क्या पाकिस्तान सस्ते चीनी हवाई जहाज व् ड्रोनअन्य हथियार बेच कर अंतर्राष्ट्रीय उधार चुका देगा : रूस , भारत ,अमरीका व् यूरोप को खतरा

क्या पाकिस्तान सस्ते चीनी हवाई जहाज व् ड्रोनअन्य हथियार  बेच कर अंतर्राष्ट्रीय उधार चुका देगा : रूस , भारत ,अमरीका व् यूरोप को खतरा

Rajiv Upadhyay rp_RKU-263x300.jpg

पाकिस्तान के लिए चीन मैं नए  विकसित हो रहा जे ऍफ़ – १७ ब्लोक ३ हवाई जहाज ३० मिलियन डॉलर मैं बन सकता है जब की भारत का तेजस मार्क १A  की कीमत लगभग 63 मिलियन  डॉलर होगी . यह तेजस मार्क १ए  से ज्यादा अच्छा जहाज होगा . इसकी  मारक क्षमता , गति व् रेंज तेजस से ज्यादा होगी .इसमें पी एल १५ BVR मिसाइल २०० किलोमीटर होगा व् आधुनिक ए ई एस ए राडार होगा . इसमें तेजस के बाकि सारे आधुनिक फीचर भी होंगे . जे ऍफ़ १७ के सौ से अधिक  हवाई जहाज पाकिस्तानी सेना मैं सन २००७  से उड़ रहे हैं . इसलिए विश्व के कई देश इसे खरीद रहे हैं . मिस्र ने भी इन हवाई जहाज खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है .म्यनमार १६  हवाई जहाज खरीद रहा है . अफ्रीकी देश नाइजीरिया  भी तीन  जहाज खरीद चुका है . इसके कम दाम के चलते कई देश इसे  खरीदने के लिए तैयार हो जायेंगे . इसमें ५५% पाकिस्तानी व् ४५% चीनी भाग है . इसका आर डी 33 इंजन रूस का है .पाकिस्तान २५ जहाज प्रति  वर्ष बनाएगा जबकि भारत १६ जहाज प्रतिवर्ष बनाएगा . भारत के अमरीकी इंजन व् पश्चिमी टेक्नोलॉजी के चलते तेजस की कीमत बहुत बढ़ गयी है . रूस का सुखोई इंजिन भारत को कोई सस्ते दाम पर नहीं मिल रहा . २८० जहाज बनाने के बाद , एच ए एल जो चालीस नए SU30 MKI जहाज रूसी किट से बनाना चाह रही है उसकी कीमत भी ४०० करोड़ रूपये की होगीं . रूस भी सचेत हो गया है . वह अपने इंजन पाकिस्तान को सीधे बेचना चाह रहा  है पर तब तक सस्ते चीनी इंजन तैयार हो जायेंगे . अमरीकी , फ्रेंच , यूरोप के हवाई जहाज बेहतर टेक्नोलॉजी के होते हैं परन्तु राफेल की तरह बेहद मंहगे होते हैं . आज एक रफल की कीमत में एच ए एल दो या तीन SU 30 MKI   बना भी इन  सकता है .

अभी तो भारत अपने लिए ही तेजस नहीं बना पा रहा इसलिए इसको निर्यात तो नहीं कर पायेगा .इसकी कुछ टेक्नोलॉजी जे ऍफ़ – १७ से अच्छी हो सकती है पर म्य्नामार , मलाएसिया जैसे देशों के लिए जे ऍफ़ १७ काफी होगा .इसलिए पाकिस्तान बड़ी अंख्या में इनको विश्व बाज़ार मैं  बेच सकेगा . भारत को पहले तो अपने कावेरी इंजन को पुनः बनाना होगा क्योंकि आयातित इंजन से कीमत बहुत बढ़ जाती है . फ्रांस ने बहुत मदद नहीं की . भारत की एच ए एल की तनख्वाहें भी पाकिस्तान से ज्यादा होंगी . इसलिए तेजस की कीमत को कम करना एक बड़ी चुनौती होगी .

