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हिन्दू धर्म में वैज्ञानिक गलतियाँ : तथ्य व् जिहादी दुष्प्रचार

 

हिन्दू धर्म में वैज्ञानिक गलतियाँ : तथ्य व् जिहादी दुष्प्रचार

पिछले कुछ समय से इन्टरनेट पर हिंदू धर्म के सम्बन्ध में जेहादी बमबारी जारी है. कभी वेद और पुराणों में मुहम्मद का नाम तो कभी महाभारत और मनुस्मृति में माँस का विधान, ज़ाकिर नाइक और उनके समर्पित मुजाहिदीन इस काम को बखूबी निभा रहे हैं. परन्तु अभी एक आश्चर्यजनक बात सामने आई है. जिन वेदों और पुराणों में ज़ाकिर नाइक को मुहम्मद दीख पड़ा था उन्हीं में अब उन्हें गलतियाँ दिखने लगी हैं! जी हाँ! कुन फयकुन कह कर झटपट दुनिया बनाने वाले, पत्थर में से ऊँटनी निकालने वाले, बिना पिता के मरियम को पुत्र देने वाले, चाँद के दो टुकड़े कर देने वाले, आसमान को अदृश्य खम्बों की छत मानने वाले, आसमान की खाल उतारने वाले, दर्याओं को चीरने वाले, सातवें आसमान पर सिंहासन पर विराजमान अल्लाह के बन्दों अर्थात मुसलमान बंधुओं का अब यह विश्वास है कि धर्म को विज्ञान की कसौटी पर भी खरा होना चाहिए! इस हेतु से कि ऊपर लिखित कुरआन के विज्ञान के सामने वेदों की क्या हैसियत है, “वेदों में वैज्ञानिक गलतियाँ” शीर्षक से बहुत से लेख लिखे जा रहे हैं. वैसे इन लेखों की सत्यता उतनी ही प्रामाणिक है जितने प्रामाणिक कुरआन में “विज्ञान” के दावे! यदि कुन फयकुन कह कर मक्खी की टांग भी बन सके, बिना पुरुष के ही मुस्लिम माताएं बच्चे जना करें, पत्थर में से ऊँटनी तो क्या मच्छर भी निकल पड़े तो यह माना जा सकता है कि वेद विज्ञान विरुद्ध हैं कि जिनमें इतने ऊंचे स्तर की विद्या ही नहीं! परन्तु आज तक कुरआन में वर्णित इस विज्ञान के दीदार (दर्शन) असल जिंदगी में मुस्लिम भाइयों को छोड़ कर किसी को न हो सके.

खैर, अब एक एक करके उन दावों की पोल खोलते हैं जो जेहादी अक्सर वेदों के विरुद्ध किया करते हैं. हम पहले “जेहादी दावा” नाम से वेद मन्त्र के वो अर्थ देंगे जो जेहादी विद्वान करते हैं और फिर उसके नीचे मन्त्र के वास्तविक अर्थ अग्निवीर शीर्षक से देंगे. (जिहादियों द्वारा लिखे मूल लेख की प्रति यहाँ देखें:

 

Scientific Errors in Hinduism

१. पृथ्वी स्थिर है!

१. जेहादी दावा

वेदों के अनुसार पृथ्वी स्थिर है और ऐसा कई स्थान पर है. कुछ उदाहरण नीचे दिए जाते हैं

हे मनुष्य! जिसने इस कांपती हुई पृथ्वी को स्थिर किया है वह इंद्र है. [ऋग्वेद २/१२/१२]

अग्निवीर

वास्तविक अर्थ: सूर्य की सप्तरश्मियों का, वर्षा करने वाले बादलों का, बहने वाली वायु का, जीवन के लिए आवश्यक जलाशयों का, हमारे जीवन यापन हेतु समायोजन करने वाला इंद्र (ईश्वर) हमें सफलता देता है.

इस मंत्र में स्थिर पृथ्वी जैसा कुछ भी नहीं है.

