ISIS chief Baghdadi acknowledges defeat in Iraq – rediff : भारत के लिए कुछ अनुत्तरित प्रश्न व् विश्व को आवाज़ उठानी चाहिए –
यद्यपि किसी लड़ाई का रुकना व् निर्दोष जनता के जान माल की पुनः सुरक्षा एक सुखद समाचार है और आईसीस की बर्बरता से विश्व बहुत दुखी था इस लिए हमें इस खबर का स्वागत करना चाहिए . परन्तु एक प्रश्न यह भी उठता है की अचानक ट्रम्प के आने से यह सब कैसे हो गया . दबी आवाज़ मैं यह कहा जा रहा है की क्या बघ्दादी को अमरीका का समर्थन प्राप्त था ? जब तक रूस पूरी तरह से युद्ध मैं नहीं कूदा था तब तक अमरीकी बमबारी इतनी निष्फल क्यों थी . राष्ट्रपति पुतिन ने यह सब को बता दिया था की आईसीस से तथाकथित लड़ने वाले तुर्की जैसे राष्ट्र उससे सस्ता तेल खरीदते थे जिनसे आईसिस हथियार खरीदता था ..यदि आईसीस अमरीका के समर्थन से लड़ रहा था तो इतनी जानों के जाने का जिम्मेवार कौन है. सद्दाम , गद्दाफी की ह्त्या व् ,कुवैत व् लिबिया को पूरी तरह वश मैं कर अमरीका सारे तेल का मालिक बन बैठा है . उधर सऊदी अरेबिया के अमरीका मैं जमा सारे जमा डॉलर हडपने की तैयारी हो रही है . एक ९/११ मैं सऊदी राजाओं को लिप्त कर उनके सब पैसे को हथियाने का षड्यंत्र है . रूस को समाप्त करने के लिए तेल की कीमतें गिरायीं गयीं .
यह सब ठीक होता यदि इससे अमरीका को कोई विशेष फायदा होता .
विश्व को पुतिन का आभारी होना पडेगा जिन्होंने सीरिया को बचा कर इस कुचक्र को अंत कर दिया . उन्होंने ही इतने साल पहले ब्रिक्स संगठन खडा करने का प्रयास किया. राष्ट्रपति ट्रम्प को भी शाबाशी देनी होगी की उन्होंने सच कहने का साहस किया की सीरिया के राष्ट्रपति असद विश्व के लिए खतरा नहीं हैं .
परन्तु प्रश्न यह भी उठता है की अमरीकी राष्ट्रपतियों को अपनी उंगली पर नचाने वाला कौन है ? कौन वह क्रूर मनुष्य है जो लाखों लोगों की जान से खेल रहा है . किसने सद्दाम को ईरान व् कुवैत से लड़ने के लिए भड़काया और फिर फंसी चढवा दिया . किसने गद्दाफी को मरवाया . अभी कोई उसे नहीं जानता .
क्यों ओबामा जैसे पढ़े लिखे मध्यम वर्गीय संभ्रांत लोग भी इस भुलावे मैं आ जाते हैं की अमरीकी बिना तकनिकी ज्ञान के विश्व की अर्थ व्यवस्था को नहीं काबू कर सकता . क्योंकि अमरीकी प्रभुता अब युद्ध की टेक्नोलॉजी मैं ही है इसलिए युद्ध बढ़ाये जा रहे हैं .
चीन का भी इसमें बहुत बुरा योगदान है . उसे इतनी जल्दी दक्षिण चीनी समुद्र मैं नकली द्वीप बना कर सारा तेल हथियाने का प्रयास नहीं करना चाहिए था. यूरोप ने आपस मैं नार्थ सी का तेल बाँट कर शांति बनाए रखी . चीन की इस एक हरकत से सारा विश्व उसके विरूद्ध हो जाएगा . .उसे वियतनाम व् फिलपींस से तेल बाँट लेना चाहिए . भारत ने बंगलादेश को उसे अंतर्राष्ट्रीय विश्व न्यायलय द्वारा दिया हिस्सा शांतिपूर्वक दे दिया
जिस बात का भारत व् चीन को बहुत ख्याल रखना होगा की चाहे कोई कितना ही भड़काए न तो आपस मैं और न ही पाकिस्तान या तैवान से युद्ध उनके हित मैं होगा . उन्हें सिर्फ पश्चिम से अपनी रक्षा कर बीस साल तक सिर्फ आर्थिक विकास पर जोर देना चाहिए . क्योंकि ईरान व् इराक की तरह हमें एक अंतहीन युद्ध मैं नहीं फंसना है .
परन्तु भारत के लिए यह दुखद है की जब तक चीन की ताकत बढ़ेगी उसे अपनी रक्षा के लिए नए हथियार बनाने होंगे क्योंकि उसका व्यवहार गलत है . परन्तु मोदी जी के लिए वाजपेयी जी की तरह अपनी ताकत बढ़ाते हुए युद्ध से बचना ही श्रेयस्कर होगा .
ISIS chief Baghdadi acknowledges defeat in Iraq – redif
The ISIS chief Abu Bakr al-Baghdadi has acknowledged the group’s defeat in Iraq in a ‘farewell speech’ and ordered his non-Arab fighters to either return to their countries or detonate themselves, according to media reports.
Baghdadi, who had declared himself as Caliph, issued a statement titled ‘farewell speech’ which was distributed among ISIS’ preachers and clerics yesterday, as Iraqi army tightened noose around the group’s last remaining territory in Mosul, Al-Arabiya reported, quoting Iraqi TV network Alsumaria.
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Citing the sources in the Iraqi governorate of Nineveh, the report said Baghdadi ordered the closure of the ISIS office regulating the group’s fighters and asked the group’s non-Arab fighters to either return to their countries or detonate themselves, promising them “72 women in heaven.” Baghdadi, who has reportedly been wounded multiple times, carries a USD 10 million bounty on his head.
It is not clear if he is in the besieged city, where he declared his Caliphate in 2014 after the ISIS seized territory covering much of eastern Syria and northern Iraq.
Many of ISIS’ leaders in Iraq have now fled towards the area controlled by the group in neighbouring Syria, it added. Iraqi forces backed by international and US aid launched a massive operation to retake Mosul on October 17. In January, they captured the eastern side of Mosul – the last ISIS-held city in Iraq.