क्या पाकिस्तान श्री लंका व् बांग्लादेश चीन के कर्जों से गुलाम हो जायेंगे ? : What happens when you owe China too much
चीन की चतुराई तो अंग्रेजों को भी मात देती प्रतीत हो रही है . दो सौ साल पहले अंग्रेजों ने चीनियों को अफीम की लत लगा दी और फिर जो चाहा करवाया . आज समर्थ चीन भी इसी नीति को दुसरे रूप मैं अपने नए गुलाम राष्ट्रों की फेहरिस्त को लंबा करने मैं लगा रहा है .
निर्यात के कमाए हुए पैसों को चीन दुसरे देशों के ऐसे विकास के प्रोजेक्ट बनाने मैं लगा रहा है जो बहुत दिन बाद आय बढ़ाएंगे . पर उन कर्जों के बदले किसी भी सूदखोर महाजन की तरह चीन उनसे ज़मीन ले कर अपनी फक्ट्रियाँ लगा रहा है और उनकी मदी पर कब्ज़ा कर रहा है . फक्ट्रियों के साथ चीनी लोग आयेंगे और अंत मैं ईस्ट इंडिया कंपनी की कहानी दुबारा दोहरायी जायेगी .दुसरे चीन अपने लोगों से सारा काम करवाता है और अपना सामान लगाता है जिससे दुसरे देश को कोई फायदा नहीं होता . पर छुट भैय्ये राजनीतिग्य अपने क्षत्र के विकास के लिए बड़े उधार ले लेते हैं . ग्रीस की दुर्गति मिसाल संसार के सामने है .
चीन लंका ,पाकिस्तान व् बांग्लादेश को अपने चुंगल मैं फंसा रहा है .
उदाहरण के लिए वह पाकिस्तान मैं ग्वादर मैं एक बंदरगाह बना रहा है जिसकी पकिस्तान को कोई आवश्यकता नहीं है .कराची बंदरगाह अभी पूरी तरह उपयोग नहीं हो रहा है .चीन को पाकिस्तान कोइ माल नहीं भेजेगा . इस बंदरगाह का कोई उपयोग नहीं होगा क्योंकि काश्गार से ट्रक के बजाय शंघाई व् बेजिंग सीधे समुद्री रस्ते से से बहुत सस्ते मैं पहुंचे जा सकते हैं .ऐसे ही वह अपने पुराने बिजली के संयत्र लगाएगा और दुगने दाम पर बिजली बेचेगा .मंहगी बिजली पाकिस्तानी निर्यात को डुबो देगी .
पाकिस्तान एक बंदरगाह बना के चीन के उधार मैं डूब जाएगा . जब एक लाख अंग्रेजों ने पूरे भारत पर राज़ कर लिया तो पाकिस्तान पर राज करने के लिए तो २५००० चीनी बहुत हैं .
यही कहानी वह बांग्लादेश व् श्री लंका मैं बंदरगाह बना कर दोहरा रहा है .
हमें तो चीनदुब्बियों से बहुत खतरा है जो कोलोंबो , कराची व् चित्गाओं से हमारी तेल की आपूर्ती को रोक सकती हैं .
हमारे पड़ोसियों की बेतहाशा उधार लेने की मूर्खता हमें ले डूबेगी .
हिन्दू जाग्रति से लिया गया नीचे का लेख पढ़ें
What happens when you owe China too muc
Petaling Jaya : A prominent socio-economic activist has warned Putrajaya that it risks putting Malaysia in the same trouble that Sri Lanka is in with its indebtedness to China.
There would be a heavy price to pay if China-linked mega projects were to fail, said Azlan Awang, who is deputy chairman of Bantah-TPPA and a founder of Blindspot, a socio-economic interest group.
Azlan told FMT there were similarities between Sri Lanka’s and Malaysia’s indebtedness to China.
He pointed to a recent violent riot near the port city of Hambantota in southern Sri Lanka. The rioters were protesting against a deal they said would result in the port becoming a Chinese colony.
The deal would see the port being leased for 99 years to a company in which China will have 80% ownership. It would also result in the establishment of an industrial zone where Chinese companies would be invited to set up base.
Azlan said the deal was a consequence of Sri Lanka’s failure to pay for the China-financed Mattala airport project. It should give a glimpse of how Beijing would deal with those failing to pay their dues, he added.
“Beijing may not be sending the Red Army, but the ownership of the Hambantota deep sea port as well as 15,000 acres of land for the new industrial zone ceded to China as it’s colony for the next 99 years will do.
“For Malaysia, what will be our pound of flesh if we default on our humongous debts?”
Azlan alleged that Putrajaya’s “indiscriminate and reckless” pursuit of investments and borrowings had led to “huge piles” of debt, without many multiplier effects or long term economic gains.
“While China may not be perceived as imperialistic, it certainly does not extend money out of chivalry. China knows exactly where its pound of flesh will be coming from.”
Former prime minister Mahathir Mohamad has expressed similar concerns. He recently said that land sold to Chinese companies would eventually become “foreign land”.
In October, it was reported that China would build and fund the East Coast Rail Link, a 620km high-impact project in Malaysia at an estimated cost of RM55 billion. Construction will begin next year and is expected to be completed in 2022.
Chinese firms are also involved in other development projects, such as the massive Malacca Gateway project.
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