२. जेहादी दावा

वह ईश्वर जिसने इस पृथ्वी को स्थायित्त्व प्रदान किया. [यजुर्वेद ३२/६]

अग्निवीर

दुर्भाग्य से महाविद्वान जेहादी लेखक को स्थिरता और स्थायित्व में भेद नहीं पता. भौतिक विज्ञान के “जड़त्त्व के नियम” (Law of Inertia) अनुसार कोई वस्तु चाहे रुकी हुई हो चाहे चलती हुई, अगर संतुलन में है तो उसको स्थायी कहते हैं. स्थायित्व का अर्थ गतिहीनता नहीं है.

बताते चलें कि यह मन्त्र हिंदुओं में रोज पढ़ा जाता है जिसका अर्थ है: हम उस परमेश्वर को अपने विचार और कर्म समर्पित कर दें जो सब सूर्य आदि प्रकाशमान लोकों, पृथ्वी, नक्षत्र और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को स्थायित्व प्रदान करता है कि जिससे सब प्राणी सुखी हों और मोक्ष को प्राप्त हो पूर्ण आनंद को भोगें.

मन्त्र में बहुत स्पष्ट है कि उस सूर्य को भी स्थायी कहा गया है जो प्रत्यक्ष चलता हुआ दिखाई देता है. अतः मन्त्र में स्थायित्व का अर्थ गति हीनता नहीं हो सकता.

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 जेहादी दावा

इन्द्र उस फैली हुई पृथ्वी की रक्षा करता है जो स्थिर है और कई रूप वाली है. [अथर्ववेद १२/१/११]

अग्निवीर

यह मन्त्र अथर्ववेद के प्रसिद्ध भूमि सूक्त का है जो सब देशभक्तों के अंदर देश पर मर मिटने की भावनाओं का मूल स्रोत है. परन्तु जैसा सबको विदित है कि देशभक्ति और वफादारी जेहादियों के लिए सदा ही दूर की कौड़ी रही है, इस बार भी ऐसा ही निकला. इस मन्त्र में जेहादियों को स्थिर पृथ्वी दीख पड़ी! अब इसका वास्तविक अर्थ देखिये

हे पृथ्वी! तू हिम से ढके पर्वतों, घने वनों, वर्षा, भोजन आदि को धारण करने वाली है कि जिससे में सदा प्रसन्नचित्त, रक्षित और पोषित होता हूँ. तू वह सब कुछ देती है जिससे मैं ऐश्वर्यों का स्वामी होता हूँ. अगला मन्त्र कहता है- हे पृथ्वी! तू मेरी माता है और मैं तेरा पुत्र हूँ! हम सब शुद्ध हों और अपने शुभ कर्मों से तेरा ऋण चुकाएं.

४. जेहादी दावा

हम सब फैली हुई स्थिर पृथ्वी पर चलें. [अथर्ववेद १२/१/१७]

अग्निवीर

वास्तविक अर्थ: हम सब इस पृथ्वी पर आवागमन करें जो हमें धन, सम्पन्नता, पोषण, औषधि आदि से तृप्त करती है. यह हमें आश्रय देती है.

इस मन्त्र में महाविद्वान जेहादी ने “ध्रुव” शब्द देखा और बस “स्थिर” शब्द दे मारा! उसको इतना पता ही न चला कि मन्त्र में यह शब्द आश्रय देने के लिए आया है न कि खुद के स्थिर होने के लिए!

इन सबके उलट वेद में बहुत से मन्त्र हैं जिनमें पृथ्वी के गतिमान होने का स्पष्ट वर्णन है. जैसे

ऋग्वेद १०.२२.१४- यह पृथ्वी विना हाथ और पैर के भी आगे बढती जाती है. यह सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करती है.

ऋग्वेद १०.१४९.१- सूर्य ने पृथ्वी और अन्य ग्रहों को अपने आकर्षण में ऐसे बांधा है जैसे घोड़ों को साधने वाला अश्व शिक्षक नए शिक्षित घोड़ों को उनकी लगाम से अपने चारों ओर घुमाता है.

यजुर्वेद ३३.४३- सूर्य अपने सह पिंडों जैसे पृथ्वी को अपने आकर्षण में बाँधे अपनी ही परिधि में घूमता है.