इसी तरह चीन ने पाकिस्तान में पिछले कई वर्षों से ड्रोन बनाने शुरू कर दिए हैं .अभी हाल मैं उसका आधुनिकतम ड्रोन wing long 2 भी पकिस्तान मैं देखा था . पाकिस्तानी ड्रोन उसके हवाई जहाज़ों की तरह इतने आधुनिक न हों परन्तु कारगर हैं . शीघ्र ही पाकिस्तानी ड्रोन भी अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार मैं खूब बिकने लगेंगे . चीन पाकिस्तान को steath पन्दुब्बियाँ व् समुद्री जहाज भी देने वाला  है . धीरे धीरे पाकिस्तान में बने चीनी सस्ते हथियार  चीनी खिलोनों की तरह अंतर्राष्ट्रीय  बाज़ार मैं छा जायंगे .

अमरीकी व् यूरोपी कंपनियां अपने टेक्नोलॉजी के घमंड में इस चुनौती को गंभीरता से नहीं ले रहीं हैं .रूस  समेत कोई भी देश  अपने आधुनिकतम हथियारों को भारत मैं नहीं बनने देना चाहता . भारत चीन के चलते आधुनिकतम  टेक्नोलॉजी के हथियार  खरीदता है जिनकी  अमरीका भारत को टेक्नोलॉजी नहीं देने देता . इजराइल के हेरॉन ड्रोन , फ्रांस के राडार इत्यादि सबकी एक कहानी है . अमरीका ने रूस को क्र्योज्निक इंजन नहीं देने दिया जिससे भारत का अन्तरिक्ष कार्यक्रम दशकों पीछे चला गया . चीन पाकिस्तान को आधुनिक हथियार दे देता है जैसे पी एल – १५ मिसाइल . अब भारत को इनको सचेत करना चाहिए की इनका बाज़ार छिनने वाला है .

इस रेस  में ग्रिपेन , मिग – ३५ पुरानी  टेक्नोलॉजी को बेचने को तैयार तो हैं परन्तु आधुनिकतम सुखोई एस यु –  ५७ की टेक्नोलॉजी रूस ने करार के बाद भी नहीं दी . पुरानी  पश्चिमी टेक्नोलॉजी इतनी मंहगी होती है कोई विकास शील देश उस दाम पर पुरानी टेक्नोलॉजी नहीं खरीदेंगे .परन्तु यह भी सच है की भारतीय हथियार न तो आधुनिकतम हें और अब सस्ते भी नहीं हैं .

भारत का कोई चीन सरीखा दोस्त नहीं है .भारत को इजराइल से इस तरह की संयुक्त विकास की मदद लेनी होगी हालंकि इजराइल खुद बहुत बड़ा दुकानदार देश है . इसके लिए दोनों के हित वाली टेक्नोलॉजी विकसित करनी होगी .

अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार बहुत प्रतिस्पर्धा वाला होता है . भारत के कार बाज़ार मैं मंहगी अमरीकी व् यूरोपी कारें इतनी सफल नहीं हुईं .हमारी सर्व व्यापी व् सर्वशक्तिमान  बाबुशाही व् विजिलेंस हमको विश्व के हथियारों के एक्सपोर्ट बाज़ार मैं जीतने नहीं देगी .यदि हम प्रगति चाहते हैं तो एच ए एल को खुली छूट देनी होगी . टेंडर सिस्टम भी कभी कभी छोड़ना होगा . राइट्स जैसी कई कंपनियों ने अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार  को छोड़ दिया है क्यंकि कोई अपनी नौकरी खतरे मैं नहीं डालना चाहता है . HAL को   हाथ बाँध कर लड़ने को नहीं कहा जा सकता . हमारा प्राइवेट सेक्टर कारों में कोई करिश्मा नहीं दिखा सका है न ही उसके पास हथियारों का कोई विशेष ज्ञान है . उससे मिसाइल या हवाई जहाज की आधुनिक टेक्नोलॉजी शीघ्र विकसित कर लेने की आशा व्यर्थ है .उससे reverse engineering करवाई जा सकती है .

