तितली और भँवरा : भावुक कविता

तितली और भँवरा : भावुक कविता
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( कवि  का नाम नहीं पता है यदि जानते हों तो बता दें – सम्पादक )
एक बाग मेँ एक फूल पर एक भँवरा और एक तितली
बैठा करते थे….
कुछ समय बाद वो एक दूसरे से मोहब्बत करने लगे थे……🍃🌹🍃🌹🍃🌹🍃🌹🍃
वक्त के साथ उनकी मोहब्बत इतनी
गहरी हो गयी थी.
कि उनमेँ से एक दूसरे को नहीँ देखता तो वो बेचैन होने
लगते थे…..,
एक दिन तितली ने भँवरे से कहा….
कि मैँ तुमसे जितना प्यार करती हुँ तुम उतना प्यार
नहीं करते….🍃🌹🍃🌹🍃🌹🍃🌹🍃
इस बात को लेकर दोनों में शर्त लग गयी.
कि जो ज्यादा प्यार करता है..
वो कल सुबह इस फूल पर पहले आकर बैठेगा…..,.🍃🌹🍃🌹🍃🌹🍃🌹 🍃
शाम को इस शर्त के साथ दोनो घर चले गये…..,
जबरदस्त ठंड होने के बावजूद तितली सुबह
जल्दी आकर फूल पर बैठ गयी….
लेकिन भँवरा अभी तक नहीँ आया था…..
तितली बहुत खुश थी क्योंकि वो शर्त
जीत चुकी थी…..
कुछ देर बाद धूप से फूल खिला तो तितली ने देखा कि🍃🌹🍃🌹🍃🌹🍃👌🏻🍃
भँवरा फूल के अँदर मरा पडा है….
क्योंकि
वो शाम को घर गया ही नहीँ था और ठंड
से मर गया…………,……
इसलिये कहता हुँ……..🍃🌹🍃🌹🍃🌹🍃
दिल मेँ रहने वालों का दिल दुखाया नहीँ करते,.
चाहने वालों को भूल से भी रुलाया नहीँ
करते…
इश्क वो जज्बा है जिसमेँ इश्क करने वाले हदेँ तोड दिया करते
हैँ….
सच्ची मोहब्बत किसी की
आजमाया नहीँ करते..
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अगर अच्छा लगे तो आप उन सबको ये भेज देना जिनको आप अपने सबसे अच्छे दोस्त मानते हो, अगर मुझे भी मानते हो तो मुझे भी भेजना।

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