ऋग्वेद १.३५.९- सूर्य अपनी परिधि में इस प्रकार घूमता है कि उसके आकर्षण में बंधे पृथ्वी और अन्य पिंड आपस में कभी नहीं टकराते.

ऋग्वेद १.१६४.१३- सूर्य अपनी परिधि में घूमता है जो स्वयं भी चलायमान है. पृथ्वी और अन्य गृह सूर्य के चारों ओर इसलिए घुमते हैं क्योंकि सूर्य उनसे भारी है.

२. सूर्य पृथ्वी के चारों ओर घूमता है

५. जेहादी दावा

सूर्य प्रकाशमान है और सब मनुष्यों को जानता है, इसलिए उसके घोड़े उसे आकाश में ले जाते हैं कि जिससे वह विश्व को देख सके. [ऋग्वेद १/५०/१]

अग्निवीर

यह मन्त्र भी हिंदुओं के रोज की प्रार्थना का भाग है. इसका अर्थ है-

जिस प्रकार सूर्य की किरणें विश्व को देखने योग्य बनाती हैं, उसी प्रकार सब सज्जनों को उचित है कि वे अपने शुभ गुणों और कर्मों से श्रेष्ठता का प्रचार करें.

इस मन्त्र में कहीं घोड़ा नहीं आता और न ही सूर्य कहीं पृथ्वी के चारों ओर घूमा है!

६. जेहादी दावा

हे प्रकाशित सूर्य, सात घोड़ों वाले हरित नाम का एक रथ तुझे आकाश में ले जाता है. [ऋग्वेद १/५०/८]

अग्निवीर

वास्तविक अर्थ- जिस प्रकार सूर्य की सप्त रश्मियाँ इसके प्रकाश को दूर दूर तक पहुंचाती हैं उसी प्रकार तुम वेदों के सात प्रकार के छंदों को समझो.

इस मन्त्र से सूर्य का गतिमान होना समझा जा सकता है पर फिर रश्मियों का घोड़ों से कैसे सम्बन्ध रहेगा? क्योंकि किरणें तो सूर्य के चारों ओर निकलती हैं, केवल सूर्य के चलने की दिशा में नहीं, तो फिर किरणें सूर्य के घोड़े के समान कैसे होंगी? वेद तो सूर्य को गतिमान मानता ही है और इसी प्रकार कोई भी पिंड गतिमान होता है. परन्तु इस मन्त्र या किसी और में भी सूर्य का पृथ्वी के चारों ओर गति का कोई वर्णन नहीं है. वेद के अनुसार सूर्य की अपनी अलग परिधि है जिसमें वह घूमता है. [देखें ऋग्वेद १.३५.९]

७. जेहादी दावा

हे मनुष्य, सूर्य जो सबसे आकर्षक है, वह अपने स्वर्ण रथ पर सवार होकर पृथ्वी के चक्कर काटता है और पृथ्वी का अन्धकार दूर करता है. [यजुर्वेद ३३/४३]

अग्निवीर

वास्तविक अर्थ: सूर्य अपने आकर्षण से अन्य पिंडों को धारण करता हुआ अपनी परिधि में घूमता रहता है.

इस मन्त्र की बात को खगोल विज्ञानी भी स्वीकार करते हैं. खगोलशास्त्र विषय का आधार भी ऐसे तथ्य ही हैं. वास्तव में जेहादी विज्ञान में खगोलशास्त्र का वर्णन न होने के कारण उनके महाविद्वान इन मन्त्रों पर ही प्रश्न उठाने लगे हैं!

८. जेहादी दावा

बैल ने आकाश को धारण किया है. [यजुर्वेद ४.३०]

अग्निवीर

महाविद्वान जेहादी ने मन्त्र में वृषभ शब्द देखा और इसको बैल बनाने पर तुल गया! परन्तु संस्कृत भाषा से बेखबर जेहादी को यह पता नहीं कि “वृषभ” के यौगिक अर्थ “शक्तिशाली”, “सामर्थ्यवान” और “उत्तम” हैं. रूढ़ी अर्थों में बैल को वृषभ कहा जाता है क्योंकि बैल कृषि क्षेत्र में शक्ति का प्रतीक है.

