेना अंततः देश को कहाँ ले जायेगी , क्या दूसरा मुंबई करवायेगी ?
पाकिस्तानी राजदूत बसीत के दिल्ली के शांति वार्ता भंग करने के बयान से भारत स्तंभित है .
उसने मुंबई हमले को ताक पर रख अपनी सारी शक्ति पकिस्तान से मित्रता पाने मैं झोंक दी और उसके लिए पठानकोट की घटना को भी तूल नहीं दिया .उनकी पकिस्तान की टीम को भारत मैं आ कर पठानकोट हवाई अड्डे मैं घुसने भी दिया . भारत को आशा थी की पाकिस्तान भी हमारे टीम को आतंकी अजहर मसूद से पूंछ ताछ करने देगा .परन्तु पाकिस्तानी सेना के जनरल राहिल शरीफ ने प्रधान मंत्री नवाज को मुशर्रफ के कारगिल दांव से पटखनी दी और ये समझा दिया की अपनी औकात मैं रहें .इसके पहले जब ज़रदारी ने भारत से बहुत प्यार की पींग बढाने की कोशिश की थी तो वहां की सेना ने मुंबई काण्ड कर के हमेशा के लिए इस प्रकरण को समाप्त करने की ठान ली थी .और यह हो भी जाता .परन्तु नवाज़ शरीफ ने मोदी की ताज पोशी मैं भाग ले कर एक बार फिर इस मैं जान डाल दी .मोदी जी ने भी उनकी नातिन की शादी मैं लाहोर जा कर हिसाब बराबर कर दिया .
इसके तुरंत बाद वहां की आई एस आई हरकत मैं आई और आनन् फानन मैं पठान को काण्ड मुंबई की तर्ज़ पर कर डाला .भला हो इस बार हम सचेत थे और कोई बड़ा हादसा नहीं होने दिया .हमने पठानकोट की घटना के दोषियों पर कार्यवाही की मांग की जो जायज़ थी .नवाज़ शरीफ ने भी अपनी तरफ से कोशिश की पर पाकिस्तान मैं सता तो सदा सेना के हाथ ही रहती है . वह बिल्ली की तरह प्रजातांत्रिक चूहे प्रधान मंत्री को थोड़ा बहुत खेलने देती है और अंत मैं खा जाती है .वह अपने पालतू आंतकवादियों का साथ नहीं छोड़ेगी भूतपूर्व राष्ट्रपति ज़रदारी सेना के चलते को देश छोड़ कर दुबई जाना पडा . मुशर्रफ को कोई सज़ा नहीं होने दी और लन्दन भेज दिया .अब नवाज़ शरीफ राहिल शरीफ के सामने घुटने टेकने को मजबूर हैं .उन्हें अपनी जान की चिंता है .ऊपर से पनामा खुलासों मैं उनके बच्चों के नाम प्रकट हो गए हैं .इसलिए जनरल राहिल शरीफ की पतंग थोड़ी ज्यादा ऊंची उड़ रही है.परन्तु सेना का प्रशिक्षण ही विनाश के लिए होता है सो राहिल शरीफ भी देश का विनाश करके ही छोड़ेंगे . पकिस्तान पहले ही अपनी आमदनी का एक चौथाई सेना पर खर्च कर देता है .उस के ऊपर जनरल कीमती प्लाट , अवकाश ग्रहण के बाद पद , फक्टियों के मेनेजर इत्यादि बने हुए हैं इसे वह कैसे छोड़ेंगे . सेना पाकिस्तान की सबसे बड़ी भक्षक है . पर १५० परमाणु बम वाली सेना को अमरीका को छोड़ कर कोई समाप्त भी नहीं कर सकता . इसलिए हमें भी उसके साथ ही रहना होगा .
अब भारत के भूत पूर्व नौ सेना के अफसर को तथाकथित जासूसी मैं गिरफ्तार कर राहिल शरीफ देश के और बड़े हीरो बन गए हैं हालांकि भारत के अनुसार उनका अपहरण एक अल कायदा की एक आतंकवादी सुन्नी सन्स्था ने किया है .
प्रश्न है की पाकिस्तानी सेना देश को किस ओर ले जाना चाहती है ?