इसलिए भारत की दुविधा भी गंभीर है . अंततः उसे रक्षा में स्वाबलंबी होना ही पडेगा जैसे चीन हो रहा है . सिर्फ रूपये गिनने वाले वित्त व् रक्षा मंत्रालय को इसमें रुकावट नहीं बनने देना चाहिए . इसमें खर्चा , देर व् असफलताएं सब आयेंगी पर अंत में हम सफल होंगे  . सेनाओं को भी कुछ तकलीफ सहनी होगी जैसे पाकिस्तानी य चीनी सेनायें झेल रही हैं .चीनी पाकिस्तानी गठबंधन व् हमारी मित्र्हीनता के चलते भारतीय नए हथियारों की खरीद के रक्षा बजट को अब बहुत बढ़ाना अति आवश्यक है जिससे भारत शीघ्र अति शीघ्र अपने पैरों पर खड़ा हो सके .

आत्मनिर्भर पाकिस्तान की हेकड़ी बहुत बढ़ जायेगी .

पानीपत व् प्लासी की हर लड़ाई मैं हमारी सेना ज्यादा बड़ी थी फिर भी हम हार गए . बजट वाले बाबुओं को अपने दुश्मन के खतरे को कम  आंकने देना भयंकर मुर्खता होगी

Report: JF-17 ‘Thunder’ Block III Fighter Jet Production Is Underway

Development and production of the Pakistan Aeronautical Complex/Chengdu Aerospace Corporation (PAC/CAC) JF-17 “Thunder” Block III multirole fighter aircraft is reportedly underway, the chief designer of the fighter jet, Yang Wei, said at press conference in China last week.

“All related work is being carried out,” Yang was quoted as saying by Chinese state media. “The third block will see the JF-17’s informatized warfare capability and weapons upgraded.” As I reported previously, JF-Block-III fighter jets are expected to receive the Chinese-made KLJ-7A active electronically scanned array (AESA) radar system. It would be the Pakistan Air Force’s first AESA-equipped fighter aircraft.

JF-17 Block III aircraft will reportedly also feature a new electronic warfare system, upgraded avionics including a three-axis fly-by-wire digital flight control system, and a helmet-mounted display and sight system. With its new integrated sensor package, the aircraft will have the capability for quick information sharing and network-enabled operations that facilitate earlier detection and interception of enemy aircraft.

Enjoying this article? Click here to subscribe for full access. Just $5 a month.When discussing the start of aircraft production, Yang was most likely referring to the manufacturing of the JF-17’s airframe, with PAC reportedly producing 58 percent and CAC 42 percent of it. The development status of any of the new Block III subsystems is not known. However, once the Nanjing Research Institute of Electronics Technology (NRIET) completes development of the new AESA radar system, it “can be fitted on the airframe very fast, ensuring a quick delivery time,” Yang emphasized.

(Notably, Yang in his comments named neither NRIET nor the exact AESA radar system to be installed on the JF-17 Block III.)

JF-17 Block I and Block II aircraft, of which the PAF operates around 85 in total as of March 2019, have been fitted with NRIET’s older KLJ-7 X-band fire control radar. All three JF-17 variants are powered by a Chinese license-built Klimov RD-93 (an RD-33 derivative) turbofan engine.  The JF-17 has an approximate combat radius of up to 1,200 kilometers without refueling and can reach a maximum speed of up to Mach 1.6.

The JF-17 costs $25 million per unit, although the Block III per-unit price is expected to go up as a result of the new subsystems, including the expensive new AESA radar system. The PAF intends to procure up to 50 new Block III aircraft.

The aircraft can alternatively be armed with air-to-air, air-to-surface, and anti-ship missiles. It will also be able to fire beyond-visual-range air-to-air missiles (BVRAAM). An unnamed BVRAAM was test fired by the PAF last month and possibly today.

During a recent military standoff with India, a PAF JF-17 may have engaged an Indian Air Force fighter jet.

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