वास्तविक अर्थ- हे सर्वशक्तिमान परमेश्वर! आप समस्त ब्रह्माण्ड में रम रहे हो. पृथ्वी की उत्पत्ति और पालन पोषण, सूर्य की स्थिरता, समस्त आकाशस्थ पिंडों और आकाश की व्यवस्था करने वाले हो, तथा एक आदर्श राजा की भांति सबको नियम में रखते हो. यह तो आपका स्वभाव ही है.

९. जेहादी दावा

बैल ने आकाश को धारण किया है. [यजुर्वेद १४.५]

अग्निवीर

इस मन्त्र में कोई शब्द ऐसा नहीं जिसका अर्थ बैल किया जा सके. यह मन्त्र पत्नी के कर्तव्यों पर प्रकाश डालता है.

वास्तविक अर्थ- हे पत्नी! तू अपने पति को सुख देने वाली हो और सदैव उत्तम कर्मों को करने वाली हो. तू अत्यंत बुद्धिमती हो और सदैव अपनी विद्या को सूर्य के समान बढाने वाली हो. तू सबको सूर्य के समान सुख देने वाली हो जैसे वह भोजन, प्रकाश और शुद्धता प्रदान करने वाला है. तू सबको जल के समान तृप्त करने वाली हो. तू सब ओर ज्ञान का प्रकाश करने वाली हो.

लगता यह है कि स्त्रियों को पशुओं व वस्तुओं की भांति उपयोग करने वाले जेहादियों से यह मन्त्र सहन ही नहीं हुआ!

३. अन्य कुछ आक्षेप

१०. जेहादी दावे और अग्निवीर का उत्तर

कई और दावे पुराणों को लेकर किये जाते हैं और सिद्ध करने की कोशिश की जाती है कि हिंदू धर्म अवैज्ञानिक है. परन्तु ध्यान रखना चाहिए कि पुराण धर्म के सम्बन्ध में प्रमाण नहीं हैं. केवल वेद ही अपौरुषेय (ईश्वरीय) हैं और हम यह दिखा चुके हैं कि जेहादियों ने वेदों को अवैज्ञानिक बता कर अपनी ही अज्ञानता सिद्ध की है. जहां तक पुराणों का प्रश्न है तो उनमें मुहम्मद, अकबर, विक्टोरिया आदि के किस्से भी मिलते हैं जो इस बात का प्रमाण हैं कि ये उन्नीसवीं शताब्दी तक लिखे गए हैं और विदेशी आक्रान्ताओं के शासन काल में बलपूर्वक लिखवाये गए हैं. अतः पुराणों के बारे में इस प्रकार की बातें मिल भी जाएँ तो आश्चर्य नहीं और इनसे हिंदू धर्म का सम्बन्ध भी नहीं. तो भी हमें अंदेशा है कि महाविद्वान जिहादियों ने वैसी ही मूर्खता दिखाई होगी जैसी कि उन्होंने मुहम्मद को भविष्य पुराण में वर्णित एक राक्षस बताने में दिखाई थी! इसको यहाँ पर देखें. http://agniveer.com/479/prophet-puran/

११. जिहादी दावा – सूर्य और आँख

वेद/पुराण सूर्य को नग्न आँखों से देखने का सुझाव देते हैं. वेद और पुराण यह कहते हैं कि हिंदुओं को सूर्य भगवान कि पूजा करनी चाहिए, और यदि तुम रोज सुबह सूर्य को देखोगे तो तुम्हारी आँखें तेज होंगी. इस तरह बहुत से हिंदू यह पूजा करते हैं पर आँखें तेज होने के बजाय, भारत में विश्व के सर्वाधिक नेत्रहीन लोग रहते हैं (पच्चीस लाख). सूर्य की पूजा करने के पीछे कोई वैज्ञानिक सत्य नहीं है और उल्टा वैज्ञानिक और डॉक्टर नग्न आँखों से सूर्य को देखने से मना करते हैं. अब कौन सत्य पर है, वैज्ञानिक या हिंदू धर्मग्रन्थ? आप निर्णय करें!