पकिस्तान के पास भारत से अधिक परमाणु बम व् अधिक मिसाइल हैं . रूसी ब्रह्मोस को छोड़ कर हमारे मिसाइल अभी सिर्फ परिक्षण की सीमा पर हैं . सिर्फ पृथ्वी मिसेल सेना मैं प्रविष्ट हुआ है .बाकि सब प्रोपगंडा है .पाकिस्तान परमाणु बम बनाने की क्षमता को बढ़ा रहा है . वह ५००० किलोमीटर की मिसाइल भी बना रहा है जिससे युरोपे व् इस्राइल पर हमला कर सके .इस समय पाकिस्तानी सेना मुस्लिम देशों की सबसे सशक्त सेना है . चीन के सहयोग से यह और सशक्त होती जा रही है . दूसरी ओर उसकी अर्थ व्यवस्था कमजोर होती जा रही है . वह अपनी परमाणु क्षमता का क्या उपयोग कर सकता है ? अभी तक उसने परमाणु बम की विधी ईरान , कोरिया ,लिब्या को बेचीं है और सऊदी अरेबिया को सुनते हैं बने बनाए बम बेचे हैं .वह अन्ततः भारत के तेल आयात को चीन की सहायता से अवरुद्ध करने की क्षमता ग्वादर मैं विकसित कर रहा है .
प्रश्न है की अमरीका उसको ईरान की तरह क्यों नहीं रोक रहा ?
क्या पकिस्तान मध्य एशिया मैं चीन का इजराइल बनने की कोशिश मैं है . एक भिखारी देश अपनी सैनिक क्षमता का उपयोग सिर्फ अंतर्राष्ट्रीय डाके डालने मैं ही कर सकता है .तो फिर पाकिस्तानी सेना अपने देश को भिखारी बना कर अंतर्राष्ट्रीय डकैत ही बनाएगी . पाकिस्तान सारे विश्व के लिए एक समस्या बन चुका है और बड़ी समस्या बन्ने जा रहा है .उधर रूस चीन पर आश्रित होता जा रहा है .इसलिए वह भारत का बहुत मित्र नहीं बन सकेगा . जापान अभी गफलत मैं है की उसे अमरीका पर आश्रित रहना है या स्वयं को क्षमतावान बनाना है .अमरीका से विशेष दोस्ती संभव नहीं है क्योंकि वह अपने को विश्व का राजा समझता है .इसलिए भारत को स्वयं को चीन की समकक्ष शक्ती ही बनाना होगा .राष्ट्रीय सुरक्षा पर अधिक खर्च करना अब बहुत आवश्यक है . अगर पाकिस्तानी सेना को भारत का दर नहीं रहा तो वह फिर मुंबई काण्ड जैसा कुछ करवायेगी .
अभी हाल ही मैं सुना था अमरीका ने पाकिस्तानी परमाणु बम को समाप्त करने की सोची थी पर भारत सहस नहीं जुटा पाया और चीन ने भी इसका विरोध किया . इसी तरह इसराइल ने बहुत पहले कहुता परमाणु संयत्र को शुरू मैं बम से उड़ाने की सोची थी पर तब भी भारत ही डर गया .भारत को अपने उस डर की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड सकती है .क्योंकि पाकिस्तानी सेना गजवा ए हिन्द ( हदीथ / कुरान ) के उस कथां जिसमें कोई मुसलमान देश की सेना हिन्दुस्तान के राजा को जंजीरों मैं जकड कर लायेगी देश को बरगलाने के लिए सिद्ध करने का प्रयास कर सकती है .
अन्यथा आई एस आई पकिस्तान को इस्लामिक देशों का सरताज बनाने का सपना बेचेगी जब उसकी अर्थ व्यवस्था भिखारियों की हो चुकेगी .
अन्यथा खिसिया कर वह अपने परमाणु बम किसी आतंकवादी संगठन को बेच देगी .
भारत से मित्रता सेना का अस्तित्व समाप्त कर देगी इसलिए पाकिस्तानी सेना इसे नहीं होने देगी .परन्तु फिर भी मोदीजी का प्रयास उचित था क्योंकि अब की बार हम पठानकोट के लिए तैयार थे .
शिवाजी की तरह ही अफज़ल खान सरीखे पकिस्तानी निमंत्रणों को स्वीकार करते रहने ही हमारी मजबूरी रहेगी परन्तु उनकी तरह बघनख पहन के ही खाने पर जाना होगा .अन्यथा राजा कस्तूरी रंगन की तरह रात्रिभोज पर दबा के मार दिए जायेंगे .
दूसरा हर पठानकोट का जबाब दुगने ब्याज के साथ देना होगा अन्यथा पाकिस्तानी शह पर रोज पठानकोट होंगे .
अगर पडोसी पकिस्तान जैसा चोर हो तो सदा सतर्कता व् सावधानी व् दीवाली पर शान्ति के लिए मिठाई भेजने के के अलावा हम कर भी क्या सकते हैं . हाँ हमारा डर होना हमारी सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है .