अग्निवीर

१. महाविद्वान जेहादी बस प्रमाण देना भूल गए कि सूर्य की पूजा करना वेद में कहाँ लिखा है!

२. हाँ, उगते सूर्य को देखना एक प्राकृतिक चिकित्सा है. आज तक दुनिया में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं हुआ जो सूर्योदय या सूर्यास्त देखकर नेत्रहीन या कमजोर नेत्र हो गया हो. अधिक जानकारी के लिए देखें Solar observing and Eye Safety http://mintaka.sdsu.edu/GF/vision/Galileo.html

३. वैसे पाकिस्तान में अंधापन भारत से अधिक फैला हुआ है! WHO के रिपोर्ट पढ़ें.

१२. जेहादी दावा – गाय

वेद कहते हैं कि गाय पवित्र है और उसकी पूजा करनी चाहिए. (ब्राह्मण कहते हैं कि गाय के गोबर की राख में औषधीय गुण होते हैं). परन्तु पश्चिम जर्मनी की एक जानी मानी परीक्षण प्रयोगशाला में शोध हुआ तो यह बात झूठी पायी गयी.

अग्निवीर

१. हाँ! वेद स्पष्ट घोषणा करते हैं कि गाय मनुष्य मात्र के लिए अत्यंत मूल्यवान है और जो अपने जिव्हा के थोड़े से स्वाद के लिए इसे मारते हैं वे धूर्त हैं. एक गाय चाहे दूध न भी देती हो तो भी वह वातावरण के लिए मरी हुई गाय से सदैव अच्छी है. गाय के सब उत्पाद जैसे दूध, गोबर, मूत्र आदि शरीर और वातावरण पर लाभदायक प्रभाव डालते हैं. बुद्धिमान लोग केवल गोपालन करके भी अपना जीवन अच्छी प्रकार से निर्वाह कर सकते हैं.

२. वैसे क्या कोई जेहादी यह बताएगा कि पश्चिम जर्मनी कि उस प्रयोगशाला का नाम क्या है जहाँ गाय के गोबर की राख का परीक्षण किया गया था? ऐसा इसलिए क्योंकि पश्चिम जर्मनी सन १९९० से अस्तित्त्व में नहीं है! यह ऐसा ही है जैसे डॉक्टर जाकिर नाइक कैलीफोर्निया के किसी अनपढ़ किसान के परीक्षणों का प्रमाण देकर हलाल माँस का बचाव करते हैं.

३. गाय का गोबर कई लाभों के साथ साथ ईंट बनाने में भी उपयोगी सिद्ध हुआ है. केवल गोमूत्र पर ही चार अन्तर्राष्ट्रीय पेटेंट (अमेरिका और यूरोप) हमारी जानकारी में हैं. गूगल पर cow urine patent डालकर देखें, और अधिक जानकारी प्राप्त करें.

४. इस तरह ठीक ही है कि हिंदू गाय को माता के सामान महत्वपूर्ण समझते हैं.

अब इससे पहले कि यह लेख समाप्त करें, कुछ बिंदु उठाने आवश्यक हैं.

क. विज्ञान न केवल हिंदुओं की पुस्तकों में है बल्कि उनकी संस्कृति के आधार में भी ओतप्रोत है. यहाँ तक कि सामान्य से सामान्य रीति रिवाज, जो अंधविश्वासों और विदेशी प्रभाव में पुते हुए हैं, भी वैज्ञानिक सिद्धांतों पर आधारित हैं. हाथ जोड़कर नमस्ते, स्त्रियों की चूड़ी और कुंडल, प्रातःकाल अधिक जल पीना जिसे उषापान कहते हैं, माँस का त्याग, एक पत्नी/पति वाद, प्राणायाम, ध्यान, व्यायाम, झूठा न खाना, कई बार हाथ धोना, और अंगों को भली प्रकार से धोकर स्वच्छ रखना जिससे खतना आदि कराने की आवश्यकता ही न पड़े, इत्यादि सब बातें वैज्ञानिक हैं.

ख. इसीलिये एक आम पढ़ा लिखा हिंदू वैज्ञानिक और बौद्धिक माहौल में अच्छे से सामंजस्य बैठाकर आगे बढ़ जाता है.

ग. अब जरा इस्लाम का हाल देखें. पूरी दुनिया में आज पचास से अधिक इस्लामिक देश हैं. क्या किसी एक ने भी कोई बड़ा वैज्ञानिक, शोधकर्ता या व्यवसायी पैदा किया? आज तक केवल एक मुस्लिम वैज्ञानिक हुआ है जिसका नाम यहाँ लिया जा सकता है- पाकिस्तान के नोबल पुरस्कार विजेता डॉ अब्दुस सलाम. परन्तु उन्हें भी पाकिस्तान से काफ़िर कह कर बाहर खदेड़ दिया गया क्योंकि वो एक कादियानी थे. आज कोई भी ज़ाकिर नाइक कभी अब्दुस सलाम का नाम भी नहीं लेगा भले ही वह इस्लाम को विज्ञान का आधार बताता रहे! जब अब्दुस सलाम मरे तो उनकी कब्र पर “पहला मुस्लिम नोबेल पुरस्कार विजेता” लिखा गया. पर मुल्लाईयत के दबाव में पाकिस्तानी सरकार ने “मुस्लिम” शब्द हटा दिया. अब वहाँ “पहला नोबेल पुरस्कार विजेता” लिखा है!

नीचे पकिस्तान के प्रसिद्ध मुस्लिम विद्वान और लेखक हसन निसार की वीडियो देखें जिसमें वो बड़ी बेबाकी से मुसलमान उम्मत की बौद्धिक क्षमताओं पर सवाल उठाते हैं. उन्होंने इस बात को कई बार जोर देकर कहा कि सदियों से एक बड़ा दिमाग भी मुसलमानों ने पैदा नहीं किया और उस पर भी वे अपने आप को सबसे अच्छा समझते हैं और यही प्रवृत्ति उनको और अधिक अन्धकार में ले जा रही है.
अब हिंदुओं से इसकी तुलना कीजिये. बहुत कमियों के बाद भी आज वो हर जगह पर अच्छे स्थान और पदों पर होते हैं. मानव सभ्यता के आरम्भ से इस संस्कृति ने एक से बढ़कर एक हीरे मानवता को दिए हैं और आज भी दे रही है. इसका एकमात्र कारण यहाँ की सभ्यता का आधार वैज्ञानिक होना है. यह प्रकट है कि जहाँ स्वतंत्रता के बाद पाकिस्तान अपने ही बोझ से टूटा जा रहा है वहीँ भारत उसकी तुलना में बहुत आगे है बावजूद इसके कि यहाँ के धूर्त राजनेता केवल अपना स्वार्थ साधते हुए अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की नीति को ही राजनीति समझते हैं.

हम उन सबसे, जिन्हें गैर मुस्लिमों खासकर हिंदुओं से नफरत करना ही सिखाया गया है, कहेंगे कि एक बार ठन्डे दिमाग से इस पर विचार करें. अग्निवीर पर वेदों से सम्बंधित लेख पढ़ें. सबसे आवश्यक बात यह जान लें कि वे बाहर किसी देश से आये लुटेरों की संतान नहीं हैं. वे तो सदा से भारत देश में रहने वाले अपने हिंदू पूर्वजों का ही खून हैं. वेद किसी हिंदू की जागीर नहीं, तुम्हारे भी हैं क्योंकि तुम्हारे पूर्वज इन्ही वेदों का पाठ करके तृप्त होते थे. अब अपने ही खून के भाइयों से झगडा बंद करो और वापस अपने घर अर्थात वैदिक धर्म में आ जाओ, आपका स्वागत होगा.

This article is also available in English at http://agniveer.com/3050/scientific-errors-in-hinduism/

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